चीनी पर चढ़ा सियासी रंग तो फीकी पड़ गई चाय
आई एक्सक्लूसिव
-दो माह में दस रुपये महंगी हो गई चीनी, जारी है बढ़ोत्तरी -उत्पादन बढ़ा-मांग बरकरार, फिर क्यों चीनी मार रही उछाल -जमाखोरी बढ़ा कारण, सियासी लोग एकदूसरे की ओर उछाल रहे गेंद Meerut: लोकसभा चुनाव में 'चाय पर चुनावी चर्चा' की कामयाबी के बाद यूपी में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर केशवप्रसाद मौर्य की ताजपोशी से चाय एक बार फिर सुर्खियों में है तो चीनी के बढ़े हुए दाम चाय की चुस्की पसंद करने वालों को परेशान कर रहे हैं। साइकिल वालों ने चीनी के बेतहाशा बढ़ रहे दामों का ठीकरा केंद्र के सिर फोड़ दिया है और इन पर जबाव नहीं बन रहा है। तीन माह में बढ़ गए दस रुपयेअभी तीन माह पहले 30 रुपये किलो की चीनी आज 40 रुपये हो गई है। चीनी की उछाल सूबे की सियासत में 'हाईलाइट' हो रही है तो केंद्र और सूबे के नेता बचाव में उतर आए। वहीं दूसरी ओर बाजार का इशारा जमाखोरी की ओर है। जानकारों के मुताबिक चीनी के दाम और बढ़ेंगे ऐसे संकेत बाजार ने दिए हैं।
जमकर हुई है पैदावारदेश में गन्ना का उत्पादन पेराई सत्र 2015 से बढ़ा है। बात करें मेरठ की तो यहां भी बीते वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष चीनी का अपेक्षाकृत उत्पादन बढ़ा है। जिला गन्ना अधिकारी आनंद शुक्ला ने बताया कि इस वर्ष रकबा घटा है जबकि उत्पादकता बढ़ी है। प्रति क्विंटल गन्ने से चीनी का उत्पादन (रिकवरी) भी बढ़ी है।
फैक्ट एंड फिगर पेराई सत्र 2016 1 लाख हेक्टेयर-पेराई सत्र में रकबा 784 क्विंटल-प्रति हेक्टेयर उत्पादन 10.34 किग्रा-प्रति क्विंटल गन्ने से उत्पादित चीनी (रिकवरी) पेराई सत्र 2015 1.5 लाख हेक्टेयर-पेराई सत्र में रकबा 712 क्विंटल-प्रति हेक्टेयर उत्पादन 9.34 किग्रा- प्रति क्विंटल गन्ने से उत्पादित चीनी (रिकवरी) कुछ इस तरह आया उछाल तिथि थोक रिटेल अप्रैल 2015 2400 2400 सितंबर 2015 2600 2650 अक्टूबर 2015 2800 2850 नवंबर 2015 3000 3100 मार्च 2016 3700 3900अप्रैल 2016 3900 4000
(भाव-रुपये प्रति क्विंटल में) इस्मा की रिपोर्ट पर भी करें गौर आइए, इंडियन सुगर मिल एसोसिएशन (इस्मा) की रिपोर्ट पर भी गौर भी कहती है कि चीनी का उत्पादन बढ़ा है। - 31 मार्च 2016 तक 237 लाख टन चीनी का उत्पादन देशभर में हुआ। -पेराई सत्र की समाप्ति (अक्टूबर 2016) तक 255 लाख टन उत्पादन की संभावना। -गत पेराई सत्र (अक्टूबर 2015 तक) में 283 लाख टन हुआ था उत्पादन। -देश में 92 लाख टन चीनी 1 अक्टूबर 2015 को कैरी ओवर हुई। -विदेशी बाजार में 2014-15 में चीनी के भाव 322 डॉलर प्रति क्विंटल था। -2016 में चीनी का भाव बढ़कर 429 डॉलर प्रति क्विंटल हो गया। दोहरा न जाए इतिहास सनद को कि 2009 में चीनी के रेट अब तक के सर्वाधिक थे। 50 रुपये प्रति किग्रा तक बिकी भी चीनी। केंद्र की यूपीए और सूबे की तत्कालीन बसपा सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी। 40 तक पहुंच चुकी चीनी कहीं इतिहास न दोहराए।देश सट्टेबाजों के हाथ में है। डिब्बा कंपनियां चीनी के रेट तय कर रही हैं। मील और सरकारी विभागों की मिलीभगत से चीनी डंप है। विधानसभा के चुनाव आ रहे हैं, मिलों से वसूली करके चुनाव लड़ेंगे। महंगाई तो बढ़ेगी।
-नवीन गुप्ता, अध्यक्ष, संयुक्त व्यापार संघ, मेरठ चीनी का उत्पादन देशभर में बढ़ा है, केंद्र और राज्य सरकार की गलत नीतियों से चीनी के दाम बढ़ रहे हैं। एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स पर नियंत्रण जरूरी है। अभी और बढ़ोत्तरी की संभावना है। -दिनेश गोयल, चीनी कारोबारी चीनी को इम्पोर्ट करने से रेटों में गिरावट आई थी। बेशक इम्पोर्ट नहीं कर रहे हैं किंतु बेतहाशा वृद्धि चिंताजनक है। बड़े कारोबारियों और जमाखोरों के चंगुल में चीनी फंसी है। सरकार सब जानती है। -विपिन गोयल, उपाध्यक्ष नवीन मंडी व्यापार एसोसिएशन बड़ी मात्रा में चीनी मिलों ने डंप कर ली है। सट्टा बाजार चीनी का रेट तय करता है। आम कारोबारी और किसान को कुछ नहीं मिल रहा है। आवाम परेशान है। -प्रदीप गोयल, कारोबारी तीन माह में चीनी के दाम दस रुपये बढ़ गए हैं। राज्य सरकार चाहें तो बढ़ोत्तरी को रोका जा सकता है। चुनाव आते ही पब्लिक पर महंगाई थोपने का काम किया सरकार ने। -अजय केडिया, कारोबारी ----- सियासी सिगूफाकहीं गड़बड़ है। प्राइस वार चीनी के दामों में बढ़ोत्तरी का कारण है, कालाबाजारी और हिडेन एजेंडे पर अंकुश नहीं लगा तो बढ़त को रोकना मुश्किल होगा।
-लक्ष्मीकांत बाजपेयी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा चीनी को इम्पोर्ट करने पर सरकार ने वैन लगा है, ताकि किसान को फायदा हो। असल में चीनी के दाम सरकार नहीं बाजार तय करता है। -राजेंद्र अग्रवाल, सांसद, भाजपा चीनी के दाम बढ़ाए गए थे कि किसानों का भला हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सूबे की सरकार ने मिलों का पेमेंट रोक दिया। किसानों का बकाया है। प्रदेश सरकार जिम्मेदार है। -सत्यप्रकाश अग्रवाल, विधायक, कैंट विधानसभा चीनी के रेट केंद्र सरकार तय करती है। सरकार की गलत नीति से दामों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। किसान आत्महत्या कर रहा है, आवाम सब जानती है। विधानसभा चुनाव में भाजपा की चाय फीकी पड़ने वाली है। -जयवीर सिंह, जिलाध्यक्ष, सपा