- शहर के 40 लाख लोगों को खिलाई जाएगी फाइलेरिया की दवा
- चार लेवल पर होगी मॉनीटरिंग, रविवार को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मेले से होगी शुरुआत
GORAKHPUR: गोरखपुर के 40 लाख लोगों के लिए 3932 टीम्स मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन करेंगी.10 दिनों की कड़ी मेहनत कर वह लोगों को फाइलेरिया से छुटकारा दिलाने की कोशिश करेंगी। यह टीम्स प्रॉपर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रही हैं, इसकी निगरानी के लिए सुपरवाइजर और जनपद स्तर पर ऑब्जर्वर भी लगाए गए हैं। यह जानकारी देते हुए एसीएमओ डॉ। आईवी विश्वकर्मा ने बताया कि इस मुहिम की शुरुआत 17 फरवरी से होगी, लेकिन रविवार को लगने वाले मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मेले में इसका इनॉगरेशन किया जाएगा। इसमें गर्भवती और दो साल से कम उम्र के बच्चों के अलावा बीमार लोगों को दवा नहीं खिलाई जाएगी। इस दौरान इस इवेंट का पोस्टर भी लॉन्च किया गया।
शहर में 5500 लोग इसके शिकार
फाइलेरिया की जकड़ गोरखपुराइट्स को परेशान कर रही है। शहर में इसके 5500 से ज्यादा शिकार हैं और इनकी संख्या अब लगातार बढ़ने लगी है। यही वजह है कि अब डब्ल्यूएचओ के साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने इसको जड़ से मिटाने के लिए मुहिम छेड़ दी है। पल्स पोलियो की तरह ही इस बीमारी के लिए भी अभियान चलेगा। आशा बहुएं घर-घर पहुंचेंगी और बच्चों से लेकर बूढ़े सभी को इसकी दवा खिलाएंगी। एक घर में लोगों की तादाद को ज्यादा देखते हुए एक दिन में उन्हें 25 घरों का टारगेट सौंपा गया है। वहीं इस बात की ताकीद भी की गई है कि जिस-जिस को फाइलेरिया की दवा खिलाई जाए, उसे हर हाल में पोलियो की तरह ही स्याही लगाई जाए, जिससे कि लोगों की आसानी से पहचान की जा सके।
17 फरवरी से होगी शुरुआत
मेडिकल ऑफिसर्स, हेल्थ एजुकेशन ऑफिसर्स (एचईओ), ब्लॉक कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर (बीसीपीएम) और असिस्टेंट रिसर्च ऑफिसर (एआरओ) को ट्रेनिंग दी गई है। 17 फरवरी से 29 फरवरी तक प्रस्तावित इस अभियान में आशा कार्यकर्ता घर-घर जाएंगी और अपने सामने फाइलेरिया की दवा खिलाएंगी। अभियान की मॉनीटरिंग सरकार के अलावा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और स्वयंसेवी संगठन पाथ भी करेगा। यह पहल मौका है जब फाइलेरिया को लेकर सघन अभियान चलने जा रहा है ताकि दो साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति इसकी दवा खाने से न चूके।
यह है वजह
मक्खी से फैलाया गया इंफेक्शन
मॉस्कीटो बाइट
पानी का कलेक्शन
डीफोरेस्टाइजेशन
एटमॉस्फियर में ह्यूमिडिटी
अवेयरनेस में कमी
गंदगी का फैला होना
लाइफ साइकिल मनुष्य और मच्छर में पूरी होती है
जहां गए, वहां की बीमारी
फाइलेरिया के पैरासाइट जानलेवा नहीं, लेकिन खतरनाक बहुत हैं। यह बॉडी के जिस पार्ट में जाते हैं, वहां के हिसाब से बीमारी कॉज करते हैं। अगर लिंफैटिक चैनल में गए तो लिम्फैटिक फाइलेरियासिसिस हो जाता है, तो वहीं बाउरी में नहाने और उसका पानी पीने वाले सब कुटैनियस फाइलेरियासिस का शिकार बनते हैं। सीरस कैविटी फाइलेरियासिस भी अलग वायरस की वजह से होती है।
सिंप्टम
- फेफड़े में अगर एंट्री की तो ठंड लगकर बुखार, खांसी, नाक बहना, सांस फूलना
- मॉस्कीटो बाइट के जरिए चमड़ी में तो चमड़ी पर दाने, खुजलाहट, चमड़ी कड़ी
- लिंफैटिक चैनल के थ्रू एंट्री तो गिल्टी हो जाना
- पैर में तो हाथी पांव
- कान में तो उटाइटिस मीडिया यानि कान बहने की शिकायत
- वेजाइना में तो वॉल्वोलाइटिस
- ब्रेस्ट में तो एक्सेस ऑफ ब्रेस्ट
- स्प्यूटम में तो हाइड्रोसील
- आंख में तो कंजेक्टिवाइटिस
- जोड़ों में तो अर्थाराइटिस
- पेट में तो सीरियस एब्डॉमिनल पेन
लाइफ साइकिल
मक्खी या मच्छर - प्राइमरी होस्ट
इंसेक्ट - इंटरमीडिएट होस्ट
मनुष्य - सफरर
टेस्टिंग ऐसे कराएं
ब्लड टेस्ट और सिंप्टम के जरिए पकड़ में आ जाता है।
ईपीआर टेस्ट
पस टेस्ट
एक्सरे
सिटी स्कैन
एमआरआई
बचाव
- काली मक्खी से सतर्क रहें
- मरे जानवर से दूर रहें।
- पूरे बाह का कपड़ा पहनें और मच्छर दानी लगाकर सोएं।
- ठंड लगकर बुखार चढ़े तो दो गोली क्लोरोक्वीन की खा लें, इसके बाद फौरन डॉक्टर को दिखाएं।
- घर के आसपास पानी न जमा होने दें, लारवा वहीं डेवलप होते हैं।
- इनके मच्छर रात में घरों में घुस जाते हैं। शाम होते ही घर के खिड़की दरवाजे बंद कर दें।
- मॉस्कीटो रिपलेंट, वेपोराइजर मशीन, नॉन इलेक्ट्रिक या इलेक्ट्रिक का इस्तेमाल करें।
- इनडोर रेसिडुअल स्प्रे करें यानि कि गेट की एंट्री पर स्प्रे कर दीजिए, जिससे मच्छर एंट्री ही न करें।
- गंदी या धूल भरी जगह से गुरजने पर मास्क लगाएं।
4087 केस में सात पॉजिटिव
फाइलेरिया की बात करें तो गोरखपुर से 4087 सस्पेक्टेड सैंपल कलेक्ट किए गए थे। इसमें से 7 पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें चार झरना टोला, 2 सहजनवां और एक खोराबार के हैं। एसीएमओ डॉ। आईवी विश्वकर्मा ने बताया कि अगर अभियान के 10 दिनों में कोई घर नहीं पहुंचता है, तो निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से दवा हासिल की जा सकती है। वहीं इस संबंध में 7408922170 जोकि लखनऊ का नंबर है, इस पर कंप्लेन भी की जा सकती है।