- शहर में सुसाइड केसेज में अचानक हुई बढ़ोत्तरी

- बीते 20 दिनों के अंदर आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने लगाया मौत को गले, इनमें यूथ की तादाद है ज्यादा

VARANASI :

जिंदगी मौत न बन जाये संभालो यारों। ये भले ही एक फेमस फिल्म के फेमस गाने की लाइनें हों लेकिन ये लाइनें इन दिनों अपने शहर के यूथ पर बिल्कुल सटीक बैठ रही हैं। इसकी वजह है इनमें बढ़ती सुसाइड टेंडेंसी। शहर की फिजा में अचानक से सुसाइड केसेज की बाढ़ सी आ गई है। दिसम्बर में शहर में सुसाइड की घटनाओं में अचानक बढ़ोत्तरी हो गई है। शनिवार को ही अकेले चार लोगों ने जिंदगी को अलविदा कह दिया। इससे पहले भी तीन लोगों ने जिंदगी को गुडबाय कहकर परिवार को रोता-बिलखता छोड़ दिया। इसकी क्या हैं वजहें और इसे कैसे रोका जा सकता है, आइये आपको बताते हैं।

मौसम करता है प्रभावित

- नॉर्मली दिसम्बर से फरवरी और जुलाई से अगस्त के मौसम में बढ़ जाती है सुसाइड करने वालों की संख्या

- एक्सप‌र्ट्स की मानें तो इस दौरान वेदर में आये चेंजेज होते हैं ऐसी घटनाओं की वजह

- बहुत ज्यादा ठंड पड़ने से इंसान का नर्वस सिस्टम होता है प्रभावित, जिससे पड़ता है मस्तिष्क पर असर

- जुलाई से अगस्त के दौरान गर्मी और हल्की ठंड के मिक्सप के कारण मौसम में आया बदलाव बनता है सुसाइड की वजह

- दिसम्बर में लोगों पर प्रेशर होता है बहुत ज्यादा

- इयर एंड होने के कारण बिजनेस क्लास को क्लोजिंग का टेंशन होता है जबकि स्टूडेंट्स पर होता है एग्जाम का टेंशन

- इसलिए इस मंथ में सुसाइड के केसेज में हो जाती है बढ़ोत्तरी

आपको रहना होगा अलर्ट

- सुसाइड केसेज में कमी लाने के लिए सभी को रहना होगा अलर्ट

- घर पर या आपके कामकाज की जगह पर अगर कोई बहुत ज्यादा टेंशन में है तो उसका रखें ख्याल

- दोस्तों के ग्रुप में अक्सर लव और अदर प्रॉब्लम्स को लेकर दूसरे दोस्त रहते हैं परेशान

- ऐसे लोगों का हमेशा रखना होगा ख्याल

- घर पर मेंटली परेशान लोगों को अकेले न छोड़ें

- उनसे कभी भी तेज आवाज में या झुंझलाकर बात न करें

- अगर कोई फैमिली मेंबर आपको परेशान दिख रहा है तो उसे अकेले सोने के लिए न जाने दें

- घर के बाहर भी अगर वह जाये तो उसके साथ कोई न कोई मेम्बर रहे साथ

- ऐसे लोग जो मेंटल रूसे बहुत ज्यादा तनाव में हो उनको ज्यादा से ज्यादा खुश रखने की कोशिश करें

- ऐसे लोगों को किसी साइकिएट्रिस्ट के पास ले जाएं और उनका चेकअप कराएं

- एग्जाम को लेकर इस दौरान बच्चों पर बहुत ज्यादा प्रेशर न बनाएं

- पढ़ाई के लिए बच्चों पर चीखें चिल्लाये नहीं, उनसे प्यार से बर्ताव करें

ख्0 दिन में गई इनकी जान

- ख्0 दिसम्बर रोहनिया में अधेड़ ने फांसी लगाकर दी जान

- ख्0 दिसम्बर कैंट में युवक ने फांसी लगाकर खत्म की जिंदगी

- ख्0 दिसम्बर सिगरा में युवती ने फांसी लगाकर जिंदगी को कहा गुड बाय

- ख्0 दिसम्बर आदमपुर में युवक ने विषाक्त पदार्थ खाकर दी जान

- 9 दिसम्बर सारनाथ में प्रेम के चक्कर में युवक ने लगाई फांसी

- भ् दिसम्बर शिवपुर कांशीराम आवास में युवती ने जिंदगी से ऊबकर दी जान

- भ् दिसम्बर भेलूपुर में बीमारी से तंग युवक ने कुएं में कूदकर दी जान

जिंदगी से परेशान होकर लोग अक्सर इस तरह का कदम उठाते हैं। इसलिए ऐसे लोगों को हमें और आपको संभालना होगा क्योंकि सुसाइड करने का डिसीजन कोई भी एक दिन में नहीं लेता। इसके लिए कई दिनों से उसके दिमाग में जान देने को लेकर प्लैनिंग चल रही होती है। इसलिए पहले से ही हम अगर अलर्ट रहें तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

डॉ। संजय गुप्ता, साइकिएट्रिस्ट

Posted By: Inextlive