तगड़ी सुरक्षा में सजी हुई अंजुमनें निकली, डीजे नहीं कार में म्यूजिक बजे

पुराना शहर दुल्हन की तरह सजाया, पहली बार सिर्फ 18 कार और 10 बाइक जुलूस में हुई शामिल

बरेली : पुराना शहर दुल्हन की तरह रंग बिरंगी रोशनी से सजाया गया। मौका ईदमिलादुन्नबी का था। परचम कुशाई से जुलूस की शुरुआत हुई। इतिहास में पहली बार भव्य जुलूस की जगह 18 कार और 10 सजी हुई बाइक शामिल हुईं। अरबी, पठानी वेशभूषा में सजे युवकों को देखने के लिए लोग उमड़े। पुलिस के सख्त पहरे में निकले जुलूस में ऐसे कार या बाइक वालों को सड़क पर आने ही नहीं दिया गया, जिनके पास पास नहीं थे। कार में बजने वाले संगीत में सरकार की आमद मरहबा, रसूल की आमद मरहबा सुनाई पड़ा।

जुलूस में नहीं थे लाउडस्पीकर

जुलूस-ए-मुहम्मदी का शुभारंभ मोहल्ला मुन्ना खां के नीम पर छह मिनारा मस्जिद से हुआ। कोविड की बाध्यता की वजह से दस्तारबंदी, जुलूस में डीजे और लाउडस्पीकर कुछ नहीं लगे। खानकाहे तहसीनिया के सज्जादानशीन हस्सान रजा खां ने जुलूस की कयादत की। जुलूस शाहदाना, जगतपुर होते हुए हाफिज मियां की मजार से मुड़कर वापस मुन्ना खां की नीम पर खत्म हुआ। इस आयोजन के सजने वाला मंच भी सिर्फ दो घंटे तक रहा।

सड़क पर आने नहीं दिया, लाठियां भी फटकारी

जुलूसे मुहम्मदी में सबसे आगे परचम जुलूस पीछे सज्जादानशीन और उनके पीछे अंजुमनों के वाहन थे। इस काफिले के आगे पुलिस चल रही थी। अगर किसी ने सड़क पर आने की कोशिश की तो उन्हें लाठियां फटकारते हुए हटा दिया गया। हालांकि इस बार भीड़ कम थी।

महिलाएं बच्चे अंजुमनों पर बरसाते रहे फूल

जुलूस में सजे हुए युवक शान बनते रहे। लेकिन इस दफा अंजुमने कम होने से लोगों को मायूसी हुई। एक छहच्साल के बच्चे को छोटी इलेक्ट्रिक बाइक पर पुलिस की वर्दी में देखकर लोग खुश हुए। सड़क पर जुलूस का इस्तबाल समाजसेवी करते रहे। जबकि छतों से महिलाएं और बच्चे फूल बरसाते रहे।