LUCKNOW : हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से फर्जी रजिस्ट्री के जरिए लोन हासिल करने वाले आधा दर्जन शातिर जालसाजों को हजरतगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पकड़े गये आरोपियों में फाइनेंस कम्पनी के दो कर्मचारी भी शामिल हैं। पुलिस ने उनके पास से दो फर्जी रजिस्ट्री और फेक आईडी बरामद की है। पुलिस उनके गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।

 

हजरतगंज पुलिस ने किया खुलासा

एसपी पूर्वी सर्वेश कुमार मिश्र ने बताया कि बीते वर्ष हिंदुजा हाउसिंग फाइनेंस कंपनी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि कुछ लोगों ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर कंपनी से लोन ले लिया। जालसाजों ने लोन ली गई रकम को वापस नहीं किया। एफआईआर दर्ज होने के बाद इसकी छानबीन हजरतगंज पुलिस ने शुरू की। इंस्पेक्टर आनंद शाही ने बताया कि छानबीन के दौरान पता चला कि जालसाजों का एक पूरा गैंग है जो फर्जी दस्तावेज के आधार पर लोन हासिल करता है। एक दो किश्त जमा करने के बाद आरोपी किश्त जमा करना बंद कर देते थे। इसके बाद जब कंपनी की रिकवरी टीम लोन लने वाले के पते पर पहुंचती थी तो जानकारी होती थी कि लोन हासिल करने वाला उस पते पर रहता ही नहीं है।

 

कंपनी के सेल्स अफसर से शामिल

गैंग के काम करने के तरीके के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने के बाद हजरतगंज पुलिस ने इस मामले में 6 जालसाजों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पकड़े गये आरोपियों ने अपना नाम त्रिवेणीनगर निवासी अविनाश कुमार, काकोरी निवासी मोहम्मद आरिफ, गुडंबा निवासी राहुल भारती, हसनगंज निवासी सुधीर कुमार, मलिहाबाद निवासी संजीत और मडि़यांव निवासी मारूफ खान बताया। पकड़े गये सुधीर और संजीत हिंदुजा हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के सेल्स अफसर हैं। गैंग में शामिल दो आरोपी हनी और अभिषेक अभी फरार हैं।

 

ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा

पकड़े गये जालसाजों ने बताया कि लोन हासिल करने के लिए हनी और अभिषेक पुरानी रजिस्ट्री की व्यवस्था करते थे। इसके बाद दोनों आरोपी रजिस्ट्री को आरिफ को दे दिया करते थे। फर्जी रजिस्ट्री की व्यवस्था के नाम पर हनी और अभिषेक डेढ़ लाख रुपये लेते थे। रजिस्ट्री मिलने के बाद आरिफ एक व्यक्ति को लोन लेने वाले के रूप में तैयार करता था। इसके बाद वह लोन लेने वाले की फर्जी आईडी बनाकर फाइनेंस कंपनी में लगा दिया करता था। फाइनेंस कंपनी के सेल्स अफसर सुधीर और संजीत लोन की फाइल तैयार करते थे। इसके बाद अन्य लोगों की मदद से यह लोग फर्जी व्यक्ति का लोन कंपनी से पास करा देते थे।

 

विश्वास जमाने को दो तीन किश्त जमा की जाती थी

लोन पास कराने के नाम पर कंपनी के लोग 7 से 10 प्रतिशत रकम लेते थे। लोन मिलने के के बाद आधी रकम आरिफ रख लेता था जबकि आधी रकम फर्जी लोन हासिल करने वाले को दे दी जाती थी। इसके बाद दिखाने के लिए यह लोग कंपनी में एक से दो किश्त जमा करते थे और फिर किश्त देना बंद कर देते थे। कंपनी के लोग जब वसूली के लिए लोन लेने वाले के दर्ज पते पर पहुंचते थे तो पता चलता था कि लोन हासिल करने वाले ने फर्जी पते पर लोन हासिल किया था।