कानपुर से स्थानीय पत्रकार रोहित घोष ने बताया है कि बुधवार को क़रीब आधी रात डॉक्टरों ने हड़ताल वापिस ले ली.

राज्य सरकार ने गुरुवार से एस्मा लगाने की बात कही थी.

भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर देवेंद्र लालचंदानी के मुताबिक़ एस्मा लगने की आशंका की वजह से डॉक्टर गुरुवार को काम पर लौट आए हैं.

लेकिन जेल में बंद 24 जूनियर डॉक्टरों को बिना शर्त रिहा करने की हड़ताली डॉक्टरों की मुख्य मांग पूरी नहीं की गई है.

अदालत का आदेश

इससे पहले बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में हड़ताल कर रहे डॉक्टरों से कहा था कि वो अपने काम पर लौट जाएं.

साथ ही अदालत ने हाईकोर्ट ने कानपुर के एसएसपी के तबादले का भी आदेश दिए थे.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों की हड़ताल के कारण ठप हो गई चिकित्सा व्यवस्था पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए सरकार को नोटिस भेजा था और चार हफ़्तों के भीतर जवाब मांगा था.

डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई थीं और लोगों को काफ़ी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ा.

मामला

सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के विधायक इरफ़ान सोलंकी की 28 फ़रवरी को कानपुर में मेडिकल कॉलेज के पास झड़प हो गयी थी. डॉक्टरों का आरोप है कि उसके बाद पुलिस कॉलेज के हॉस्टल में गई और उनको बर्बरता से पीटा.

इसके बाद पुलिस द्वारा कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में घुस के छात्रों और प्रोफ़ेसरों की पिटाई और गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ डॉक्टरों ने पूरे उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर दी थीं.

पुलिस ने 24 छात्रों को गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया था.

हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की मांग थी कि कानपुर प्रशासन 24 छात्रों के ख़िलाफ़ लगे सभी आरोपों को वापस लेकर उन्हें जेल से रिहा करे, घटना की न्यायिक जांच हो, कानपुर के एसएसपी को निलंबित किया जाए या हटाया जाए और इरफ़ान सोलंकी के ख़िलाफ़ मुकदमा चलाया जाए.

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