-निर्माणाधीन कैंट लहरतारा फ्लाइओवर के नीचे लगी रहती है तमाम दुकानें, ऑटो स्टैंड भी बना

- लापरवाही के चलते कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

कैंट-लहरतारा फ्लाइओवर के निर्माण के दौरान एक बाद-एक तीन हादसों के बाद भी वहां सुरक्षा व्यवस्था की अनदेखी हो रही है। अभी काम चल रहा लेकिन पुल के नीचे ठेला पटरी वालों की दर्जनों दुकाने सज गई है। यही नहीं दुकानों के बाहर स्थानीय लोगों के साथ पैसेंजर्स की भी भारी भीड़ खड़ी हो रही है। ऐसे में इन दुकानों और वहां खड़े लोगों पर निर्माणाधीन पुल से कब शटरिंग या कोई भारी चीज नीचे गिर जाये कहा नहीं जा सकता। इतना खतरा होने के बाद भी कार्यदायी संस्था सेतु निर्माण निगम व जिला प्रशासन की नींद नहीं खुल रही है।

खतरे में है सैकड़ों की जान

आपको जानकर हैरानी होगी कि करीब डेढ़ साल के अंदर यहां तीन बार हादसा हो चुका है। बावजूद इसके अब भी न तो कर्मचारी सुरक्षा उपकरणों के साथ काम कर रहे हैं और न ही हादसे होने के बाद बचाव का कोई इंतजाम है। पुल के नीचे दुकार्न सजाकर खुद के साथ दुकानदार अन्य को भी मौत का दावत दे रहे हैं। कैंट स्टेशन के सामने फ्लाइओवर के नीचे लगी दुकानों के पास कोई खाना खाने के लिए तो कोई चाय पीने के लिए खड़ा रहता है। अब सवाल यह उठता है कि इन दुकानदारों को यहां दुकानें लगाने की परमिशन किसने दी है। पुल निर्माण में बरती जा रही इस तरह की लापरवाही से अगर किसी की जान जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।

बढ़ा बजट फिर भी चाल सुस्त

77.41 करोड़ का बजट बढ़ाकर 171 करोड़ कर दिया गया। बावजूद इसके काम में तेजी नहीं आ पा रही है। अभी भी सिर्फ डेडलाइन पर डेडलाइन मिल रही है। इतने आराम से काम हो रहा है कि पांच बार निर्माण अवधि की डेट बढ़ाई गई। दिसंबर तक इसके दो लेन से आवागमन शुरू कर देने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन उसके बाद जनवरी और फिर मार्च हो गया। जिस तरह से काम हो रहा है ऐसे में मार्च में भी पूरा होना मुश्किल है।

लकीर पीटने का काम शुरू

सेतु निगम के अधिकारियों ने कभी यह भी ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई कि बीम रखने और शटरिंग आदि कार्य को किस मानक से किया जा रहा है। शटरिंग के दौरान जेई या एई आदि की मौजूदगी जरूरी है लेकिन यहां तो सिर्फ सुपरवाइजर के भरोसे पूरे शटरिंग कार्य को छोड़ दिया गया। उधर सेतु निगम के अधिकारियों की ओर से तर्क यह भी दिया जा रहा है कि सड़क पर बैरिकेडिंग नहीं होने के चलते निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है। फ्लाईओवर के नीचे प्राइवेट वाहनों का स्टैंड होने के चलते भी दिक्कत आ रही है। इन्हें हटाने को लेकर अधिकारियों से शिकायत भी की गई है।

एक नजर-------

वर्ष 2015

में हुआ चौकाघाट फ्लाईओवर का विस्तारीकरण

1800

मीटर लंबा है फ्लाईओवर

40

परसेंट काम मई 2018 तक हुआ था

16 मई

2018 में फ्लाईओवर हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई थी

-जुलाई 2019 को शटरिंग वेल्डिंग के दौरान मैकेनिक शालू भी करंट से झुलस गया था।

77.41

करोड़ बजट में पास हुआ था फ्लाईओवर

171

करोड़ बजट में अब बन रहा फ्लाईओवर

Posted By: Inextlive