20 फरवरी को जीतन राम मांझी को बिहार की सत्‍ता पर अपना कब्जा बनाए रखने की दावेदारी साबित करनी है और सुनने में आ रहा है कि इस मामले में भाजपा उनके फेवर में है. लेकिन बीच में कई सवाल भी उठ रहे हैं जिनसे लगता है कि पता नहीं बीजेपी मांझी का साथ देगी या नहीं.


कभी खतरनाक कंट्रोवर्शियल बयान कभी, अपने ही बयान से पलटना और कभी अपने सर्पोट करने वाले को ही कटघरे में खड़ा करना ये कई वजह हैं जो राजनीतिक उठापटक में फंसे बिहार के मुख्यरमंत्री जीतनराम मांझी को सवालों के कटघरे में ले आती हैं और लगता है कि भाजपा भले ही ये जता रही है कि वो मांझी के साथ है लेकिन वो खुल कर उनको सर्पोट करेगी इसमें शक लगता है. आइए जाने क्या  वजह हैं जो डावा डोल करते हैं मांझी की नैय्या को.    विधायक जीतन राम के समर्थन के पक्ष में
वैसे तो बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के लिए बुधवार का दिन राहत देने वाला रहा. दिन में हाई कोर्ट ने विकास संबंधी उनकी घोषणाओं पर लगाई गई रोक हटाई तो शाम को भाजपा विधायकों ने विधानसभा में विश्वास मत के दौरान उनकी सरकार को समर्थन देने की अपनी मंशा जता दी. लेकिन इसमें अभी पेंच है क्योंकि पार्टी ने कहा है कि वे इस बाबत औपचारिक एलान विश्वास मत प्रस्ताव पेश किए जाने से ठीक पहले करेगा. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता विनोद नारायण झा ने ये यही कहा है कि विधायकों की आम राय मांझी के पक्ष में है, लेकिन नेतृत्व मौजूदा हालात पर नजर रखे हुए है और 20 फरवरी को विश्वास मत प्रस्ताव पेश होने से पहले ही इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी. मांझी की कंट्रोवर्शियल इमेज कई बार तो लगता है कि मांझी एक मंजे हुए पॉलिटीशियन नहीं है, जिसके चलते वह कई बार ऐसे बयान दे चुके हैं जिससे उनकी अपनी पार्टी की इमेज कंट्रोवर्सी से घिर जाती है इसी वजह से ही उन्हें सत्ता देने वाले नीतीश कुमार उनके अगेंस्ट हुए और मौजूदा संकट पैदा हुआ. ऐसे में बीजेपी को भी अपनी स्ट्रेटजी सोच समझ कर बनानी होगी क्योंकी मांझी जितना बोलेंगे उतनी ही प्राब्लम्स क्रिएट करेंगे ये वो नीतीश को परेशान करके साबित भी कर चुके हैं. बीजेपी की इमेज कांशसनेस दिल्ली  में मुंह की खा चुकी भजपा अब कोई नया बखेड़ा नहीं चाहेगी. मांझी अपने बड़बोलेपन से बाज नहीं आयेंगे और अरविंद केजरीवाल पर पर्सनल अटैक करके वो नतीजा भुगत चुकी भाजपा ऐसी बयानबाजी से बचना चाहेगी. लिहाजा सर्मथन से पहले सोचना होगा बीजेपी को क्योंकि वैसे भी विधायकों के सर्पोट के बावजूद बहुमत पूरा होगा या नहीं ये भी अभी पूरी तरह से साफ नहीं है. अगर नंबर पूरा नहीं हुआ और सर्मथन देकर भी सरकार नहीं बनवा सकी बीजेपी तो एक बार फिर उसे नीचा देखना पड़ सकता है.


खुलकर समर्थन क्यों नहीं दे रही भाजपा: नीतीशवहीं पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार की रात भाजपा पर फिर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि आखिर वह जीतन राम मांझी को समर्थन देने का खुलकर क्यों नहीं एलान करती? भाजपा की स्थिति गुड़ खाएं लेकिन गुलगुले से परहेज वाली हो गई है. विधायक दल की बैठक बुलाई लेकिन साफ फैसला लेने की जगह यह कह रहे हैं विधायकों की आम राय है कि मांझी को समर्थन दिया जाए.

पूर्व मंत्री विजय कुमार चौधरी के आवास पर डिनर में जुटे जदयू, राजद, कांग्रेस, भाकपा एवं निर्दलीय विधायकों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे मालूम है कि मांझी दिल्ली क्यों गए थे. भाजपा समझती है कि मुझे पता ही नहीं चलता. आखिर 17 साल तक उनके साथ गठबंधन रहा है. मांझी तीन काम के लिए वहां गए थे. पहला तो गुप्त मतदान की व्यवस्था हो, दूसरा कि स्पीकर को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाए और तीसरा यह कि उन्हें समर्थन दिया जाए, लेकिन यह नौटंकी और तिकड़म चलने वाला नहीं है. नीतीश ने कहा, ममता बनर्जी ने भी हमें समर्थन दिया है. मायावती ने तो यहां तक कहा है कि अगर बिहार में राष्ट्रपति शासन लगा तो इस प्रस्ताव को राज्यसभा में पारित नहीं होने देंगे. उन्होंने प्रशानमंत्री मोदी को भी कहा है कि बिहार में भी उनकी पार्टी का दिल्ली जैसा ही हाल होगा. अब इस बात ने भी भाजपा को सतर्क होने के लिए मजबूर कर दिया है.

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Posted By: Molly Seth