लखनऊ (ब्यूरो)। पीजीआई इलाके की वृंदावन योजना के सेक्टर-11 स्थित कालिंदी पार्क के पास गुरुवार देर रात निर्माणाधीन अंतरिक्ष अबरिल ग्रीन अपार्टमेंट की बेसमेंट पार्किंग बनाने के दौरान दर्दनाक हादसा हो गया था। हादसे में दो महीने की बच्ची आयशा और उसके पिता मुकादम की मौत हो गई। यह हादसा अपार्टमेंट के मालिक और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण हुआ। मामले में पीजीआई थाना पुलिस ने अपार्टमेंट के मालिक और ठेकेदार के खिलाफ काम में लापरवाही बरतने पर गैर इरादतन हत्या समेत अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।

घर खाली कराते तो न होता हादसा

गौरतलब है कि अंतरिक्ष अबरिल ग्रीन अपार्टमेंट में मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है। यहां पर काम करने वाले मजूदरों के लिए रोड किनारे अस्थायी रूप से मकान बनाए गए हैं। इन मजदूरों में बच्चे, पुरुष और महिलाएं शामिल हैं। करीब 15 से अधिक परिवार रहते हैं। ठीक इसी के बगल यहां अंडरग्राउंड पार्किंग बनाने के लिए करीब 30 फीट खुदाई की गई है। पिछले कई दिनों से रोजाना यहां मिट्टी काटी जा रही थी। यहां काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि यह काम पिछले दो हफ्ते से चल रहा है। बेसमेंट के लिए मिट्टी तो खोदी जा रही थी, पर मजदूरों के घरों को नहीं हटवाया गया। अगर यहां से घर हट जाते, तो शायद ये जानें न जाती।

न कोई शटरिंग, न कोई सपोर्ट

मजदूरों के लिए एक लाइन में करीब 50 मीटर तक 15 अस्थायी मकान बनाए गए थे। इन मकानों से सटाकर पार्किंग के लिए खुदाई की जा रही थी। हैरानी की बात है कि इस दौरान न तो कोई शटरिंग का इंतजाम किया गया था और ना ही कोई सपोर्ट लगाया गया था। मिट्टी के कटने की वजह से यहां पर टीला बन गया। साथ ही कुछ दिन पहले हुई बारिश की वजह से यहां की मिट्टी गीली हो गई थी। बावजूद इसके यहां पर बिना मजूदरों का घर खाली करवाए लगातार काम चलता रहा, जिसकी वजह से यह बड़ा हादसा हो गया। मजदूर बाबू दयाल ने बताया कि कई परिवार डरकर सोते नहीं थे, अगर यहां पर और भी परिवार होते तो वे भी इस हादसे की चपेट में आ सकते थे।

सोते-सोते मौत के मुंह में समाए

मौके पर मौजूद चंदन ने बताया कि वे सभी रात में खाना खाने के बाद अपने कमरे में सोने चले गए। मुकादम अपनी पत्नी और दो साल की बेटी आयशा समेत परिवार संग सो रहा था। तभी तेज धमाके की आवाज आई। लोग जब भागकर मौके पर पहुंचे तो पाया कि कई मकान गहरे गड्ढे में गिरकर मिट्टी में समा गए हैं और कई लोग भी मलबे में दबे हुए हैं। दो बच्चों समेत कुल 14 लोग फंसे हुए थे। फायर ब्रिगेड, एसडीआरएफ और पुलिस की टीम की मदद से सभी को बाहर निकाला गया, लेकिन मुकादम और उनकी बेटी आयशा ने इस हादसे में दम तोड़ दिया। ये परिवार पिछले 25 सितंबर को ही मजदूरी करने यहां आया था। हादसे के बाद से परिवार में मातम छा गया है।

