जंगल में अब हरा चारा भी मयस्सर नहीं
वापस भेजा था जंगलवाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट की मानें तो लखनऊ में पिछले पांच सालों में टाइगर और पैंथर्स जंगली इलाकों से निकल कर राजधानी की सीमा तक पहुंच गए थे। इनमें फैजाबाद में सामने आई नरभक्षी बाघिन थी, जिसे वन विभाग को मारने के आदेश देने पड़े थे। उसके बाद एक पीलीभीत से निकलकर लखनऊ की तरफ बढ़ रही बाघिन को वापस जंगल में भेजा गया।लाए जा चुके हैं तीन ब्लैक बक्स
इसके बाद माल में एक तेंदुआ पकड़ा गया जिसे चिडिय़ाघर में रखा गया है। इसके बाद एक और तेंदुआ पकड़ा गया, जिसे वापस दुधवा के जंगलों में छोड़ दिया गया। इसके बाद सामने लखनऊ की सीमा तक पहुंचा बाघ बादशाह। जिसे महीनों की मशक्कत के बाद पकड़ा गया और बाद में जंगल में छोड़ा गया। लेकिन इस बार ठंड में लखनऊ चिडिय़ाघर में तीन ब्लैक बक्स लाए जा चुके हैं। इनमें दो मेल और एक फीमेल हैं। इनमें से एक जोड़ा देवरिया से लाया गया है तो एक बिजनौर से लाया गया है।
हो गई मौतचिडिय़ाघर प्रशासन के अनुसार, हमें ब्लैक बक्स की ब्रीड को सुधारने के लिए वाइल्ड ब्लड की जरूरत थी। यहां पर मौजूद जेनरेशन इन ब्रीड होने के कारण कमजोर हो गई थी। इसी के चलते बीते साल के अंत में लगभग दो दर्जन ब्लैक बक्स मौत के मुंह में समा गए थे।
क्या कहते हैं अधिकारीजंगली सीमा से सटे रिहायशी इलाकों के तमाम जानवर चरने के लिए जंगल के इलाकों में भेजे जाते हैं। इसके चलते अब जंगल में हरे चारे का भी अभाव बढ़ रहा है। ऐसे में हिरण भी चारे की तलाश में रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं।- रूपक डे वाइल्ड लाइफ चीफ जंगल से लाए गए ब्लैक बक्स से चिडिय़ाघर में मौजूद इनकी ब्रीड में सुधार होगा। अब तक यहां पर तीन वाइल्ड ब्लैक बक्स लाए जा चुके हैं।- अनुपम गुप्ताडायरेक्टर जू