लखनऊ (ब्यूरो)। दीपावली से पहले प्रदेश भर के उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। जल्द ही उपभोक्ताओं को बिजली बिल के भार से राहत मिल सकती है। इसकी वजह यह है कि विद्युत नियामक आयोग ऐतिहासिक पहल करते हुए 21 अक्टूबर को सार्वजनिक सुनवाई के बाद उत्तर प्रदेश में दूरसंचार नेटवर्क सुविधा नियमावली-2022 रूपी देश का पहला नया कानून बनाने जा रहा है। जिससे बिजली खंभों का नेट केबिल या अन्य केबिल के रूप में यूज करने वाली दूरसंचार कंपनियों को बिजली कंपनियों को भुगतान करना होगा, जिसका 70 प्रतिशत उपभोक्ताओं के टैरिफ में पास ऑन होगा। इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा।

बिजली कंपनियों को नहीं मिलता खर्च

प्रदेश की सभी बिजली कंपनियां शहरी से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में बिजली लाइन दौड़ाने के लिए लाखों की संख्या में बिजली खंभे लगाती हैैं, जिनका यूज दूरसंचार (प्राइवेट व सरकारी) कंपनियों की ओर से किया जाता है। इसके साथ ही बिना अनुमति के केबिल संचालकों की ओर से डिश के तार भी खंभों से बांध दिए जाते हैैं। जबकि इसके एवज में बिजली कंपनियों को कोई भुगतान नहीं किया जाता।

अब करना होगा भुगतान

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग उपभोक्ताओं के हित में देश में पहली बार दूरसंचार नेटवर्क सुविधा नियमावली 2022 के रूप में एक नया कानून बनाने जा रहा है, जिसके तहत बिजली खंभों पर चाहे वह 5जी का नेटवर्क हो, ब्रॉडबैंड या कोई और सुविधा, जो दूरसंचार कंपनियां खंभों के माध्यम से तार दौड़ा कर देती हैैं, अब उन्हें उसका भुगतान करना होगा। विद्युत नियामक आयोग ने इस पर एक ड्राफ्ट रेगुलेशन जारी कर दिया है, जिस पर 21 अक्टूबर को आम जनता की सार्वजनिक सुनवाई के बाद उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जहां एक नया कानून बन जाएगा और बिजली कंपनियां बाकायदा टेंडर निकालेंगी। इतना ही नहीं, बिजली कंपनियों को जो भी आमदनी होगी उसका 70 प्रतिशत बिजली उपभोक्ताओं की बिजली दर में पास किया जाएगा और इस आमदनी का 30 प्रतिशत बिजली कंपनियों को दिया जाएगा।

जोड़े जाएंगे सुझाव

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने इस संबंध में मंगलवार को विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से बात की और इसमें कुछ और सुझाव जोड़े जाने की मांग उठाई। जिस पर आयोग अध्यक्ष ने उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को आम जनता की सुनवाई में जो भी उपभोक्ता हित के प्रस्ताव है, उन्हें वहां रखने की बात कही। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि निश्चित रूप से यह कदम सराहनीय है। इस दिशा में कानून बनने से इसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को ही मिलेगा। अगर 70 प्रतिशत लाभ टैरिफ में पास ऑन होता है तो साफ है कि तीन करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं की बिलिंग पर असर साफ देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक सुनवाई में कई अन्य सुझाव भी जोडऩे की कवायद की जाएगी।