ठंड बढ़ते ही अस्थमा के मरीजों में बढ़ी सांस की तकलीफ
मंडलीय अस्पताल में रोजाना पहुंच रहे 150 से ज्यादा सांस के मरीज
पहले की तुलना में ओपीडी में 40 फीसदी मरीज बढ़े, बच्चों व बुजुर्गो की संख्या ज्यादा
बढ़ती ठंड और रात में हो रही गलन से जहां आम लोग ठिठुर रहे है, वहीं अस्थमा रोगियों की परेशानी भी बढ़ गई है। ठंड का सबसे ज्यादा असर अस्थमा पेशेंट पर पड़ रहा है। ठंड के कारण इनकी सांसें फूलने लगी है। यहीं नहीं पिछले एक सप्ताह से लगातार बढ़ रहे ठंड का असर ये है कि सामान्य मरीजों में भी सांस संबंधी समस्याएं आनी शुरू हो गई है। अस्पतालों में ऐसे मरीजों की ग्राफ बढ़ने लगी है। मंडलीय अस्पताल के चिकित्सकों की माने तो पहले पॉल्यूशन और अब ठंड की वजह से सांस के मरीजों की तकलीफ बढ़ रही है.ओपीडी में सांस और अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। अस्थमा मरीजों को इन्हेलर रखने की सलाह दी जा रही है।
रोजाना 150 मरीज पहुंच रहे डेली मंडलीय हॉस्पिटल के चेस्ट फिजिशियन डिपार्टमेंट में रोजाना 250 से 300 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे। इसमें करीब 150 से ज्यादा मरीज है सांस और अस्थमा की शिकायत लेकर पहुंच रहे है। इसमें बच्चों व बुजुर्गाें की संख्या ज्यादा है। कुछ ही स्थिति प्राइवेट अस्पतालों में भी बनी हुई है। अलग-अलग हॉस्पिटल्सं में डेली 30 से 35 सांस के नए व पुराने मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
क्या होती है दिक्कत
मंडलीय अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन डॉ। राजकुमार शर्मा की माने तो अस्थमा के मरीजों को धूल और धुएं में सबसे अधिक परेशानी होती है। ऐसे में शहर की जहरीली हवा में बढी ठंड अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ा रही है। वातावरण में छाई नमी से मरीजों की सांसें फूल रही है। इस समय ओपीडी में सबसे अधिक मरीज सांस की समस्या वाले ही पहुंच रहे हैं। अस्थमा के हर मरीज को इन्हेलर साथ रखने की सलाह दी जा रही है, ताकि वे खुद को सेफ रख सके।
क्या है अस्थमा
अस्थमा एक गंभीर बीमारी है, जो सांस की नलियों को प्रभावित करती है। यह नलियां फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती हैं। अस्थमा होने पर इन नलियों की भीतरी दीवार पर सूजन आ जाती है, जो नलियों को बेहद संवेदनशील बना देती है। जब नलियां प्रतिक्रिया करती हैं, तो यह सिकुड़ने लगती है। इस स्थिति में फेफड़े में ऑक्सीजन की मात्रा कम जाती है। इससे पीडि़तों में लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ, चेस्ट का कड़ा होना, आदि जैसे लक्षण विकसित होने लगते हैं।
अस्थमा के कारण
प्रदूषित हवा
ज्यादा ठंड और कोहरा
सुगंधित सौंदर्य प्रसाधन
सर्दी, फ्लू, ब्रोंकाइटिस और साइनसाइटिस का संक्त्रमण
स्मोकिंग की लत
महिलाओं में हार्मोनल चेंजेस
अस्थमा के लक्षण
सांस लेने में दिक्कत
खांसी, छींक
सीने में जकड़न जैसा महसूस होना
बेचैनी महसूस होना।
अस्थमा से बचने के उपाय
अर्ली मॉर्निंग वॉक करने से परहेज
मुंह पर कपड़ा या मास्क लगाकर निकले।
स्मोकिंग से दूरी बनाए।
ठंड में शरीर को पूरी तरह से ढक कर रखें।
ऐसे मरीज इन्व्हेलर अपने पास रखें।
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अस्थमा के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अस्थमा से पीडि़त इस मौसम में मॉर्निग, इवनिंग वॉक करने से बचे। इस तकलीफ से बचने के लिए परहेज बहुत जरूरी है। डॉ। एसके पाठक,
निदेशक, ब्रेस्थ इजी टीबी चेस्ट केयर हॉस्पिटल
पॉल्यूशन और बढ़ती ठंड का असर न्यू बेबी और बच्चों पर पड़ रहा है। सांस की समस्या से ग्रसित बच्चों को सावधान रहने की जरुरत है। आने वाले दिनों में बच्चों में यह समस्या बढ़ सकती है।
डॉ। सीपी गुप्ता, चाइल्ड स्पेशलिस्ट
मंडलीय अस्पताल