कानपुर(ब्यूरो)। बीटेक करने जा रहे स्टूडेंट्स के साथ कई बार ऐसा होता है कि उन्हें मनपसंद ब्रंाच नहीं मिलती है। मजबूरी में वो दूसरी ब्रंाच में एडमिशन ले लेते हैं। ऐसे ही स्टूडेंट्स के लिए गुड न्यूज है। एचबीटीयू ने बीटेक स्टूडेंट्स के लिए नई फैसिलिटी दी है। इसके तहत वह अपनी ब्रांच के साथ ही दूसरी ब्रांच से भी डिग्री ले सकते हैं। फर्क सिर्फ इतना होगा कि यह डिग्री माइनर होगी। लेकिन इसका फायदा वैसा ही मिलेगा, जैसा कोर्स करने वाले अन्य स्टूडेंट्स को मिलता है।

मेजर के साथ माइनर डिग्री
अगर आपने चार साल के बीटेक के दौरान 24 क्रेडिट दूसरी ब्रांच के पढ़ लिए तो आपको मेजर और माइनर की डिग्री मिलेगी। आपको चार साल बाद मिलने वाली डिग्री में मेजर ब्रांच के साथ साथ ब्रैकेट में माइनर डिग्री वाली ब्रांच का नाम भी लिखा होगा। इस नियम को न्यू एजूकेशन पॉलिसी (एनईपी) 2020 के तहत लागू किया गया है। मेजर और माइनर डिग्री देने वाली एचबीटीयू शहर की पहली स्टेट यूनिवर्सिटी है। अभी तक इस तरह की फैसिलिटी केवल आईआईटी में हुआ करती थी।

कुछ ऐसे मिलेगी मेजर माइनर की डिग्री
उदाहरण के तौर पर अगर आपने एचबीटीयू में बीटेक आयल टेक्नोलॉजी ब्रांच में एडमिशन लिया है। लेकिन आपकी पसंद सीएस थी। साथ ही सीएस की डिग्री ने होने से पैकेज कम मिलने की चिंता आपको सता रही है तो आपको बीटेक के चार साल के समय में आनलाइन या इलेक्टिव सब्जेक्ट लेकर 24 क्रेडिट के सीएस से जुड़े कोर्स करने होंगे। ऐसा करने पर डिग्री मिलते समय जैसे ही आप 24 क्रेडिट के कोर्स के प्रमाणों को यूनिवर्सिटी के सामने रखेंगे, वैसे ही आपकी डिग्री को मेजर माइनर में चेंज कर दिया जाएगा। एचबीटीयू के स्टूडेंट एडमिनिस्ट्रेशन के इस डिसीजन का वेलकम कर रहे हैैं। उनका कहना है कि ऐसा होने से लेदर, प्लास्टिक, पेंट और ऑयल टेक्नोलॉजी ब्रांच के स्टूडेंट्स का पैकेज बढ़ेगा साथ ही स्किल डेवलप होगी।

पीएचडी करने वालों को मिली फैसिलिटी
एचबीटीयू ने अपने पीएचडी स्टूडेंट्स को भी फैसिलिटी दी है। टेक्निकल एजूकेशन में पीएचडी का रिसर्च वर्क पूरा होने में चार से पांच साल लग जाता है। कभी कभी तो रिसर्च में पांच साल से ज्यादा का समय भी लगता है। ऐसे में पीएचडी कर रहे स्टूडेंट्स पर हर साल फीस देने का प्रेशर रहता है। एचबीटीयू ने नए रुल्स के अनुसार तीन साल के बाद पीएचडी स्टूडेंट्स को साल में महज 10 हजार रुपए फीस दोनी होगी। जबकि एचबीटीयू में पीएचडी की फीस 65000 सालाना है। तीन साल बाद स्टूडेंट्स को पूरी फीस से राहत दी गई है। इतना ही नहीं पीएचडी स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप भी दी जाएगी।

इंटरनेशनल सीटों पर एडमिशन के लिए मांगे आवेदन
एचबीटीयू ने पहली बार एडमिशन के लिए इंटरनेशनल स्टूडेंट्स से आवेदन मांगे हैैं। कोशिश है कि यदि कुछ विदेशी स्टूडेंट्स कैंपस में आ जाते हैैं तो एचबीटीयू का इंटरनेशनल दायरा बढ़ेगा। इसके साथ साथ रैैंकिंग पाने में भी कुछ माक्र्स मिलेंगे। शुरुआती दौर में सुपर न्यूमेरी सीट से एडमिशन लिया जाएगा।