10 महीने की कड़ी परीक्षा, आज मिली वैक्सीन

कोरोना काल मे अति संवेदनशील इलाके में ड्यूटी करने वाले डॉक्टर्स को बड़ी राहत

Meerut। 10 महीने की कड़ी परीक्षा, कोरोना मरीज को संभालना, उनका एक-एक कांटेक्ट तलाशना, आधी रात में ही मरीजों को एडमिट करवाना, इलाके को सील करते हुए हर तनावपूर्ण माहौल से निपटना, परफार्मेस को लेकर बनता दबाव.कोरोना काल मे अति संवेदनशील इलाके में ड्यूटी करने वाले कई डॉक्टर्स को गुरुवार को वैक्सीन लगी तो इन्होंने राहत की सांस ली। डॉक्टर्स का साफ कहना था कि तनाव भरे माहौल में लंबा दौर गुजराने के बाद आखिरकार वैक्सीन की डोज मिली है। इन लम्हों को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

पत्थर बाजी, मारपीट सब कुछ झेला

मकबरा डिग्गी हेल्थ पोस्ट इंचार्ज डॉ। विनोद द्विवेदी बताते है कि मार्च-अप्रैल के दिन थे। कोरोना संक्रमण का शुरुआती दौर था। मेरी ड्यूटी मकबरा डिग्गी हेल्थ पोस्ट पर लगी। इस केंद्र से सभी अतिसंवेदनशील इलाके जुड़े हुए थे। यहां शुरू में ही केस मिलने लगे थे। पीपीई किट, डबल मास्क, चश्मा सब लगाकर हम फील्ड में जाते थे। इधर पीपीई किट पहनने के आधे घंटे के अंदर ही सांस लेना मुश्किल हो जाता था, उधर इन इलाकों में मरीज को आईसोलेट करना, घरवालों के साथ आसपास के लोगों को समझाना, कांटेक्ट ट्रेसिंग, टेस्टिंग करवाना सबसे चुनौतीपुर्ण था। इस दौरान हमें पत्थरबाजी और मारपीट का भी सामना करना पड़ा था। अनिश्चितता की स्थिति थी। लगता था कि दौर कब खत्म होगा। इसके बाद जिला अस्पताल की वैक्सीनेशन साइट का मुझे नोडल नियुक्त कर दिया गया। वायरस के बाद वैक्सीनेशन को एक्जीक्यूट करना, दोहरी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई। इन सब के बीच वैक्सीन मिलना किसी इनाम जैसा है।

वैक्सीन नहीं राहत का टीका-डॉ। अनीस

पल्हैड़ा सीएचसी के इंचार्ज डॉ। अनीस अहमद ने बताया कि उनके लिए ये वैक्सीन नहीं बल्कि राहत का सबसे बड़ा टीका है। वह बताते हैं कि कोरोना-वायरस के पहले स्ट्रेन की चुनौतियों के बीच यूके के स्ट्रेन भी उन्हीं के इलाके में मिला। पहले ही एरिया संवेदनशील घोषित था। नए स्ट्रेन के बाद तो माहौल बिल्कुल बदल गया था। इन सब के बीच कोरोना मरीजों के घर जाना, टेस्टिंग करना लगातार जारी था। इलाके में केस बढ़े तो हमारी चिंताएं भी बढ़ने लगी। खुद के, टीम के और परिवार में संक्रमित होने का डर भी बना रहता था। कई बार मरीजों के साथ उनके आसपास वाले लोगों को समझाना मुश्किल हो जाता था, तब लगता था कि आखिर इस बीमारी से कब निजात मिलेगी। इस दौर से गुजरने के बाद ये वैक्सीन हमारे लिए सबसे बड़ी राहत बनकर आई है।