- हाईकोर्ट में कप्तान को किया गया तलब, दबाव में आरोपी ने पहुंचा जेल

- इनाम घोषित होने पर पुलिस अरुण को नहीं कर रही थी गिरफ्तार

Meerut : चार माह से पुलिस जिस आरोपी को पकड़ने में हिचकिचा रही थी। कप्तान साहब को हाईकोर्ट में तलब होते ही आरोपी ने कोर्ट में स्वयं सरेंडर कर दिया। इससे तो साफ जाहिर होता है कि पुलिस खुद आरोपी को बचाने में लगी हुई थी।

ये था मामला

चौदह मई को सिविल लाइन के शिवाजी रोड निवासी रिटायर्ड प्रवक्ता श्रीचंद चौहान की दूसरी पत्‍‌नी कौशल रानी की एनएएस डिग्री कॉलेज के समीप सौतेले बेटे अरुण ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। कौशल देवी एनएएस इंटर कॉलेज में ¨हदी की प्रवक्ता थी। हत्या को अंजाम देकर अरुण भीड़ के बीच से हवाई फाय¨रग करता हुआ फरार हो गया था। श्रीचंद की ओर से पहली पत्‍‌नी अंगुरी देवी और बेटे अरुण के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।

अंगूरी पहले ही जा चुकी है जेल

पुलिस ने अंगुरी देवी को घटना के बाद ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। लेकिन पुलिस मुख्य आरोपी अरुण पर हाथ नहीं डाल रही थी। जबकि उस पर पुलिस ने स्वयं इनाम भी घोषित कर रखा था।

कोर्ट ने किया एसएसपी को तलब

हाईकोर्ट में जमानत पर बहस हुई तो महिला प्रवक्ता की ओर से भी अधिवक्ता ने जवाब तलब किया। जिसमें दर्शाया गया कि अभी मुख्य आरोपी अरुण फरार है। जो पीडि़त के परिवार को हानि पहुंचा सकता है। तत्काल ही हाईकोर्ट ने अरुण की गिरफ्तारी नहीं होने पर अंगुरी देवी की जमानत पर अर्जी का खारिज करते हुए एसएसपी मेरठ को तलब कर जवाब मांग लिया।

मामले के आईओ को भेजा

एसएसपी ने अपने स्थान पर विवेचक इकबाल अहमद कलीम को भेजा कलीम की ओर से डाली गई अर्जी में तर्क दिया कि अदालत में एसएसपी को आने की जरुरत नहीं है। जिसके तहत कोर्ट ने 18 अगस्त को एसएसपी को पेश होने के आदेश दिए।

हरकत में आई पुलिस

एसएसपी के हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद पुलिस ने अरुण की बहन और बहनोई समेत सभी लोगों को हिरासत में ले लिया। उन पर इतना दबाव बनाया गया कि उधर एसएसपी हाईकोर्ट में तलब हुए। इधर कोर्ट में अरुण ने सरेंडर कर दिया। एसएसपी डीसी दूबे ने अरुण के सरेंडर करने का दावा किया। तब जाकर अदालत ने उन्हें राहत दी है।

कार में सवार होकर पहुंचा कोर्ट

अरुण कार में सवार होकर अदालत पहुंचा। जबकि उस समय सिविल लाइन पुलिस मौके पर मौजूद थी। पुलिस अरुण को गिरफ्तारी नहीं कर सकी। दरअसल, पुलिस बच रही थी कि कहीं अरुण भाग गया तो हाईकोर्ट एसएसपी को उलझा न दे। इसलिए पूरे प्लानिंग को अंजाम देकर हाईकोर्ट में अरुण के सरेंडर का प्रार्थना पत्र ई-मेल कर दिया है।

अरुण की लोकेशन ग्वालियर में आने के बाद दोबारा से पुलिस ने काम नहीं किया था। बल्कि इंस्पेक्टर सिविल लाइन इकबाल अहमद कलीम अरुण को उधम सिंह के गैंग में शामिल होने की पढ़ाई पढ़ा रहे थे। कलीम को हटाकर एसएसआई रणसिंह को टीम के साथ लगाया गया तो अरुण के सगे संबंधी और रिश्तेदारों को हिरासत में लेते ही अरुण ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया, जहां से अदालत ने अरुण को सीधे जेल भेज दिया।

स्वर्णजीत कौर, सीओ सिविल लाइन