- बार बार बीएसएनएल ही बन रहा है निशाना

- तहरीर के बाद भी नहीं होती है कोई कार्रवाई

- कहीं टेलीकॉम कंपनियों का हाथ तो नहीं है

<- बार बार बीएसएनएल ही बन रहा है निशाना

- तहरीर के बाद भी नहीं होती है कोई कार्रवाई

- कहीं टेलीकॉम कंपनियों का हाथ तो नहीं है

BAREILLY: BAREILLY: एक वीक पहले बीएसएनएल की ओएफसी <एक वीक पहले बीएसएनएल की ओएफसी ((ऑप्टीकल फाइबर केबल<ऑप्टीकल फाइबर केबल)) कटने से संचार सेवाएं तीन दिन तक ठप रहीं। इससे पब्लिक को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। यह पहला मौका नहीं है जब विभाग की ओएफसी केबल कटने से संचार सेवाएं ठप हुई हैं। इसके पहले भी बिजली विभाग और अन्य टेलीकॉम कंपनियों के चलते बीएसएनएल को झटका लग चुका है। कही ऐसा तो नहीं कि, यह विभाग के खिलाफ एक साजिश है। ताकि विभाग से जुड़े जितने भी कस्टमर है वह बाकी टेलीकॉम कंपनियों से जुड़े सके। हालांकिबीएसएनएल विभिन्न थानों में तहरीर भी दे चुका है। लेकिन न तो विभाग को मुआवजा मिला और न ही दोषी कंपनियों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई हुई।

बार-बार बीएसएनएल की क्यों बनता है निशाना

दरअसल, केईआई कंपनी इन दिनों बिजली विभाग का बंच कंडक्टर बिछाने का काम कर रही है। केईआई ने ही सैटरडे रात सीबीगंज और कोड़ापीर में बंच कंडक्टर बिछाने के दौरान ओएफसी को काट दिया था। जिसके चलते बीएसएनएल की संचार सेवाएं पूरी तरह से बाधित हो गयी। एक साथ 90 बीटीएस के ठप होने से हजारों कस्टमर तीन दिन तक परेशान रहे। केबल कटने से विभाग की आउटगोइंग व इनकमिंग आईएसडी, एसटीडी और लोकल कॉल प्रभावित रही। इसके पहले भी केईआई कंपनी बीएसएनएल की ओएफसी काट चुका है। कुछ दिन पहले भी बिजली विभाग के चलते बीएसएनएल के चौपुला एक्सचेंज में आग लगी थी। सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक, इसके पीछे प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों का हाथ हो सकता है। वहीं रिलायंस टेलीकॉम कंपनी द्वारा भी एक बार केबल काटने का मामला सामने आ चुका है। अधिकारियों ने इस मामले में थाने में तहरीर भी दे रखी है।

कहीं कस्टमर को तोड़ने का इरादा तो नहीं

इस समय मार्केट में टेलीकॉम कंपनियों के बीच काफी कॉम्पिटीशन है। इन सबके बावजूद बीएसएनएल के कस्टमर बरेली में सबसे अधिक हैं। एक अनुमान के मुताबिक, जिले में विभाग से तीन लाख मोबाइल यूजर्स जुड़े हुए हैं। शायद इसी वजह से अन्य टेलीकॉम कंपनियां बीएसएनएल की संचार सेवाओं को लचर करने की जुगत में हैं। जिसके चलते आए दिन विभाग की केबल कट रही है।

भुगतना पड़ रहा है नतीजा

बार-बार सर्विस बाधित होने से इसका दुष्परिणाम भी विभाग को भुगतना पड़ रहा है। विभाग के लैंडलाइन कस्टमर की संख्या कुछ समय पहले जहां एक लाख से ऊपर थी, वह आज की डेट में क्9 हजार पर आकर सिमट गई है। कुछ ऐसा ही हाल बीएसएनएल के मोबाइल यूजर्स का भी है। पिछले कुछ समय से तीन लाख से ऊपर मोबाइल यूजर्स की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है।

नहीं देते है कोई इंफॉर्मेशन

नियमत: जो भी कंपनी अपना केबल बिछाने का काम कर रही हैं,उसे पहले से जिसकी केबल बिछी हुई है, उससे संपर्क करना चाहिए। ताकि संबंधित विभाग का कर्मचारी यह बता सके कि उसका केबल जमीन के कितना नीचे है। साथ ही उसका लोकेशन क्या है। मगर, बीएसएनएल की जितनी बार भी केबल कटी है, उसे अदर कंपनियों ने कोई इंफॉर्मेशन देना उचित नहीं समझा है। अभी केईआई कंपनी की बात ले लीजिए सैटरडे को इसने बिना बताए ही सीबीगंज और कोहाड़ापीर में अपना काम शुरू कर दिया। जिसका नतीजा यह रहा है कि बीएसएनएल की संचार सेवाएं दो दिन तक पूरी तरह से ठप रही।

केबल कटने पर तहरीर दी जाती है। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होता है। विभाग को हर साल करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है। साथ की कस्टमर के बीच विभाग की जो इमेज खराब होती है वह अलग।

अतुल मिश्रा, डीजीएम, बीएसएनएल