-चुनाव आयोग ने सहकारी समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को चुनाव लड़ने की नहीं दी परमीशन

-गांव के लोगों को लुभा कर अक्सर समिति के पदाधिकारी बन जाते थे प्रतिनिधि

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अब किन्नर प्रधान बन सकेंगे, मगर सहकारी समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष नहीं। क्योंकि चुनाव आयोग ने एक नया आदेश पारित किया है। इसके तहत किन्नर किसी भी क्षेत्र से अपना नामांकन पत्र भर सकता है। इनके लिए मेल या फीमेल सीट की पाबंदी नहीं होगी। जबकि सहकारी समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है। आयोग का यह फैसला निष्पक्ष चुनाव को देखते हुए दिया गया है।

सरकारी मदद के नाम पर नहीं जीतेंगे चुनाव

सहकारी समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पूरे साल सरकारी खजाने के नाम पर गांव के लोगों की मदद कर अपना उल्लू सीधा करते रहे हैं। ये लोग चुनाव आते ही नामांकन कर पब्लिक के पास वोट के लिए पहुंच जाते थे। जिन्हें अन्य प्रत्याशियों की अपेक्षा पब्लिक का अधिक सपोर्ट भी मिलता था। इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने इस बार इनके चुनाव लड़ने पर ही रोक लगा दी है। मतलब साफ है कि अब चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हर बारीकी पर नजर रख रहा है।