सिटी स्कैन
शहर के 50 वार्डो को सैंपल में लिया गया है। हर एक ग्राफ में 15 वार्ड के आंकड़े लिए गए हैं। आंकड़ों को 1 से 10 की रेटिंग में औसत नंबर दिए गए हैं। 10 में से प्राप्त आंकड़ों का औसत निकाला गया है।
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वार्डो में कूड़े की स्थिति की रेटिंग
वार्ड 1 से 10- - 3
11 से 20- - 4
21 से 30- - 2
31 से 40- - 3.5
41 से 50- - 3
शहर की ओवर ऑल स्थिति
1 से 50 वार्ड में- - - 3
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- शहर के 50 वार्ड में नालियों की स्थिति पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सर्वे कर तैयार किया रिपोर्ट कार्ड
- ज्यादातर जगहों पर चोक है नालियां तो अधिकतर नालियों पर लोगों ने कर रखा है कब्जा
- 10 में से 5 मार्क्स का आंकड़ा छूना भी हुआ मुश्किल, पूरे शहर में फिर से होगी जलभराव की स्थिति
GORAKHPUR: शहर में वार्डो के विकास की सच्चाई पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने लगातार एक महीने तक ग्राउंड रिपोर्ट पब्लिश की। वार्ड की हकीकत जानने के लिए हमने विकास को पांच कैटेगिरी में बांटा। बिजली, सड़क, नाली, कूड़ा और आवारा पशु। हर कैटेगिरी को 10 नंबर दिए गए। जिसके आधार पर हर वार्ड का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया। इसके बाद एक महीने में पब्लिश की गई रिपोर्ट में जुटाए गए हर कैटेगिरी के आंकड़ों पर एक रिसर्च की गई। जिसका रेशियो निकालने पर कोई भी वार्ड 5 नंबर का आंकड़ा भी पूरा नहीं कर पाया। इसके बाद शहर की जो ओवरऑल स्थिति निकली, वह अच्छी नहीं है। किसी भी वार्ड में नाली, सड़क, बिजली, आवारा पशु से मुक्ति और कूड़े के निस्तारण की दशा वैी नहीं है जैसी कि हमको जरूरत है। आज हम आपको पहली कैटेगिरी में नालियों की दशा और दिशा से रूबरू कराएंगे क्योंकि मानसून दस्तक दे चुका है और शहर में हर साल होने वाले भीषण जलभराव में इन नालियों की स्थिति की भूमिका सबसे अहम होती है। हमारा मकसद आप तक शहर की वास्तविक स्थिति को पहुंचाना हे। जिससे आप सिर्फ सरकार पर ही ठीकरा न फोड़ें बल्कि खुद को सुधारने के लिए पहल करें।
खुलकर बोली पब्लिक
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के इस कैंपेन के दौरान पब्लिक ने भी भरपूर साथ दिया। बढ़-चढ़कर अपनी बात रखी। मोहल्ले की समस्याओं पर लोग खुलकर बोले और जिम्मेदारों को भी आड़े हाथ लिया। हालांकि कुछ जगहों पर पब्लिक की भी लापरवाही नजर आई।
50 वार्डो पर की गई रिसर्च
शहर के 50 वार्डो पर रिसर्च की गई। इनमें सिविल लाइंस प्रथम व द्वितीय, बेतियाहाता, दिलेजाकपुर, धर्मशाला बाजार, घोषीपुरवा, रुस्तमपुर, जटेपुर उत्तरी, जटेपुर रेलवे कॉलोनी, बसंतपुर, रायगंज दक्षिणी, तिवारीपुर, हाशुपुर आदि प्रमुख वार्ड हैं। रिसर्च के दौरान यह सामने आया कि शहर में जल निकासी के लिए 239 नाले हैं लेकिन न तो इनकी मरम्मत की स्थिति अच्छी है और न ही इनकी सफाई की। नाले जाम रहते हैं और इनका पानी रोड पर बहता है जिससे रोड भी खराब हो जाती है। अधिकतर एरिया में जहां नाले जर्जर हैं, वहां रोड भी उसी हालत में पाई गई।
इसलिए होती मुसीबत
- शहर में हर साल 300 से लेकर 350 एमएम तक बारिश होती है।
- लेकिन, शहर के नालों की क्षमता केवल 200 से लेकर 250 एमएम जल निकासी की है।
- ऐसे में शहर में 100 एमएम एक्स्ट्रा बारिश का पानी सड़कों, मोहल्लों में फैल जाता है।
- टाउनहाल के शिवाय होटल के बगल से एक नाली निकलती है जो गांधी गली के पहले ही समाप्त हो जाती है। शहर मे ऐसे दो दर्जन से अधिक नाले हैं जो कहीं जुड़ते नहीं हैं।
- कौआदह से 10 फीट चौड़े नालों से पानी आता है, यह नाला शाहमारूफ के पीछे 5 फीट नाले में जुड़ता है और आगे यह नाला 2 फीट चौड़ी नाली में जुड़ जाता है। गलत स्ट्रक्चर के कारण जलजमाव की समस्या होती है।
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यह हो तो बन जाए बात
- नाले और नालियों से कब्जा हटाया जाए।
- घरों और दुकानों के जो कूड़ा नालों में जाते हैं, उनको रोका जाए।
- शहर में पॉलीथिन के उपयोग न करने के लिए जागरूकता फैला जाए।
- नालों के साथ ही साथ नालियों की नियमित सफाई की जाए।
- शहर के कच्चे नालों को पक्के नालों में तब्दील किया जाए, जिससे सफाई में परेशानी न हो।
- नालों और नालियों का निर्माण मानक के हिसाब से किया जाए।
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कॉलिंग
नगर निगम के सफाई कर्मचारी सिर्फ सड़कों की सफाई करते हैं, मोहल्ले की नालियों में वह कभी हाथ तक नहीं लगाते हैं। स्थिति यह होती है कि बारिश के पानी की कौन कहे, घर से निकलने वाले पानी से ही जलजमाव हो जाता है।
- अरुण कुमार सिंह, सर्विसमैन
शहर में हर साल जलजमाव होता है, लेकिन नगर निगम इसको दूर करने का प्रयास नहीं करता है। इसके पीछे सबसे बड़ा खेल नगर निगम में तेल और सफाई पर होने वाले खर्च के लिए होता है। नगर निगम अगर ईमानदारी से कार्य करे तो शहर में जल जमाव लगभग समाप्त हो जाएगा।
- शरद कुमार यादव, स्टूडेंट
नगर निगम बने 32 साल हो गए हैं, लेकिन शहर में आज तक सीवर लाइन बिछाने का कार्य नहीं किया गया है। अगर शहर में सीवर लाइन बिछा दी जाती तो शहर का वातावरण तो साफ होता ही, जल जमाव की 80 प्रतिशत समस्या समाप्त हो जाती।
बृजेश कुमार त्रिपाठी, सोशल वर्कर
शहर में जल जमाव के लिए नगर निगम के साथ ही साथ पब्लिक भी दोषी है। शहर के कई एरिया में खुले नाले कूड़ादान में तब्दील हो गए हैं। वहीं मोहल्लों की नालियों की सफाई का कार्य नगर निगम द्वारा किया ही नहीं जाता है, स्थिति यह होती है कि बारिश होते ही जल जमाव हो जाता है।
मैनेजर यादव, सर्विसमैन
नगर निगम के नाले जो बने हैं, उनको मानक के हिसाब से बनाया ही नहीं गया है। कई एरिया में नाला काफी पतला है, जहां चौड़ा होना चाहिए। वहीं कई एरिया में रोड की सतह के बराबर नाले बना दिए गए हैं।
संतोष जायसवाल, व्यापारी