बनारस: 'पीपली लाइव बन गया है ये चुनाव'
पर जब ख़ुद विपक्षी गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और इस चुनाव के केंद्रीय व्यक्तित्व से बन गए नरेंद्र मोदी वहाँ से उम्मीदवार हों तो ऐसा होने पर आश्चर्य कैसा?फिर बात सिर्फ़ मोदी तक भी तो सीमित नहीं. उन्हें चुनौती देने वाले भी तो राजनीति में सबसे तेज़ी से उभरे शख़्स अरविंद केजरीवाल हैं.ऐसे में देश-दुनिया की उत्सुकता होना स्वाभाविक ही है. मगर जिस तरह मीडिया ने चुनाव के अंतिम चरण में वहाँ डेरा डाला, उसे देखते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय की छात्रा अंशा ने बनारस को 'पीपली लाइव जैसा चुनावी सर्कस' बता दिया.कैंपस हैंगआउटबीबीसी कैंपस हैंगआउट की अंतिम कड़ी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रबंध शास्त्र संकाय में आयोजित हुई. छात्र-छात्राओं ने अपने मुद्दे खुलकर बेबाक तरीक़े से गिनाए.
दर्शन कुमार झा ने इस माहौल को 'ग्लैमरस सपने' का नाम दिया, जिसका टूटना उनके मुताबिक़ तय है तो वहीं सुनील कुमार सोनकर ने बनारस को आज भी मध्यकालीन भारत का शहर बताया."बनारस एक चुनावी सर्कस में बदल गया है, ये पूरी तरह पीपली लाइव हो गया है. मगर चुनाव के बाद ये फ़ोकस जल्द ही ख़त्म हो जाएगा."-अंशा, छात्रा, काशी हिंदू विश्वविद्यालय
अंशा को इस चुनाव से बनारस के लिए ज़्यादा उम्मीद नज़र नहीं आती. उन्होंने कहा, "बनारस एक चुनावी सर्कस में बदल गया है, ये पूरी तरह पीपली लाइव हो गया है. मगर चुनाव के बाद ये फ़ोकस जल्द ही ख़त्म हो जाएगा."'पीपली लाइव' वो फ़िल्म थी जिसमें नत्था नाम के किरदार की आत्महत्या की घोषणा के बाद पूरे घटनाक्रम के लाइव कवरेज के लिए मीडिया पर व्यंग्य कसा गया था.'सिर्फ़ गंगा ही नहीं'
मगर जो बात इस पूरी बहस से सहज रूप में समझ में आई वो ये थी कि इतनी बार विकास के वायदों के बाद भी विकास नहीं पाने वाले शहरवासी अब किसी भी प्रत्याशी पर आँखें मूँदकर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं.