- आठ साल पहले बिछाई गई सैकड़ों किमी। केबल

- मेन लाइन से अब तक नहीं जोड़ा, करोड़ों का नुकसान

आगरा। बीएसएनएल की केबल चारों ओर बिछी हैं। यहीं नहीं शहर से गांव-गांव तक केबल बिछाने का काम 10 साल पहले से किया जा रहा है। इनकी केबलों का जाल प्राइवेट कंपनियों से कहीं ज्यादा है। लेकिन इसके बाद भी बीएसएनएल का नेटवर्क गायब क्यों रहता है? इसकी वजह भी अधिकारी अच्छी तरह से जानते हैं। बावजूद इसके केबल बिछाने के खेल का खुलासे करने के बजाय चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे बीएसएनएल को करोड़ों रुपए का नुकसान भी हो रहा है।

बीएसएनएल ने शहरों में कनेक्टिविटी (नेटवर्क) बढ़ाने के लिए ओएफसी (ऑप्टिकल फाइबर केबल) लाइनें बिछाई। ये एक-दो नहीं बल्कि सात से आठ लाइनें बिछाई गईं। जो लगभग 300 किलोमीटर के दायरे में फैली हुई हैं। ये लाइनें 2009 से लेकर 2012 तक अलग-अलग क्षेत्रों में बिछाई गईं। इसका मकसद बीएसएनएल का नेटवर्क मजबूत करना था। लेकिन लाइनों को बिछाकर मेन लाइन से जोड़ा नहीं गया। इसके नेटवर्क की भी टेस्टिंग नहीं की गई। करोड़ों रुपये केबल बिछाने के नाम पर जमीन के नीचे दफन हो गए। ये लाइन अब तक चालू नहीं हो सकी हैं। बीएसएनल विभाग अब इन स्थानो पर दोबारा लाइन बिछाकर करोड़ों रुपये फूंकने के लिए तैयार है।

एनटीपी ने नहीं किया हैंडओवर

नार्दन टेलीकॉम प्रोजेक्ट (एनटीपी) की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी नेटवर्को को जोड़ने का काम 2006 से 2012 तक किया गया। इस बीच 300 से अधिक किलोमीटर तक ओएफसी लाइनें बिछाई गई। लाइन टेस्टिंग करके नेटवर्क से जोड़कर एनटीआर (नार्दन टेलीकॉम रीजन) विभाग को हैंडओवर करना था। लेकिन एनटीपी ने अब तक लाइनें एनटीआर को नहीं सौंपी। लिहाज आठ से 10 सालों की लाइन को अब तक उपयोग में नहीं लाया जा सका। कई लाइनों में फाल्ट आ चुके हैं। उसे अब चुपचाप बदलने की तैयारी है।

अब कर रहे चालू करने की कवायद

बीएसएनएल के एनटीपी की कारगुजारी सामने आई, तो अधिकारी भी हरकत में आ गए। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लाइनें पड़ी थीं। उन्हें टी-1 से जोड़ा नहीं जा सका है। इस वजह से उपयोग में नहीं लाई जा सकी हैं। इसे अब मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा।