- राजधानी के सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर की कमी से चली जाती है मरीजों की जान

- कई जगहों पर वेंटिलेटर हैं तो उसे चलाने वाला स्टॉफ ही मौजूद नहीं है

anuj.tandon@inext.co.in

LUCKNOW:

राजधानी के सरकारी अस्पतालों में हजारों बेड हैं। लेकिन, वेंटिलेटर बेहद सीमित संख्या में हैं। कई बार वेंटिलेटर के चक्कर में मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाते समय ही दम तोड़ देते हैं। वहीं कई सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर तो हैं लेकिन उन्हें ऑपरेट करने वाला स्टॉफ ही नहीं है। ऐसे में मरीजों को वेंटिलेटर मिलना एक बड़ी चुनौती बन गया है।

वेंटिलेटर के लिए तय मानक

एक्सपर्ट की माने तो हर हॉस्पिटल में 10 बेड पर एक वेंटिलेटर का होना जरूरी है। राजधानी के सभी गवर्नमेंट हॉस्पिटल को मिलाकर हजारों बेड हैं, लेकिन उस हिसाब से वेंटिलेटर नहीं हैं। गवर्नमेंट हॉस्पिटल में वेंटिलेटर का चार्ज कम होता है, इसलिए लोग यहीं आना प्रिफर करते हैं। ऐसे में हॉस्पिटल प्रशासन के लिए मानक अनुसार वेंटिलेटर उपलब्ध करना बड़ी चुनौती है। हॉस्पिटल प्रशासन का भी कहना है कि वेंटिलेटर आपरेट करने के लिए ट्रेंड स्टॉफ की कमी है। जिसके लिए कई बार लिखा जा चुका है। वहीं मेडिकल कारपोरेशन की लापरवाही का आलम ये है कि मांग के बाद भी जरूरी संसाधन नही मिल रहे हैं।

सिविल हॉस्पिटल

सिविल हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट के लिए तीन साल पहले 9 वेंटिलेटर खरीदे गए थे। जरूरी स्टाफ की ट्रेनिंग भी हो चुकी है। फिर भी वेंटिलेटर इंस्टॉल नहीं किए जा सके। कारण यह है कि वेंटिलेटर के लिए मॉनीटर आदि जरूरी सामान अभी नहीं मिला है। जिससे हर माह 15-20 पेशेंट रेफर किए जाते हैं।

ड्रग कारपोरेशन को मॉनीटर की सूची पहले ही भेजी जा चुकी है लेकिन अभी सामान नहीं मिला है। सामान मिलते ही वेंटिलेटर शुरू कर दिया जाएगा।

- डॉ। आशुतोष दूबे, एमएस सिविल हॉस्पिटल

बलरामपुर हॉस्पिटल

बलरामपुर हास्पिटल में 4 वेंटिलेटर हैं। जिनमें एक अकसर काम नहीं करता है। लेकिन, इन्हें चलाने के लिए स्टाफ नहीं है। जिससे मरीजों को वेंटिलेटर की सुविधा नहीं मिलती। हॉस्पिटल रेफर किए मरीज एडमिट नहीं करता है। दूसरा वेंटिलेटर की कमी से गंभीर मरीजों को दूसरे हॉस्पिटल रेफर किया जाता है।

वेंटिलेटर ऑपरेट करने के लिए स्टाफ की कमी है। जिसके लिए डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की मांग की गई है। रेफर केस नहीं लेते रहे हैं।

- डॉ। राजीव लोचन, निदेशक बलरामपुर हॉस्पिटल

लोकबंधु हॉस्पिटल

लोकबंधु हॉस्पिटल में लोहिया से 4 वेंटिलेटर भेजे गये थे, जो कई माह से बंद कमरे में धूल फांक रहे हैं। यहां डॉक्टरों और स्टाफ की भी कमी है। ऐसे में गंभीर मरीजों को दूसरी जगह रेफर किया जाता है। जिसके चलते कई बार मरीज बीच रास्ते ही दम तोड़ देते हैं। हॉस्पिटल प्रशासन ने स्टाफ ट्रेनिंग के लिए लेटर लिखा है, लेकिन कुछ हुआ नहीं है।

स्टॉफ की ट्रेनिंग के लिए कई बार लेटर लिखा गया है। इसके साथ मैनपॉवर की भी कमी है। इसे दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं।

- डॉ। अमिता यादव, सीएमएस लोकबंधु हॉस्पिटल

केजीएमयू में पेशेंट का लोड ज्यादा

केजीएमयू में 150 से ज्यादा वेंटिलेटर हैं लेकिन पेशेंट की भीड़ के चलते ये फुल ही रहते हैं। जिससे वेटिंग टाइम बढ़ जाता है। कई बार तो लोगों को एडमिट भी नहीं किया जाता है। जिससे कई बार गंभीर मरीजों की मौत भी हो जाती है।

हमारे यहां सभी वेंटिलेटर चल रहे हैं। स्टाफ की कोई कमी नहीं है। पेशेंट का लोड जरूर ज्यादा रहता है।

- डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता केजीएमयू

लोहिया अस्पताल

लोहिया संस्थान, संयुक्त अस्पताल और रेफरल अस्पताल को मिलाकर यहां करीब 85 वेंटिलेटर हैं। इसके बाद भी मरीजों के भारी लोड के कारण बहुत से मरीजों को यह सुविधा नहीं मिल पाती है। स्टॉफ की कमी भी वेंटिलेटर ऑपरेट करने में बड़ी समस्या है। इसके लिए शासन को लिखा जा चुका है।

सभी वेंटिलेटर काम कर रहे है। स्टाफ की कमी है। जिसे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। कोशिश रहती है कि किसी को वापस न किया जाए।

- डॉ। एके त्रिपाठी, निदेशक लोहिया संस्थान

इसे भी जानें

हॉस्पिटल बेड वेंटिलेटर डेली पेशेंट

1. सिविल 400 0 3000

2. बलरामपुर 776 4 2500

3. लोकबंधु 300 0 1500

4. लोहिया 1072 85 4000

5. केजीएमयू 3500 159 6000