कानपुर (ब्यूरो). कहते हैैं कि रिश्ते आसमान से बनते हैैं, लेकिन बिखरते हमारी छोटी-छोटी गलतियों, सामजिक बुराइयों और अहंकार के कारण हैं। इन रिश्तों को फिर से जोडऩा बेहद मुश्किल होता है और इस मुश्किल काम को कमिश्नरेट पुलिस बखूबी कर रही है। खाकी ने बीते साल टूटने की कगार पर पहुंच चुके 23 रिश्तों को न सिर्फ बचाया बल्कि उनमें फिर से दरार न पड़े, इसका भी ख्याल रखा। इस प्रक्रिया में कमिश्नरेट पुलिस को 19 मामलों में पूरी तरह से सफलता मिली। वहीं थाना स्तर पर बनाई गई कमेटियों ने तीन समझौते कराए गए। कुल 26 मामलों में सुनवाई हुई, जिसमें 19 रिश्ते बन गए।

शादी के नौ साल बाद विवाद, चार साल में सुलझा
गड़रियन मोहाल निवासी पंकज की शादी 14 साल पहले कानपुर देहात निवासी कविता से हुई थी। शादी के 9 साल बाद पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ तो कविता मायके चली गई। उत्पीडऩ और हर्जा खर्चा का केस कर दिया। लोअर कोर्ट से फाइल काउंसिलिंग के लिए आई तो दोनों पक्षों को कॉल किया गया। पांचवी सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष साथ में रहने को राजी हो गए। समझौता हुए 9 महीने हो गए, परिवार खुशी से रह रहा है, अब इनकी मॉनीटरिंग भी बंद कर दी गई।

मोबाइल फोन ने डाली रिश्ते में दरार, पुलिस ने भरी
यशोदा नगर निवासी संतोष की शादी उन्नाव की रहने वाली पुष्पा के साथ हुई थी। उनके दो बच्चे भी हैैं। संतोष निजी कंपनी में काम करता था। मोबाइल फोन पर ज्यादा समय देने की वजह से दोनों में विवाद हुआ और संतोष ने पुष्पा को पीट दिया। तीन महीने मायके रहने के बाद पति के खिलाफ थाने में तहरीर दी। थाने में काउंसिलिंग हुई, बात न बनने पर मामला परिवार परामर्श केंद्र में भेज दिया गया। जहां से दूसरी सुनवाई में समझौता हो गया। इस परिवार की मॉनीटरिंग भी बंद कर दी गई।
बेटा न होने पर विवाद, परामर्श केंद्र में बनी बात
बाबूपुरवा निवासी रमाकांत एलआईसी कर्मी हैैं। रमाकांत की शादी बिरहाना रोड निवासी मीरा से हुई थी। मीरा ने दो बेटियों को जन्म दिया। तीसरी बार भी जब बेटी हुई तो ससुराल वालों की नाराजगी का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं पति ने भी पीट दिया और ताने मारने लगा तो मीरा मायके चली गई। मायके वालों के कहने पर पति के खिलाफ मारपीट का केस दर्ज करा दिया। मामला परामर्श केंद्र में पहुंचा तो दोनों के बीच तीसरी बार सुनवाई के दौरान समझौता हो गया। इनकी भी मॉनीटरिंग बंद हो चुकी है।
विश्वास कायम रखें।