5 घंटे चला रेस्क्यू

हादसे की सूचना मिलने पर पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। मौके पर फायर ब्रिगेड, एसडीआरएफ और पुलिस पहुंची। इस दौरान किसी के हाथ तो किसी के पैर दिख रहे थे, जबकि कईयों का पता भी नहीं चल पा रहा था। टीम ने कड़ी मशक्कत कर वहां से मिट्टी का मलबा हटाया और एक-एक कर कुल 14 लोगों को बाहर निकाला, इसमें दो बच्चे, चार महिला और 8 पुरुष शामिल थे। इनमें से 2 साल की मासूम आयशा और उसके पिता मुकादम और अन्य 7 मजदूर अभिजीत कुमार, रुखसाना, चंदन, दरोगा, गोलू, अफसाना और मुस्कान की हालत गंभीर थी, उन्हें फौरन पीजीआई ट्रामा ले जाया गया, जहां आयशा और उसके पिता को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया, जबकि अन्य सभी की हालात स्थिर है।

आरोपियों की नहीं हुई गिरफ्तारी

पीजीआई इंस्पेक्टर ने बताया कि मृतक मुकादम के पिता शब्बीर ने पुलिस को तहरीर दी है कि वह मूलरूप से प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं। बीते 25 सिंतबर को उनका बेटा मुकादम अपनी पत्नी, बेटी आयशा और अन्य रिश्तेदारों के साथ यहां मजूदरी करने आया था। यहां उनको एक अस्थायी घर अलॉट किया गया था, लेकिन अपार्टमेंट के मालिक और ठेकेदार की लापरवाही की वजह से उनके बेटे और पोती की मौत हो गई। इंस्पेक्टर ने बताया कि इस आधार पर दोनों के खिलाफ आईपीसी 304 ए और 288 के तहत के केस दर्ज कर लिया है। मामले में दोनों आरोपियों की जांच पड़ताल की जा रही है। जल्द ही इनको गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

आसपास भी कट रही मिट्टी

इसी अपार्टमेंट के पास मौजूद गांव के लोगों कहना है कि अपार्टमेंट बनने के चलते मिट्टी कटती जा रही है। बारिश के समय हम लोग घर के बाहर निकल जाते हैं और मकान भी इसके चपेट में आ सकते हैं। इतने फ्लैट बनने की वजह से आसपास के मकानों को भी खतरा है। संबंधित अधिकारियों को लापरवाही करने वालों पर सख्त एक्शन लेना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसा हादसा दोबारा न हो।

इसलिए हुआ हादसा

मुकादम के पिता शब्बीर ने अपनी तहरीर में लिखा है कि अधिक जमीन खोदकर मिट्टी निकाली गई। जेसीबी के जरिए खोदाई कर घरों के पास तक की मिट्टी हटा दी गई थी। इसी वजह से जमीन धंस गई और लोग उसमें समा गए। वहीं, पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में सामने आया कि निर्माण के दौरान सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखा गया। साथ ही, जहां निर्माण हो रहा था वहीं पर मजदूरों को रहने की झोपड़ियां बना दी गईं।

घायलों से मिले डीएम

हादसे के बाद डीएम सूर्यपाल गंगवार घायलों और मृतकों के परिजनों से मिलने एपेक्स ट्रामा सेंटर पहुंचे। उन्होंने मृतकों के परिजनों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी एक्स पर पोस्ट के माध्यम से इस घटना को दुखद बताया।

हादसे में ये हुए घायल

अभिजीत कुमार, चंदन कुमार, दरोगा सहानी, रुखसाना, गोलू, अफसाना, मुस्कान, गुलशन, फरजाना, सोना, इरफान, लालबाबू और उसका बेटा।

पहले भी हो चुका है हादसा

जनवरी 2023 को बेसमेंट कंस्ट्रक्शन के दौरान अलाया अपार्टमेंट भी ढह गया था। जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। हादसे में मालिक की लापरवाही सामने आई थी। जांच में सामने आया था किअलाया अपार्टमेंट को बनाते समय जमकर लापरवाही बरती गई थी। इस अपार्टमेंट को बनवाते समय बिल्डर ने न ही आर्किटेक्ट से ड्राइंग बनवाई, न ही इंजीनियर से स्ट्रक्चरल डिजाइन तैयार करवाई थी, जिसके चलते हादसा हुआ था।