प्रयागराज (ब्‍यूरो)। राजू पाल अब इस दुनियां में नहीं हैं। बेहद चौंकाने वाला फैक्ट यह भी है कि राजू पाल के साथ ही उनके खानदान का नाम लेने वाला भी खत्म हो गया। राजू पाल का दाम्पत्य जीवन कुल नौ दिनों का ही रहा। इस रिश्ते से उन्हें कोई संतान नहीं थी। पत्नी पूजा पाल ने पति के हत्यारों को सजा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और सब कुछ सहते हुए भी अपना संघर्ष जारी रखा। शुक्रवार को इस संघर्ष का परिणाम सामने आया तो उन्होंने सुकून की सांस ली। बता दें कि वह खुद भी अब दूसरी शादी कर चुकी हैं।

पिता की भी हुई थी हत्या
राजू पाल मूल रूप से निहालपुर के रहने वाले थे। उनके पिता बांके लाल पाल दो भाई थे। गांव में उनका रसूख भी था क्योंकि वह अरहर की खेती बड़े पैमाने पर करने के साथ ही डेरी फॉर्म भी चलाया करते थे। बांके लाल पाल की उनकी ही डेरी के भीतर हत्या की गयी थी। हत्या के कारणों को लेकर तरह तरह के कयास लगाये गये थे क्योंकि उनकी किसी से सीधे कोई दुश्मनी नहीं थी। पूजा पाल बताती हैं कि मामला 1992 के आसपास का है जब बांके लाल पाल ने अपनी कुछ जमीन बेची थी। इस जमीन का आधा भुगतान किया गया था और आधा भुगतान किया जाना बाकी थी। चर्चा थी कि खरीदार बाकी पैसे का भुगतान नहीं करना चाहते थे तो उन्होंने दो लड़कों को भेजकर डेरी फॉर्म के भीतर ही बम से मारकर हत्या कर दी थी।

मां ने छोड़ दिया ससुराल, मायके में गुजरा जीवन
बांके लाल पाल की हत्या के बाद राजू को लेकर उनकी मां रानी पाल अपने मायके नीवां आ गयीं। वह स्वास्थ्य विभाग में एएनएम थीं तो यहां रहकर उन्होंने राजू का पालन पोषण किया। इकलौते होने के चलते राजू पाल की शुरू से ही थोड़ा मनबढ़ था। इसके बाद भी वह सीजनल खेती खुद भी करता था और करवाकर सब्जियां व फल आदि बेचा करता था। इसके चलते उसका गांव में दबदबा भी बनने लगा था। इस दौर में अतीक के गुर्गों ने इस बेल्ट की जमीन की खरीद फरोख्त शुरू कर दी थी। तब हाथ से ही पूरा लिखा पढ़ी होती थी तो जमीन पर कब्जा कर लेने के बाद अतीक के गुर्गे पूरा भुगतान नहीं करते थे। राजू इन लोगों के रास्ते में आने लगा। इसके चलते चर्चा में आ गया और उसकी एक पहचान बनने लगी। इसी पहचान के दम पर राजू पाल अपनी बिरादरी में बेहद लोकप्रिय हो गया। उसे उन लोगों का भी साथ मिल गया जो लोग अतीक के सताये हुए थे। इसी के दम पर उसने अतीक को सीधा चैलेंज किया और अतीक के सांसद बनने से रिक्त हुई सीट पर अशरफ को हराने में कामयाब हो गया।

पत्नी भी हैं हत्या की आरोपित
पति राजू को इंसाफ दिलाने के लिए अब तक संघर्ष करने वाली पत्नी पूजा पाल के खिलाफ भी अब कई मामले दर्ज हो चुके हैं। इसमें हत्या का भी एक मामला है। पूजा पाल बताती हैं कि यह घटना सुप्रीम कोर्ट से राजू पाल हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपने के बाद सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में हुई थी। कोर्ट के आदेश के कुछ ही दिनों बाद रात में एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या की गयी। इसमें पूजा पाल के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज है। इस केस को भी सीबीआई ही हैंडिल कर रही है। इसका भी ट्रायल सीबीआई की स्पेशल कोर्ट नंबर एक में शुरू हो चुका है।

राजू ने दी थी अतीक की बादशाहत को चुनौती
शहर पश्चिमी ऐसी सीट थी जहां सिर्फ अतीक अहमद की तूती बोलती थी। वह निर्दलीय लड़े, सपा के समर्थन से लड़े और अपना दल से। चुनाव चिह्न बदलते गए लेकिन जीत हमेशा अतीक के ही खाते में गई। पहली बार अतीक को चुनौती मिली थी 2004 के विधानसभा उप चुनाव में। अतीक खुद सांसद निर्वाचित हो गया तो यह सीट खाली हो गयी। इस सीट पर उप चुनाव हुआ तो सपा के टिकट पर अतीक का भाई अशरफ था तो उसके सामने बसपा के टिकट पर राजू पाल। प्रदेश के वर्तमान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने भाजपा के टिकट पर किस्मत आजमायी थी। केशव प्रसाद मौर्य तीसरे स्थान पर चले गये और सीधा मुकाबला अशरफ व राजू पाल के बीच ही आकर सिमट गया। इस हार को अतीक व उनके समर्थक पचा नहीं पा रहे थे। इस चुनाव में राजू पाल ने एक नारा दिया था 'हारे तो बम चलेगा, जीते तो रमÓ यह नारा काम कर दिया। अलग बात है कि राजू पाल की हत्या के बाद इस सीट पर 2005 में फिर से उप चुनाव हुआ तो बसपा के टिकट पर ही राजू की पत्नी पूजा पाल के खाते में शिकस्त आयी और अशरफ विधायक बन गया।

ससुराल से गिरफ्तार हुआ था एक लाख का इनामी अशरफ
राजू पाल के मर्डर के एक महीने बाद अशरफ को लखनऊ से बड़े ही नाटकीय अंदाज में अरेस्ट किया था। अशरफ ने 2005 का उप चुनाव जेल से रहते ही लड़ा और जीता था। इलेक्शन जीतने के बाद अशरफ को जमानत पर रिहा कर दिया था। सूबे में साइकिल की विदाई हुई और हाथी को ताज मिला तो अशरफ गायब हो गया। पहले वह 15 हजार का इनामी हुआ। इसके बाद उसके सिर पर 50 हजार व एक लाख रुपए का इनाम घोषित हुआ। एसटीएफ ने अशरफ को 30 अप्रैल 2011 नोएडा से दबोच लिया था। वह एक होटल से निकलकर कार में सवार होने जा रहा था। अशरफ बसपा की सरकार बनने के बाद कभी नेपाल में बताया जाता तो कभी चर्चा उड़ जाती कि वह दुबई में है। पुलिस का दावा था कि अशरफ ने फरारी का वक्त असम, पश्चिम बंगाल, मुंबई, कर्नाटक में काटा व पहचान व वेश बदल लिया। अशरफ को प्रयागराज पुलिस ने उसकी पुरामुफ्ती स्थित ससुराल से 3 जुलाई 2020 को गिरफ्तार किया था। तब वह एक लाख का इनामी हो चुका था। अशरफ को सुरक्षा कारणों से बात में बरेली जेल शिफ्ट कर दिया गया। पिछले साल 15 अप्रैल को प्रयागराज में पुलिस कस्टडी में हत्या के समय अशरफ को पुलिस ने उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया था।