प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शहर के फ्यूल पम्पों पर यूरिनल बेसिन से लेकर टॉयलेट की स्थिति काफी खराब है। कहीं पर यूरिनल और बेसिनबंदे व बदबूदार हैं तो कहीं दरवाजे में ताला लगा है। गाडिय़ों में पेट्रोल और डीजल भरने वाले कर्मचारी ही नहीं जिम्मेदार भी इस समस्या पर बहाने बताते रहे। चेकिंग व कार्रवाई के जिम्मेदारों के द्वारा उपेक्षा की पोल फ्यूल पम्पों पर टॉयलेट व यूरिनल बेसिन की स्थिति खुद-ब-खुद कर रही है। यह सच्चाई शनिवार को 'दैनिक जागरण आईनेक्स्टÓ द्वारा किए गए रियलिटी चेक में सामने आई।

व्यवस्था तो है सफाई नहीं है
टॉयलेट और यूरीनल की व्यवस्था चेक करने के लिए शनिवार दोपहर रिपोर्टर ने धोबीघाट फ्यूल पम्प पर पहुंचा। इस फ्यूल पम्प टॉयलेट और यूरिनल बेसिन की व्यवस्था है। बोर्ड भी सामने एक कोने पर लिखा गया है, जहां आसानी से लोगों की नजर पड़ सके। गौर करने वाली बात यह रही कि यहां गंदगी अपार थी। ठीक से सफाई नहीं होने के कारण फर्स पर लगी टाइल्स के ऊपर जमी गंदगी से उसका कलर ही चेंज हो गया है। यहां से उठ रही दुर्गंध पब्लिक को अपना कदम आगे बढ़ाने से रोक रही थी। महिलाओं के लिए यहां पर यूरिनल प्लेस की अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। गाडिय़ों में डीजल व पेट्रोल भरने वाले कर्मचारियों से सवाल पर बताया गया कि मैनेजर जहां से डीजल व पेट्रोल की गाडिय़ां आती हैं वहीं गए हुए हैं।

टॉयलेट तो है मगर अभी बंद है
रिपोर्टर आगे बढ़ा और एकलव्य चौराहे से सिविल लाइंस की तरफ टर्न हुआ। थोड़ी दूर इस रोड पर बढ़ते ही बाईं तरफ एक फ्यूल पम्प नजर आया। यहां शौचालय का कहीं कोई बोर्ड दिखाई नहीं दिखा। मशीन के पास गाडिय़ों में पेट्रोल व डीजल भर रहे कर्मचारियों से सवाल किया कि टॉयलेट किधर है? जवाब मिला टॉयलेट तो है पर अभी बंद चल रहा है। उनकी के इस जवाब पर रिपोर्टर ने पूछा कि बंद होने का कारण क्या है? कर्मचारियों ने उत्तर दिया कि अभी उसका मेंटिनेंस चल रहा है। कब से काम शुरू है और कब तक पूरा होगा वे इस सवाल का जवाब नहीं दे सके। रिपोर्टर मैनेजर की केविन में जा पहुंचा तो कुर्सी खाली थी। सामने बैठे दो में एक ने कहा कि मैनेजर साहब आएंगे तो आइएगा। सार्वजनिक यूरिनल की भी व्यवस्था अलग से कहीं यहां पर नजर आई नहीं आई।

इस फ्यूल पम्प के टॉयलेट पर ताला
एकलव्य चौराहे के आगे हाईकोर्ट रोड पर आटोसेल चौराहा पर भी एक पेट्रोल पम्प है। रिपोर्टर यहां पर पहुंचा तो टॉयलेट का बोर्ड इस फ्यूल पम्प पर नहीं दिखा। गाडिय़ों में पेट्रोल व डीजल भर रहे कर्मचारियों से टॉयलेट के बारे पूछने पर पता चला कि बिल्डिंग में अंदर की तरफ है। बगैर देर किए उस तरफ जाने पर एक दरवाजे के पास शौचालय का छोटा सा बोर्ड दिखाई दिया। शौचालय के दरवाजे में लगे ताले पर पड़ी धूल की परत काफी दिनों से बंद होने की चुगली कर रही थी। इस दरवाजे के सामने बाइक ऐसे खड़ी की गई थी मानों वाहन स्टैंड हो। खैर फोटो खीचते देख एक गार्ड को आपत्ति हो गई। उसके द्वारा फोटो खीचने के कारण को लेकर किए गए सवाल का जवाब देते ही वह उछल पड़ा। मानों बंद टॉयलेट के दरवाजे की फोटो खीच कोई गुनाह कर दिया गया हो। खैर रिपोर्टर अपनी बाइक की तरफ बढ़ ही रहता था कि एक शख्स ने आवाज दिया। अरे भाई साहब, आइए हम गेट खुलवा देते हैं। ओएशौचालय की चाबी ले आओ और पांच मिनट बीत गए पर चाबी नहीं आई। इसके बाद रिपोर्टर वहां से अपनी बाइक लिया और ऑफिस पहुंचने के लिए निकल पड़ा।

फ्यूल पम्पों पर ग्राहकों की सुविधा से जुड़ी चीजों की कंडीशन ठीक नहीं है। आप तो तीन चार फ्यूल पम्प ही गए। शहर के ज्यादातर फ्यूल पम्पों पर टायलेट केवल नाम और कोरम पूरा करने के लिए बनाए गए हैं। कहीं जहां पर यूरिनल प्लेस व बेसिन लगाई गई कुछ को छोड़ दिया जाय तो गंदगी व दुर्गंध से लोग वहां जाना उचित नहीं समझते।
उमाकांत सरोज, सलोरी

फ्यूल पम्पों पर कस्टमर के लिए टॉयलेट ही नहीं, पानी व हवा तक की व्यवस्थाएं होनी चाहिए। मगर खराब स्थिति टॉयलेट व यूरिनल बेसिन की है। फ्यूल पम्पों पर महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट या यूरिनल प्लेस नहीं बनाए गए हैं। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं को होती है।
पंकज मिश्रा, म्योहराबाद

जब शहर में ही फ्यूल पम्पों के टायलेट की कंडीशन ठीक नहीं तो ग्रामीण क्षेत्रों के फ्यूल पम्पों की स्थिति के बारे में सोचा जा सकता है। हम तो कहते हैं कि अधिकारियों को चेकिंग करके यह व्यवस्था अविलंब दुरुस्त कराई जानी चाहिए। खासकर हर फ्यूल पम्पों पर महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट का होना जरूरी है।
मंजीत कुमार, चांदपुर सलोरी