24 दिसंबर: प्रीतमनगर धूमनगंज निवासी महेंद्र ने जहर खाकर किया सुसाइड।
25 दिसंबर: धूमनगंज के अलका विहार कॉलोनी में अंजना सिंह का फांसी से लटकता मिला शव।
26 दिसंबर: कालिंदपुरम में सुनयना ने फांसी लगाकर दी जान
27 दिसंबर: मांडा के खमनिया गांव निवासी रीना ने लगाई फांसी
27 दिसंबर: हंडिया के जलालपुर गांव में महिला ने बेटी के साथ कुएं में कूदकर दी जान
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केसेस करीब हर माह पहुंच रहे मनोचिकित्सक के पास
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दिन में आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने किया सुसाइड
थोड़ा सा प्रयास व समझदारी दिखा कर अपनों को सुसाइड से बचा सकते हैं आप
छह दिन में आधा दर्जन से अधिक परिवारों में तनाव मचा चुका है कोहराम
PRAYAGRAJ: डिप्रेशन जिंदगी का दुश्मन बन चुका है। हंसते-खेलते परिवार की खुशियां इस डिप्रेशन की भेंट चढ़ जा रही हैं। पिछले पांच दिनों के भीतर जिले में आधा दर्जन से अधिक लोग खुदकुशी कर चुके हैं। सुसाइड की ज्यादातर घटनाएं धूमनगंज एरिया में हुई हैं। जान देने वालों में महिलाओं की तादात ज्यादा रही। पुलिस और डॉक्टर दोनों इसके पीछे डिप्रेशन को वजह बता रहे हैं। मनोचिकित्सक बताते हैं कि हर रोज 60 से 70 डिप्रेशन के शिकार काउंसिलिंग के लिए हॉस्पिटल में आ रहे हैं।
डिप्रेशन में घातक है ठंड
काल्विन हॉस्पिटल में काउंसलिंग के लिए सरकार की तरफ से इंतजाम किए गए हैं। यहां पर बाकायदा मन कक्ष की स्थापना की गई है। यहां पर मनोचिकित्सक ऐसे लोगों की काउंसिलिंग कर उन्हें मोटिवेट करते हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि सिचुएशन काफी ज्यादा खराब है। उनका दावा है डिप्रेशन के पेशेंट्स के लिए ठंड का मौसम काफी ज्यादा घातक है। ऐसे में जरूरी है कि डिप्रेशन के पेशेंट्स का खास ख्याल रखा जाए। काल्विन हॉस्पिटल में हर माह 60 से 70 डिप्रेशन के मरीज पहुंच रहे हैं।
तब डिप्रेशन हो जाता है हावी
-यंग हों या चाइल्ड, पुरुष हों या महिला डिप्रेशन किसी को भी अपनी आगोश में ले सकता है।
-डिप्रेशन के तीन प्रकार होते हैं, माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर। डॉक्टर कहते हैं सीवियर ग्रेड में जाने पर ही मन में सुसाइड के थॉट्स आते हैं।
-भागदौड़ भरी जिंदगी में आराम न मिलना, परिवार में विचारों से भिन्न होना व सामंजस्य न बैठा पाना इसकी वजह है।
-ऑफिस की बातों, काम के बोझ को लेकर घर में भी सोचते रहने और परिवार में अपनी बात को शेयर न करने से भी यह समस्या आ सकती है।
- कभी-कभी अपनी बात को परिवार में रखने के बाद उसे परिजनों द्वारा तवज्जो न दिया जाना भी इस समस्या का कारण बन जाता है।
-यह स्थिति बच्चों, युवाओं और महिलाओं में ज्यादा देखने व सुनने को मिलती है।
इस तरह से पहचानें लक्षण
-डिप्रेशन के कई लक्षण होते हैं, जिसको थोड़ी सी समझदारी दिखाते हुए पहचाना जा सकता है।
-मनोचिकित्सक बताते हैं कि डिप्रेशन में आने के पहले कोई भी हो, उसके नेचर में अचानक चेंज आ जाता है।
-हर छोटी-छोटी बात पर उसके अंदर झुंझलाहट व किसी भी काम को इंकार करने की प्रवृत्ति आती है।
-डिप्रेशन में आया व्यक्ति ज्यादातर बिना काम के भी घर के बजाय बाहर रहने की कोशिश करने लगता है।
-उसका पढ़ाई हो या फिर ऑफिस अथवा घर कहीं पर भी किसी भी काम में मन नहीं लगता, दबाव पर बेमन से करता है।
-घर या ऑफिस में हर व्यक्ति की अच्छी बात को भी अपने खिलाफ व साजिश के रूप में समझने लगता है
-डिप्रेशन में आए व्यक्ति को दिन तो दूर रात में भी नींद नहीं आती, वह किसी एक बात को लेकर मन ही मन सोचता रहता है
अपनों की जिंदगी को ऐसे बचाएं
-बताए गए लक्षण घर या ऑफिस के किसी भी सदस्य में दिखाई दे तो बगैर देर दिए काउंसलिंग या उपचार की व्यवस्था करें।
-शहर के काल्विन हॉस्पिटल में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मनोचिकित्सकों की पोस्टिंग की गई है।
-इन डॉक्टरों को विशेष तौर पर डिप्रेशन के शिकार लोगों का उपचार करने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है।
-पीडि़त व्यक्ति को लेकर यहां पहुंचे अपनी सारी बात को बेहिचक डॉक्टरों से शेयर करें और उपचार करवाएं।
-इस सुविधा के लिए यहां कोई कोई एक्स्ट्रा चार्ज या फिर कागज की जरूरत नहीं है, अस्पताल का पर्चा ही पर्याप्त है
-सरकार की तरफ से ऐसे मरीजों के लिए हेल्प लाइन नंबर 7705979478 जारी किए गए हैं, इस पर भी मदद ले सकते हैं
ठंड के मौसम में डिप्रेशन अपने चरम पर पहुंच जाता है। ऐसे में पुराने पेशेंट्स को लेकर और ज्यादा अवेयर होने की जरूरत है। बिहैवियर में चेंज दिखे तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं।
-डॉ। अजय मिश्रा,
मनोचिकित्सक, काल्विन हॉस्पिटल
आज के वक्त में लाइफ बहुत हेक्टिक हो गई है। ऐसे में लोग चीजों को मैनेज नहीं कर पा रहे हैं। लोग सोशल मीडिया पर तो एक्टिव हैं, पर पर्सनल इंटरैक्शन की कमी लोगों को डिप्रेशन का शिकार बना रही है।
डॉ। इशान्या राज,
मनोवैज्ञानिक, काल्विन हॉस्पिटल