- 62 लग्जरी गाडि़यों को किया बरामद

- 7 शातिर को पुलिस ने किया गिरफ्तार

- 6 करोड़ बताई जा रही है गाडि़यों की कीमत

- 112 अब तक चोरी की गाड़ी बरामद की जा चुकी

- पुलिस ने गिरोह के सात सदस्यों को किया गिरफ्तार

- बीएमडब्ल्यू समेत कई लग्जरी गाडि़यों को किया बरामद

LUCKNOW : एक्सिडेंटल गाडि़यों के नंबर पर चोरी की बिसात बिछाने वाले एक गैंग को लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह गिरोह अपने कारोबार को चलाने के लिए ऑन डिमांड गाडि़यों की चोरी करता था। इसके बाद एक्सिडेंटल व चोरी की गाडि़यों के चेसिस-इंजन नंबर में हेरफेर कर करोड़ों का मुनाफा कमा रहे थे। शातिरों के पास से पुलिस ने चोरी की 62 लग्जरी कार बरामद की है। इससे पहले इसी गैंग से पुलिस ने 50 लग्जरी गाडि़यां बरामद की थी। गैंग के तार बैंकॉक, नेपाल, बिहार, यूपी और उत्तराखंड समेत कई राज्यों से जुड़े हैं। लग्जरी कार को चोरी करने से लेकर उसे बेचने के लिए गैंग के सदस्य बैंकॉक के पटाया स्थित एक होटल में मीटिंग कर ब्लू प्रिंट बनाते थे और उसकी के आधार पर गैंग के हर सदस्य को काम करना होता था।

एक्सिडेंटल गाडि़यों से चलता है पूरा खेल

ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर नीलाब्जा चौधरी ने बताया कि यह गिरोह एक्सिडेंटल गाडि़यों की वैल्यू लगाने के बाद खेल शुरू करता था। जब कोई गाड़ी हादसे में डेमेज होती है तो उसे इंश्योरेंस कंपनी के पास वैल्यू के लिए भेजा जाता है। दो तरह से वैल्यू लगाई जाती है। एक पूरी तरह से निष्प्रयोज्य और दूरी उस कार की हादसे में क्षतिग्रस्त होने के बाद कीमत। गाड़ी की वैल्यू लगाने के बाद मालिक को एक फिक्स रकम ग्राहक से दिलाई जाती है।

गिरोह का ऐसे हुआ था खुलासा

डीसीपी पूर्वी सोमेन वर्मा के मुताबिक 15 जून को चिनहट पुलिस वाहन चेकिंग कर रही थी। इसी दौरान एक आई 20 कार छोड़कर कुछ लोग भाग गए थे। पुलिस ने लावारिश में कार को दाखिल करने के बाद उसके नंबर के आधार पर मालिक की तलाश शुरू की। मोबाइल एप पर जब ऑनलाइन चेक किया गया तो गाड़ी का मालिक कैसरबाग के सुंदरबाग निवासी नासिर खान का निकला। वहीं एप पर कार का मॉडल 2013 दिखा रहा था जबकि कार देखने से 2019 की लग रही थी। संदेह होने पर पुलिस ने एफएसएल की टीम को जांच के लिए बुलाया। तीन घंटे तक जांच करने के बाद एफएसएल के अधिकारियों ने चेसिस व इंजन नंबर के बदलने की पुष्टि की। जब कार के मालिक की तलाश शुरू हुई तो कागज में दर्ज पते पर कोई नहीं मिला। जब सही चेसिस व इंजन नंबर की जांच की गई तो असली मालिक का पता चला। यह गाड़ी 5 जून को गोमतीनगर से चोरी हुई थी। इस दौरान पुलिस ने चोरी की पचास गाडि़यों के साथ गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार किया था। इस मामले की जांच खत्म नहीं हुई थी। इसी जांच के दौरान शुक्रवार को लखनऊ पुलिस को एक और सफलता मिली। जब गैंग के कुछ लोग चोरी की एक गाड़ी को बेचने के लिए कल्ली पश्चिम लाये थे। पुलिस ने गैंग समेत 62 लग्जरी गाडि़यों को बरामद किया।

दूसरी कड़ी में बरामद हुई 62 लग्जरी गाडि़यां

जांच कर रही टीम को चोरी की लग्जरी गाडि़यों से जुड़ी दूसरी कड़ी मिली। चिनहट पुलिस ने कमता चौराहे से चोरी के एक वाहन के साथ सतपाल सिंह व मनोज कुमार उर्फ बऊआ को पकड़ा। दोनों की निशानदेही पर कल्ली पश्चिम के पास स्थित एक कार बाजार के बगल में खड़ी चोरी की फाच्र्यूनर बरामद की। गाड़ी बेचने के लिए लाई गई थी और गाड़ी में सवार गैंग के पांच अन्य सदस्यों को गिरफ्तार किया।

गैंग के सदस्य और किसका क्या-क्या काम था

नाम- सतपाल सिंह

निवासी- नजीराबाद कानपुर

काम- चोरी की लग्जरी गाडि़यों की खरीद फरोख्त कर उसे ओएलएक्स पर बेचना

नाम- मनोज कुमार उर्फ बऊआ

निवासी- फजलगंज कानपुर

काम- स्पेयर्स पा‌र्ट्स की दुकान की आड़ में चोरी की गाड़ी बेचना

नाम- एनुलहक

निवासी- चमनगंज कानपुर

काम - स्पेयर्स पा‌र्ट्स की दुकान, उसकी आड़ में चोरी की गाड़ी खरीदने व बेचने का काम

नाम- विकास जायसवाल उर्फ विक्की

निवासी- फजलगंज, कानपुर

काम- ऑटो पा‌र्ट्स की दुकान, चोरी की गाड़ी खरीदना और बेचना

नाम- इसरार

निवासी- रेल बाजार, कानपुर

काम- कार मैकेनिक - खरीदारों से संपर्क कर चोरी की गाड़ी बिकवाना

नाम- जियाउल हक

निवासी- फूलवती तिराहा बजरिया

काम- स्पेयर्स पा‌र्ट्स की दुकान, चोरी की गाड़ी बिकवाना

नाम- विनोद शर्मा व विनोद डेंटर

निवासी- नौबस्ता, कानपुर

काम- लेडीडॉन गैंग सदस्य, चोरी की गाड़ी खरीदना व बेचना

आगरा का लेडी गैंग भी वारदात में शामिल

आगरा में फेमस लेडी गैंग के सदस्य भी लग्जरी गाडि़यों की चोरी में शामिल थे। गैंग में ज्यादातर महिलाएं हैं। वह वारदात करती थी। लखनऊ पुलिस ने नौबस्ता के विनोद डेंटर को गिरफ्तार किया है। वह इस गैंग का सक्रिय सदस्य है।

ऐसे करते थे खेल

इंश्योरेंस कंपनी कस्टमर को डैमेज की भरपाई के लिए रुपये देती है। इसके बाद गाड़ी के सेल लेटर पर मालिक के साइन करा लेते हैं। इसके बाद खेल शुरू होता है। क्षतिग्रस्त गाडि़यों को गैराज में रखने के बाद उस तरह की गाड़ी की तलाश शुरू की जाती है। इसे पूरा करने के लिए चोरों के गिरोह को लगाया जाता है, जो देश के हर प्रदेश व जिले में सक्रिय हैं। उसी मॉडल व रंग की गाडि़यों को चोरी करते हैं। गैराज में लाते हैं, जहां एक सप्ताह के अंदर क्षतिग्रस्त गाड़ी का चेसिस नंबर और इंजन नंबर चोरी की गाड़ी में लगाया जाता है। गाड़ी बेचने के दौरान इसमें एक बीच का भी ग्राहक होता था, जिससे गाड़ी क्षतिग्रस्त होने के बाद कीमत लगवाई जाती थी। गाड़ी उसे नहीं बेची जाती थी और वह गिरोह का ही सदस्य होता था। रकम देने के बाद गाड़ी को एक सप्ताह में नए कलेवर में तैयार कर तीसरे ग्राहक को बेच दी जाती थी ताकि परिवहन विभाग के रिकार्ड में गाड़ी के मालिक सिर्फ दो ही दिखें। गाडि़यों को नेपाल, बिहार, कश्मीर और नार्थ ईस्ट के राज्यों में बेचा जाता था।