सीवर और पाइपलाइन की निगरानी होगी ऑनलाइन
- शहर के 90 में से 72 वार्डो के सीवर व पाइपलाइन की जियोग्राफिकल इनफॉर्मेशन सिस्टम से करायी गयी मैपिंग
- अब निर्माण कार्य के दौरान ध्वस्त नहीं होगी पाइप और सीवर लाइन, जायका कर रहा मैपिंगस्मार्ट सिटी बनारस में सबसे ज्यादा यदि कोई प्रॉब्लम चैलेंजिंग है वो सीवर और पानी है। शायद ही कोई ऐसा मोहल्ला हो जहां सीवर और पानी की समस्या न हो। आम पब्लिक से लेकर विभाग तक इससे जूझ रहा है। सीवर और पाइपलाइन के लिकेज में सबसे ज्यादा परेशानी उस स्थान को खोजने में होती है जहां समस्या होती है। इस गड़बड़ी को दूर करने के लिए नगर निगम ने समाधान खोज लिया है। यहां अब सीवरलाइन और पाइपलाइन की निगरानी या जांच डायरेक्ट सेटेलाइट के जरिए की जाएगी। इसके लिए पाइपलाइन और सीवर लाइन की जियोग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम से मैपिंग करायी जा रही है। ये काम जायका कर रहा है।
सभी 90 वार्ड में होगी मैपिंगऐसा करने के लिए नगर निगम शहर के 72 वार्डो में 592 किमी सीवर व पाइपलाइन की जियोग्राफिकल इनफॉर्मेशन सिस्टम से मैपिंग करा रहा है। पाइपलाइन के डिजिटलीकरण होने से इसे ऑनलाइन अक्षांश और देशांतर के जरिए जमीन के अंदर की स्थिति साफ तौर से देखी जा सकती है। जायका योजना तहत इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत शहर के 90 वार्डो में सीवर व पेयजल पाइन लाइनों को जीआईएस मैपिंग होना है। जिसमें 72 वाडों की मैपिंग करा ली गई है। अधिकारियों के मुताबिक अगले माह के अंत तक काम पूरा होना है।
क्या हुआ जीआईएस मैपिंग में जीआईएस मैपिंग में जोनवार सड़कों की लंबाई, चौड़ाई के साथ मेनहोल व गली की संख्या, डस्टबिन व कूड़ाघरों की जानकारी इकट्ठा की गई। सभी वार्डो में मैपिंग का काम पूरा होने के बाद फ्लाईओवरों समेत अन्य निर्माण कार्य के साथ गहरे सीवर और मरम्मत कार्य में इस मैपिंग की सहायता लिया जा सकेगा। यही नहीं इससे जलकल व गृहकर का बिल बनाने में भी सहायता मिलेगी। निर्माण कार्य में नहीं आयेगी रुकावटशहर में डेवलपमेंट वर्क करने वाली निर्माण एजेंसी को इस बात की जानकारी ही नहीं होती है कि कहां पर सीवर लाइन या पाइप लाइन है और खोदाई शुरू करा देते हैं। खासकर फ्लाईओवर निर्माण के दौरान। इससे सीवर चैम्बर और पाइपलाइन ध्वस्त हो जाती है। निर्माणाधीन लहरतारा-कैंट फलाईओवर के निर्माण के दौरान पाइप लाइन ध्वस्त होने की शिकायत आई थी। इसी तरह महमूरगंज में भी सीवर लाइन बिछाने में भी पेयजल पाइप फटने के शिकायत मिली थी। वहीं कैंट से काशी विद्यापीठ की ओर बनने वाले फ्लाईओवर पाइप लाइन की जानकारी न होने से शुरू नहीं हो पा रहा था। अब मैपिंग हो जाने से निर्माण एजेंसी को सबकुछ पहले ही पता चल जाएगा।
एक नजर 09 करोड़ का है प्रोजेक्ट 75 फीसदी काम हो चुका है पूरा 90 वार्ड में होना है मैपिंग 72 वार्ड में करा ली गई मैपिंग 592 किमी के मैपिंग कम्प्लीट शहर के सभी 90 वार्डो में सीवर व पेयजल पाइन लाइनों को जीआईएस मैपिंग कराने की जिम्मेदारी जायका को मिली है। इसमें 72 वार्ड का काम पूरा कर लिया गया। सितंबर तक सभी वाडों के सीवर व पेयजल पाइपलाइन की जानकारी ऑनलाइन मिलने लगेगी। संदीप कुमार, अधिकारी-जायका