- सिटी के कई स्पॉट्स पर लगता है लंबा जाम, दो मिनट की दूरी तय होती है घंटों में

- आई नेक्स्ट ने जाम के इन रास्तों को किया प्वाइंट आउट

GORAKHPUR : कूड़ाघाट में रहने वाले शिखर का ऑफिस गोरखनाथ में है। वे रोज सुबह 8 बजे ही ऑफिस निकल जाते हैं, क्योंकि 2 किलोमीटर की दूरी तय करने में उन्हें करीब दो घंटे लग ही जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शहर में कई एरियाज ऐसे हैं जो हमेशा जाम की चपेट में रहते हैं। इनमें फंसे तो घंटों तक अटके रहेंगे। आज आई नेक्स्ट आपको बताने जा रहा है शहर के उन रास्तों के बारे में, जो जाम के रास्तों के रूप में कुख्यात हो चुके हैं।

मोहद्दीपुर चौराहा

कुशीनगर और देवरिया की ओर से आने वालों के लिए ये मेन रोड है। कूड़ाघाट चौराहे पर हर दिन जाम लगता है। सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक गाडि़यां रेंगती रहती हैं। यहां लगने वाले जाम से करीब 5 हजार लोग डेली प्रभावित होते हैं। हालांकि यहां ट्रैफिक पुलिस तैनात रहती है, लेकिन जाम के आगे वे भी बेबस है।

रेलवे बस स्टेशन रोड

यहां पैसेंजर्स की आवाजाही से ऑलरेडी लोड रहता है, ऊपर से बसों के आड़े-तिरछे खड़े होने से स्थिति और भयावह हो जाती है। रास्ता साफ होने पर यूनिवर्सिटी चौराहे से जंक्शन तक पहुंचने में बमुश्किल 2-3 मिनट लगतें हैं, लेकिन रोडवेज और डग्गेमार बसों की लंबी कतारों के चलते इतना जाम लगता है कि अक्सर लोगों की ट्रेन छूट जाती है।

बैंक रोड

सिटी के बीचो-बीच स्थित इस रोड पर बैंक्स की ब्रांचेज हैं। बड़ी तादाद में व्यापारी और करीब दस हजार लोग डेली इस रोड से गुजरते हैं। वर्किग डेज में तो गोरखपुराइट्स इस रोड को अवायड करते हैं क्योंकि जाम से होकर गुजरने में घंटों लग जाते हैं। स्कूलों की छुट्टी के वक्त तो हालात बेकाबू हो जाते हैं।

गोरखनाथ रोड

पीपीगंज की तरफ से सिटी में आने का एकमात्र मुख्य मार्ग गोरखनाथ रोड है। इस रोड से होकर करीब 30 हजार लोग शहर में आते-जाते हैं। इसके अलावा गोरखनाथ मंदिर आने वाले भी इसी रूट का यूज करते हैं। कमोबेश हर दिन इस रोड पर गाडि़यां फंसी रहती हैं और लंबा जाम लगता है।

धर्मशाला चौराहा

इस चौराहे पर ज्यादातर रेलवे पैसेंजर्स की भीड़ रहती है। आउटर होने के नाते अधिकतर ट्रेंस यहां रुकती हैं जिसके कारण यहां भारी भीड़ रहती हैं। असुरन, जटाशंकर और गोरखनाथ की ओर से आने वाला ट्रैफिक भी यहां पर जाम क्रियेट करता है। यहां लगने वाले जाम को पुलिस को नाको चने चबाने पड़ते हैं।

घंटाघर

ये शहर का सबसे पुराना मार्केट हैं। मार्केट में 3 हजार से ज्यादा दुकाने हैं जिन पर 40 हजार से ज्यादा लोग खरीदारी करने आते हैं। आने वालों को सुबह हो या शाम, हर वक्त जाम से जूझना पड़ता है। फेस्टिव सीजन में तो यहां तिल रखने की जगह भी नहीं मिलती। ऊपर से आड़ी-तिरछी पार्किग रही-सही कसर पूरी कर देती है।