लखनऊ (ब्यूरो)। 'अरे ये क्या हो गया, बचाओ-बचाओ, घर गिर गया, लोग दबे हैं', यह चीख पुुकार उस समय की है, जब वृंदावन योजना के सेक्टर 11 में दर्दनाक हादसा हुआ। तेज धमाके के साथ एक साथ चार घर अपार्टमेंट की बेसमेंट पार्किंग के लिए खोदे गए गड्ढे में समा गए। हादसा होते ही आसपास मौजूद लोग और मजदूर चीखने चिल्लाने लगे। लोग मलबा हटाने के लिए नीचे उतरे और जल्दी-जल्दी मलबा हटाया। हादसे का शिकार हुए कई लोग खुद ही मलबे से बाहर आ गए। पुलिस, फायर ब्रिगेड, एसडीआरएफ की टीमें में सूचना मिलते ही मौके पर पहुंच गईं और सर्च ऑपरेशन चलाया। टीमों ने करीब एक घंटे बाद मुकादम को बाहर निकाला साथ में उसकी दो साल की बेटी आयशा भी थी। आनन-फानन में दोनों को एपेक्स ट्रामा भेजा गया, डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।

पिता के पास ही थी आयशा

हादसे के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि मुकादम और उनकी मासूम बच्ची अब उनके बीच नहीं रही। वहीं, मुकादम के पिता शब्बीर का भी रो-रो कर बुरा हाल था। शब्बीर ने कहा कि उनके बेटे को लखनऊ आए अभी एक हफ्ता भी नहीं हुआ है और उसके साथ ये सब हो गया। उस मासूम की क्या गलती, जिसने अभी दुनिया भी नहीं देखी थी। वहीं, आयशा की मां को जब इसके बारे में पता चला तो उसकी आंखों से बहते आंसू थम न सके। बताया जा रहा है कि आयशा का दम घुटने और शरीर पर गंभीर चोट लगने से मौत हुई है।

मलबे से आ रही थी चीख पुकार

बेसमेंट पार्किंग को बनाने के लिए जमीन में करीब 30 फीट गहरा गड्ढा किया गया है। साथ ही यहां पक्के ईंट से बने अस्थायी मकान भी थे। हादसे के वक्त इतनी ऊंचाई से ईंट पत्थर के साथ 30 फीट गहराई में गिरने की वजह से मजदूरों को गंभीर चोटें आईं। हादसे के बाद एक-एक कर सभी को बाहर निकाला जा रहा था। किसी के सिर पर चोट आई थी तो किसी के पैरों पर। घायल दर्द से कराह रहे थे। सुबह पांच बजे तक सर्च अभियान चलाया गया।

क्या बोले मजदूर

हम सभी खाना खाकर कमरे में सो रहे थे। तभी एक तेज धमाका हुआ, लगा कि कहीं बम फटा है। फिर 'बचाओ-बचाओÓ की आवाज आने लगी। चीख पुकार सुनकर पास पहुंचे तो वहां कई लोग दबे थे। किसी तरह सभी को बाहर निकाला।

बाबू दयाल

पिछले कई दिनों से यहां खुदाई का काम चल रहा है। कभी लगा ही नहीं ये घर ढह जाएंगे। पिछले दिनों बारिश हुई थी, शायद इससे ही यहां की मिट्टी कमजोर हो गई थी। मालूम होता तो सभी लोग घर छोड़ चुके होते। कई मजदूर नई इमारत में रह रहे हैं।

शिवरानी

बच्ची और उसके पिता को यहां आए कुछ ही दिन हुए थे। रातभर पुलिस मलबे में सबको खोजती रही। कई लोगोंं को बाहर निकाला गया। करीब एक से डेढ़ घंटे बाद बच्ची और उसके पिता का पता चल पाया था। घर में मातम छाया हुआ है।

चंदन

मैं घर में सो रहा था। तभी हादसा हो गया। मलबे में काफी देर तक दबा रहा। सिर पर भी काफी गंभीर चोटें आई हैं। पहले से अब हालत स्थिर है।

गोलू