प्राइवेट स्कूल्स का न्या एकेडमिक सेशन शुरू होते ही पैरेंट्स के लिए परेशान बढ़ गई है। बुक्स से लेकर फीस पर कोई नियंत्रण न होने के कारण पैरेंट्स को दिक्कत हो रही है।

- प्राइवेट स्कूल्स की मनमानी पर पैरेंट्स करें ऑब्जेक्शन तो बच्चों को कर रहे क्लास से बाहर
- 7 साल में भी प्राइवेट स्कूल्स के लिए नहीं बना रेगुलेटरी एक्ट, विभाग का नहीं अंकुश


देहरादून, 15 अप्रैल (ब्यूरो)।
शिकायत करने पर शिक्षा विभाग से भी कोई मदद नहीं मिल पा रही है। स्कूलों की मनमानी पर नियंत्रण के लिए कंट्रोल रूम का गठन किया गया है। लेकिन, यह सिर्फ फॉर्मेलिटी साबित हो रहा है। एक सप्ताह में विभाग की हेल्पलाइन पर सिर्फ 7 कंप्लेन आई हैैं, वजह कि सुनवाई ही नहीं हो रही है। विभाग का तर्क है कि स्कूलों के लिए कोई रेगुलरटरी एक्ट न होने के इस तरह की दिक्कत आ रही है।

बाल आयोग में शिकायतों का अंबार
लगातार स्कूलों की मनमानी को लेकर जब पैरेंट््स ने मीडिया के माध्यम से बात उजागर की तो शिक्षा विभाग की ओर से फॉर्मेलिटी के लिए एक शिकायत प्रकोष्ठ खोल दिया गया और हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया गया। एक हफ्ते में इस हेल्पलाइन पर सिर्फ 7 शिकायतें ही दर्ज की गई हैैं। जबकि, बाल आयोग को स्कूल से सबंधित पैरेंट्स ने दर्जनों शिकायत की हैैं।

फीस पेंडिंग तो नो एंट्री
इन दिनों जहां पैरेंट्स अलग-अलग माध्यम से अपनी बात रखनेे का प्रयास कर रहे हैं तो इसका सीधा असर बच्चों पर पड़ रहा है। शिमला बाईपास स्थित स्कूल के पैरेंट्स की ये भी शिकायत है कि जब उनकी ओर से फीस बढ़ोत्तरी समेत मंहगी बुक्स को लेकर विरोध जताया गया तो उनके बच्चे के साथ स्कूल के टीचर्स की ओर से लगातार बदसलूकी की जा रही है। जबकि, उसी स्कूल में कुछ पैरेंट्स ऐसे भी हैं जिनके बच्चों की एक माह की फीस न देने पर बच्चे का रिजल्ट ही जारी नहीं किया गया है। स्कूल फीस जमा न होने तक स्कूल में नो एंट्री की बात कह रहा है।

ये समस्याएं बरकरार
-प्राइवेट स्कूल्स मनमाने तरीके से बढ़ा रहे फीस।
-आईसीएसई स्कूलों के बच्चों ने जब खरीदी पुरानी बुक्स तो टीचर ने भेज दिया बाहर।
- स्कूल हर साल बदल देते हैं बुक्स, बोझ पैरेंट्स पर।
-एक बुक के फ्रंट पेज को बदलकर बन गई नई बुक, नया रेट।
-स्कूल वैन और बस की फीस को मनमाने तरीके से बढ़ा रहे हैैं।
-एक माह की भी फीस पेेंडिंग होने पर रिजल्ट नहीं और न ही स्कूल मेंं एंट्री।
- एनसीईआरटी के 3 और 6 की बुक बदली तो स्कूल ने डाल दिए दूसरे पब्लिशर्स।
- ऑनलाइन फीस समेत बुक्स के पैसे भी कैश मांग कर रहे कई बुक्स शॉप ओनर

शिक्षा विभाग में ये स्कूल रजिस्टर्ड
- सीबीएसई, आईसीएसई, अटल स्कूल और उत्तराखंड बोर्ड के कुल 2527 स्कूल्स रजिस्टर्ड हैैं।
-दून में सरकारी स्कूल्स 1279, जिनमें 12 अटल स्कूल्स भी शामिल हैैं।
- प्राइवेट के सीबीएसई, आईसीएसई समेत 1248 स्कूल शामिल हैं।
- दून में सीबीएसई के 149 और आईसीएसई के 59 स्कूल रजिस्टर्ड

शिक्षा विभाग को मिली ये शिकायत
-मनमानी फीस बढऩे की शिकायत
-स्कूल की ओर से टीसी न मिलने की शिकायत
- बुक्स के रेट बढऩे की शिकायत।
- जबरन बुक्स थमाने की शिकायत

रेगुलेशन एक्ट न होना समस्या
चीफ एजुकेशन ऑफिसर के अनुसार प्राइवेट स्कूल को कंट्रोल करने के लिए रेगुलेटरी एक्ट होता है। जिसके तहत स्कूलों का संचालन किया जाता है। किसी भी तरह की शिकायत मिलने पर इस रेगुलेटरी एक्ट के तहत कार्यवाही की जा सकती है। लेकिन, प्रदेश में कोई भी रेगुलेटरी एक्ट न होने के कारण स्कूल संचालक मनमानी कर रहे हैं। जबकि, इससे पूर्व की सरकार की ओर से निर्देश जारी किए गए थे। लेकिन, रेगुलेटरी एक्ट नहीं बन पाया।

वर्जन -:
हमारे पास किसी भी तरह की शिकायत मिल रही है तो इस पर तुंरत कार्रवाई की जा रही है। थोड़ी तकनीकि दिक्कत होने के कारण शिक्षा विभाग बाध्य है। हालांकि समय-समय पर बोर्ड को इसकी जानकारी दी जाती है। जिसके बाद वे एक्शन लेते हैैं।
:- प्रदीप सिंह रावत, सीईओ, देहरादून

Posted By: Inextlive