वाराणसी (ब्यूरो)अगर आपका बच्चा निमोनिया या कोल्ड डायरिया से पीडि़त है तो इसे हल्के में ना लेंप्रॉपर तरीके से जांच और इलाज न कराना बच्चों की सेहत पर भारी पड़ सकता हैऐसा इसलिए कि चीन के बाद भारत में भी कोरोना का नया वैरिएंट जेन-1 तेजी से फैल रहा हैइस बार भी यह वायरस बच्चों को अपना शिकार बना रहा हैबच्चों में फैल रहे इस वायरस को निमोनिया बताया जा रहा हैयही वजह है कि हेल्थ एक्सपर्ट बच्चों को लेकर काफी गंभीर नजर आ रहा हैभले बनारस में अभी जेन-1 के साथ कोरोना के एक भी केस सामने नहीं आए हंै, लेकिन अन्य प्रदेशों में बढ़ते केस को देखते हुए लोगों को इससे बचने की सलाह दी जा रही हैपिछले दिनों हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से एडवाइजरी भी जारी कर दी गई हैएहतियातन यहां कोरोना की जांच फिर से शुरू करा दी गई हैपिछले तीन दिनों में यहां 100 से अधिक लोगों की जांच की गई है, लेकिन अभी तक एक भी केस में कोरोना की पुष्टि नहीं हुई है.

बढ़ रहे निमोनिया के पेशेंट

इधर ठंड बढऩे के बाद से जिला और मंडलीय अस्पताल के पीडियाट्रिक्स व बाल रोग विभाग में इलाज कराने वाले बच्चों की भीड़ बढ़ गई हैजांच के दौरान बच्चे खासकर शिशु उल्टी, दस्त, लूज मोशन के साथ कोल्ड डायरिया और निमोनिया से पीडि़त पाए जा रहे हैंमंडलीय अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि इस मौसम में बच्चे खासकर शिशु कोल्ड डायरिया और निमोनिया के शिकार होते हैंइन दिनों ओपीडी में डेली 125 से 150 बच्चे उक्त बीमारियों का इलाज कराने के लिए लाए जा रहे हैंइसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा निमोनिया और डायरिया से पीडि़त हैंलगभग यही स्थिति जिला अस्पताल में भी हैअब ऐसे वक्त में कोरोना के नए वैरिएंट के वायरस में निमोनिया की बात सामने आने के बाद लोगों में डर बढ़ गया हैइसलिए पैरेंट्स को ऐसे मौसम में उनके बच्चों की ज्यादा केयर करने की सलाह दी जा रही हैज्यादा गंभीर मामले में कोरोना टेस्ट की भी सलाह दी जा रही है

फेफड़े में जलन के साथ तेज बुखार

हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो नए वायरस से उपजी इस बीमारी के दौरान बच्चों के फेफड़े में जलन, तेज बुखार, खांसी और जुकाम जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैंफिलहाल इसे रहस्यमयी निमोनिया कहा जा रहा हैआपको बता दें कि रहस्यमयी निमोनिया चीन में बच्चों को तेजी से अपना शिकार बना रहा हैइसकी चपेट में आने के बाद बच्चों के फेफड़ों में तेज दर्द और बुखार होने की वजह से सांस लेने में तकलीफ हो रही है

क्या है निमोनिया

विशेषज्ञों का कहना है कि निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है, जो किसी भी उम्र में हो सकता हैइस रोग में फेफड़ों के टिशु में मवाद भर जाता हैइस कारण सांस लेने में दिक्कत होती हैइसका खतरा सबसे ज्यादा दो साल से कम उम्र के बच्चों और 60 साल से अधिक अधिक उम्र के लोगों को रहता है, लेकिन कोरोना महामारी के बाद 25 से 35 साल के युवा भी इसकी चपेट में आकर गंभीर हो रहे हैं, जबकि सामान्य दिनों में यह माना जाता था कि इस उम्र के युवा कभी निमोनिया की चपेट में नहीं आ सकते

निमोनिया के गंभीर लक्षण

-सांस लेने में परेशानी (तेजी से सांस लेना)

-धड़कन की तेजी

-छाती में तेज दर्द होना

-कम रक्तचाप

-खांसी में खून आना

-कंपकंपी और पसीना होना

-भूख कम लगना

-मतली और उल्टी

बचाव

-साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें

-अपने हाथों को समय-समय पर धोते रहें

-जरूरत पडऩे पर सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल करें

-सिगरेट-बीड़ी से दूर रहें

ठंडी बढऩे के बाद से ओपीडी में सर्दी, खांसी के साथ कोल्ड डायरिया और निमोनिया से पीडि़त बच्चे ज्यादा आ रहे हैंगंभीर मामलों में बच्चों को एडमिट कर सभी तरह की जांच कराई जा रही हैहालांकि अभी तक रहस्यमयी निमोनिया जैसे केस नहीं आए हंैफिर भी एहतियात के तौर पर लोगों को बच्चों की खास केयर करने की सलाह दी जा रही है.

डॉसीपी गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ, मंडलीय अस्पताल