- जयगुरुदेव सत्संग के दौरान राजघाट पुल पर मची भगदड़ में हुई 25 मौतों के मामले में अफसरों ने न्यायिक जांच आयोग के रखा पक्ष

- बोले पुल के नीचे से ट्रेन गुजरने के चलते हुई कंपन बनी भगदड़ की वजह

- जनता की तरफ से दर्ज हुए 192 बयान, छह अफसरों ने दिया बयान जबकि कुछ ने मांगा समय, अगली संभावित तिथि 28, 29 जनवरी

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जयगुरुदेव सत्संग मंडल मथुरा की ओर से 15 अक्टूबर 2016 को रामनगर स्थित डोमरी गांव में आयोजित आध्यात्मिक सत्संग के दौरान निकली शोभायात्रा में राजघाट पुल पर हुई भगदड़ के दौरान हुई 25 लोगों की मौत के मामले में घटना की जांच कर रहे एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के सामने गुरुवार को अफसरों ने अपना पक्ष रखा। अफसरों ने अपने बयान में ये कहा कि पुल के नीचे से जब ट्रेन गुजरी तो श्रद्धालुओं के बीच से ही अफवाह उठी कि पुल गिर रहा है। इसके बाद लोग बेतहाशा भागने लगे और भगदड़ मच गई। एक के ऊपर एक के गिरने से कुचल कर श्रद्धालुओं की मौत हुई। अफसरों ने कहा कि उनकी तरफ से कोई लापरवाही नहीं बरती गई। यह एक दुखद हादसा था। आयोजकों ने भीड़ और शोभायात्रा के लिए अनुमति व अन्य पूछताछ में जो सूचना दी थी उसी के मुताबिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था के इंतजाम किए गए थे।

कई पहुंचे कई नहीं

अफसरों ने उक्त बातें न्यायिक आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आरएमएस चौहान और सचिव ज्ञान चंद्रा के सामने गुरुवार को रखी। इसके लिए जांच आयोग ने पुराने सर्किट हाउस परिसर में अपने कार्यालय के सामने अदालत लगाई। ज्ञान चंद्रा ने बताया कि बयान दर्ज कराने के लिए 42 अफसरों को समन दिया गया है। इसमें पूर्व एडीएम सिटी, एसपी सिटी, सीओ और वर्तमान एसडीएम सदर वाराणसी, सीएमओ चंदौली व लखनऊ आदि शामिल थे। कई अफसर पहले ही अपना बयान आयोग के सामने लिखित रूप में प्रस्तुत कर चुके हैं। घटना के समय तैनात कुछ अफसरों ने प्रतिनिधि भेजे।

आयोजकों ने बोला झूठ

आयोग के सामने अफसरों ने बताया कि आयोजकों ने प्रशासन को बताया था कि केवल युवा अनुयायी ही लंबी शोभायात्रा में शामिल होंगे। बाद में सत्संग स्थल पर वक्ताओं ने कहा कि शोभायात्रा में जो नहीं जाएगा वह नर्क का भागीदार बनेगा। इतना ही नहीं भक्तों को बरगलाया गया कि शरद पूर्णिमा (15 अक्टूबर) का दिन, मां गंगा का किनारा व बाबा के सानिध्य में अगर लंबी शोभायात्रा में मौत भी हो जाए तो कोई बात नहीं। इससे मुक्ति मिल जाएगी। यही बातें जांच आयोग के सामने पहुंचे जयगुरुदेव के अनुयायी दानूपुर, कपसेठी निवासी राम शिरोमणि मिश्र उर्फ सरस्वती कुमार काशी ने भी लिखित रूप से कही। उन्होंने कहा कि आयोजकों ने प्रशासन को अंधेरे में रखा। वहां पर भंडारा से लेकर जो भी व्यवस्था की गई थी वह 10 लाख लोगों के लिए थी। मांग किया कि प्रशासन को गुमराह कर आयोजन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

आयोग को प्रत्यक्षदर्शियों का इंतजार

सचिव ने बताया कि हमने घायलों और मृतक के परिजनों को नोटिस दी है। हमारा प्रयास है कि मृतकों के साथ अगर कोई परिजन रहा हो या घायल ज्यादा सटीक बता सकता हैं। इसी प्रकार प्रत्यक्षदर्शियों से भी अपील है कि वे अपना पक्ष रखें।