इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की थी अंतरिम राहत, जिसके बाद छोड़ना था असिस्टेंट रजिस्ट्रार का पद

मृतक आश्रित कोटे से 20 वर्ष पहले मिला था पद

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ा है। एयू एडमिनिस्ट्रेशन ने असिस्टेंट रजिस्ट्रार डॉ। राजेन्द्र त्रिपाठी की सैलरी रोक दी है। यह निर्णय कोर्ट के आदेश के अनुपालन में लिया गया है। कोर्ट ने कुछ माह पहले राजेन्द्र त्रिपाठी के स्टे को खारिज कर दिया था। यह स्टे लम्बे समय से हाइकोर्ट में विचाराधीन था। यह मामला उनकी नियुक्ति से रिलेटेड है। जिसमें कोर्ट के फैसले के बाद भी एयू एडमिनिस्ट्रेशन को अग्रिम कार्रवाई के लिए कदम उठाने में लम्बा समय लगना चर्चा एवं आश्चर्य का विषय है। उनसे वेतन की रिकवरी एवं क्लास थर्ड इम्पलाई की पोस्ट पर भेजने की बावत रजिस्ट्रार डॉ। एनके शुक्ला ने वेतन रोके जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि जो नियमों के आलोक में होगा, वह फैसला लिया जाएगा।

बने रहना चाहते थे एआर

गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के असिस्टेंट रजिस्ट्रार डॉ। राजेन्द्र त्रिपाठी की याचिका खारिज कर दी थी। जिसमें 26 अक्टूबर 1996 तथा 10 सितम्बर 1996 के आदेशों को निरस्त करने का अनुतोष मांगा गया था। याचिका में मृतक आश्रित कोटे से मनोविज्ञान विभाग में प्रवक्ता पद की दो रिक्तियों के तहत याची को प्रवक्ता पद पर नियुक्त करने का आदेश भी पारित करने का अनुरोध किया गया था। यही नहीं याचिका में कहा गया था कि डॉ। त्रिपाठी को सहायक कुलसचिव के रूप में काम करने से तब तक न रोका जाये जब तक कि यह याचिका लम्बित है।

नियुक्ति को किया था चैलेंज

न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति शमशेर बहादुर सिंह की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि डॉ। त्रिपाठी की याचिका में हस्तक्षेप करने का कोई आधार पूरी पत्रावली के अवलोकन से नहीं मिला इसलिए यह याचिका निरस्त की जाती है। कोर्ट ने कहा कि डॉ। त्रिपाठी को इस याचिका से कोई अंतरिम राहत भी मिली हो तो उसे भी खारिज किया जाता है। कोर्ट ने उपलब्ध पत्रावली का पूरा अवलोकन किया और मेरिट पर याचिका (रिट ए-39606/1996) खारिज कर दिया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1994 में मृतक आश्रित कोटे के तहत डॉ। राजेन्द्र त्रिपाठी की नियुक्ति इविवि में असिस्टेंट रजिस्ट्रार के पद पर की गयी थी। इनकी नियुक्ति को यह कहकर चैलेंज किया गया था कि असिस्टेंट रजिस्ट्रार पद को मृतक आश्रित कोटे से नहीं भरा जा सकता है।

करीब बीस साल से था कब्जा

इस संबंध में राज्य सरकार ने 1996 में कहा था कि असिस्टेंट रजिस्ट्रार का पद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अंतर्गत आता है। इस पद पर मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति नहीं दी जा सकती है। राज्य सरकार के इस निर्देश के आलोक में इविवि के तत्कालीन कुलपति प्रो। एससी श्रीवास्तव ने डॉ। राजेन्द्र त्रिपाठी की एआर पद पर की गयी नियुक्ति को रद कर दिया। साथ ही कहा गया कि मृतक आश्रित कोटे के तहत इन्हें मनोविज्ञान विभाग में रिसर्च असिस्टेंट (शोध सहायक) का पद दिया जाता है। इस आदेश के खिलाफ डॉ। राजेन्द्र त्रिपाठी हाईकोर्ट चले गये और वहां से मिले स्थगनादेश के बाद वह लगभग पिछले बीस वर्षो से असिस्टेंट रजिस्ट्रार के रूप में कार्य कर रहे थे।