बॉडी थर्मल कैमरा बना शोपीस
-कैंट रेलवे स्टेशन पर एंट्री व एग्जिट प्वाइंट पर लगे हैं दो कैमरे
-मेट्रो सिटी से आने वाले बेरोकटोक निकल जा रहे प्लेटफॉर्म से बाहर -मॉनीटरिंग के लिए तैनात जवान भी रहते हैं बेखबरकोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए कैंट रेलवे स्टेशन पर पैसेंजर की स्क्रीनिंग के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। जिसके अंतर्गत प्लेटफॉर्म से बाहर और अंदर एंट्री करने वालों की प्रॉपर चेकिंग के लिए हाईटेक कैमरे लगाए गए हैं। लेकिन चिंता की बात यह कि आज कैंट स्टेशन पर बॉडी थर्मल कैमरे शोपीस बन गए हैं। जैसे लॉकडाउन से पहले स्टेशन कैंपस में बिना रोकटोक लोग आते थे, वैसे ही कैमरे लगने के बाद भी आ जा रहे हैं। खास बात यह कि अब एंट्री और एग्जिट प्वाइंट अलग अलग हो गए हैं। लेकिन यहां लगे कैमरे के सामने से लोग गुजर जा रहे हैं और उनके टेंप्रेचर को मॉनीटर करने वाला कोई नहीं है। एग्जिट प्वाइंट पर तैनात जवान पैसेंजर को कंट्रोल करने में ही परेशान रहते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने स्टेशन कैंपस में शुक्रवार को प्लेटफॉर्म से बाहर निकलने वालों का रिएलिटी चेक किया। टीम ने जैसा देखा वैसा ही आपके लिए प्रस्तुत है।
सीन-1 स्थान-कैंट स्टेशनसमय- दोपहर 12.30 बजे
मेट्रो सिटीज से यहां आने वाले पैसेंजर की बॉडी थर्मल कैमरे से मॉनीटरिंग के लिए आरपीएफ के जवानों की ड्यूटी लगायी जाती है। यूटीएस काउंटर हॉल में बने एग्जिट प्वाइंट पर तीन शिफ्ट में छह जवानों की ड्यूटी लगायी जाती है। दिन के दो शिफ्ट में लेडी कांस्टेबल की ड्यूटी लगती है तो रात के शिफ्ट में मेल जवान तैनात रहते हैं। 1500 पैसेंजर निकलते हैं वर्तमान समय में कैंट स्टेशन पर कोविड को देखते हुए सिर्फ स्पेशल ट्रेन का ही संचालन हो रहा है। ऐसे में पहले की अपेक्षा भीड़ बहुत कम है। बावजूद इसके एक शिफ्ट में 1200 से 1500 लोग प्लेटफॉर्म से बाहर निकल रहे हैं। हालांकि सुबह से लेकर दोपहर व शाम के शिफ्ट में भीड़ अधिक रहती है। स्टेशन से गुजरने वाली मुख्य ट्रेन -महानगरी एक्सप्रेस -कामायनी एक्सप्रेस -वंदेभारत सुपरफास्ट -बेगमपुरा एक्सप्रेस -अर्चना एक्सप्रेस वर्जन--- एग्जिट प्वाइंट से बाहर निकलने वाले पैसेंजर पर नजर रखने के लिए जवानों की ड्यूटी लगायी जाती है। जो लोग कैमरे की जद में आते हैं उनकी मॉनीटरिंग की जाती है। मानक से अधिक टेंप्रेचर वालों की सूचना डीओ को देने का निर्देश है। अनूप सिन्हा, इंस्पेक्टर आरपीएफ कैंट स्टेशन ---- कैंट स्टेशन प एक नजर -कैंट स्टेशन पर आधिकारिक छह एंट्री प्वाइंट हैं -सभी प्वाइंट पर टीसी की ड्यूटी लगती है -मेन हॉल में स्थित एंट्री व एग्जिट प्वाइंट पर आरपीएफ के जवान भी तैनात रहते हैं -बिना चेक किए प्लेटफॉर्म की ओर एंट्री करने पर रोक है -कैंट स्टेशन पर नौ प्लेटफॉर्म हैं -फर्स्ट एंट्री व सेकेंड एंट्री दोनों ओर टिकट काउंटर बना है -कैंट स्टेशन पर 30 से 40 हजार लोग डेली अपने शुभचिंतकों को छोड़ने और लेने आया करते थे कोविड से पहलेजनरल टिकट काउंटर हॉल स्थित एग्जिट प्वाइंट पर दोपहर में आई नेक्स्ट टीम पहुंची। टीम यहां कुछ देर खड़े होकर प्लेटफॉर्म से बाहर निकलने वालों को एक एक कर देखती रही। यहां लगे कैमरे के सामने से गुजरने वालों को आरपीएफ के दो जवान कंप्यूटर स्क्रीन पर मॉनीटर कर रहे थे। एंट्री प्वाइंट से बाहर निकल रहे कुछ लोग जो कैमरे की जद में आ रहे थे तो उनका टेंप्रेचर कैमरा ले ले रहा था। लेकिन कुछ लोग कैमरे की जद में आ ही नहीं रहे थे। वो बड़े आराम से बाहर निकल जा रहे थे। टीम ने लगभग 30 मिनट तक यहां रुककर पूरे प्रॉसेस को देखा। यहां साफ देखने को मिला कि अगर कोई बीमार या संक्रमित है, तो वह आराम से निकल जाएगा।
सीन-2 स्थान-कैंट स्टेशन समय-दोपहर एक बजेटीम ने यहां देखा कि प्लेटफॉर्म से बाहर निकलने वाले जिन लोगों का कैमरा टेंप्रेचर ले रहा था, उनकी फोटो कंप्यूटर स्क्रीन पर डिस्प्ले होने लग जा रहा था। इसी बीच एक पैसेंजर 102 डिग्री फारेनहाइट का कैमरे के सामने से बाहर निकल गया और टीम बेखबर रही, और उसे रोक नहीं पायी। यही नहीं वह किस ओर चला गया इसका भी पता नहीं चल पाया।
सीन-3 स्थान-कैंट स्टेशन समय-दो बजे टीम ने देखा कि यहां से कुछ लोग भीड़ का फायदा उठाते हुए प्लेटफॉर्म पर एंट्री भी कर जा रहे थे। जिनका भी टेंप्रेचर कैमरे में कैद हो जा रहा था। जिसके चलते वहां बैठे जवान उनको कंट्रोल करने में ही परेशान हो जा रहे थे। इस तरह का सीन यहां आम रहा। बीच बीच में कोई न कोई घुस ही जा रहा था। जिसके चलते पूरी व्यवस्था डिस्टर्ब हो जा रही थी। मनमानी से नहीं आ रहे बाज यह हाल तब है जब एक बार फिर मुंबई और नई दिल्ली में कोरोना का संक्रमण वापस लौट आया है। इन दोनों शहरों से बड़ी संख्या में पैसेंजर डेली बनारस आ रहे हैं। इनके चेकिंग की कोई व्यवस्था स्टेशन पर नहीं है। केवल बॉडी थर्मल स्कैनर के ही भरोसे यहां पैसेंजर में संक्रमण को मापा जा रहा है। वह भी केवल दिखावा ही साबित हो रहा है। लोग मनमाने तरीके से निकल जा रहे हैं और उनकी चेकिंग नहीं हो पा रही है। चेकिंग को लगे थे दो कैमरेस्टेशन पर आने वाली भीड़ में से एक एक पैसेंजर की थर्मल स्कैनिंग संभव नहीं थी। इसमें बहुत लोग बिना चेकिंग के ही बाहर निकल जा रहे थे। इसको देखते हुए एयरपोर्ट की तर्ज पर रेलवे ने भी कैंट स्टेशन पर दो बॉडी थर्मल कैमरे लगाने का डिसीजन लिया। ये कैमरे 16 जून से स्टेशन पर इंस्टाल कर दिए गए। एक कैमरा प्लेटफॉर्म नंबर एक को जोड़ने वाले मेन हॉल में लगा है तो दूसरा यूटीएस काउंटर हॉल में बने एग्जिट प्वाइंट पर लगाया गया है।
नौ महीने में एक भी पेशेंट नहीं कैंट स्टेशन पर जिस मकसद के लिए कैमरे लगाए गए थे। वह पूरा होता नहीं दिख रहा है। पिछले नौ महीने में स्टेशन के एग्जिट प्वाइंट से निकला ऐसा कोई पैसेंजर नहीं मिला जिसे मानक से अधिक बुखार रहा हो। यह तल्ख हकीकत है। पर सच्चाई यह है कि लोग निकल जाते हैं और उनको प्रॉपर मॉनीटर ही नहीं किया जाता है। अगर मॉनीटर किया जाता तो शुक्रवार को एग्जिट प्वाइंट से होकर गुजरा हाई टेंप्रेचर वाला पैसेंजर भी पकड़ में आ जाता। अब वह स्टेशन से होते हुए बाहर निकल गया। अगर वह संक्रमित रहा तो औरों तक संक्रमण पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता। तीन शिफ्ट में छह जवान