वाराणसी (ब्यूरो) गंगा को निर्मल और विरल बनाने के लिए वाराणसी में 6 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए हैंइसके पीछे की सोच गंगा को साफ और स्वच्छ रखने की थी, लेकिन क्षमता से कम सीवेज साफ करने के कारण गंगा लगातार प्रदूषित हो रही हैइसका परिणाम ये होता है कि गंगा कभी हरी तो कभी काली हो जाती है और विभाग सिर्फ जांच के खेल में पड़ा रहता हैजानकारों की मानें तो नालों का पानी गंगा में गिरना बंद हो जाए तो बहुत हद तक पानी साफ हो जाएगागंगा में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कई बार कार्रवाई के आदेश दिए जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद ट्रीटमेंट प्लांटों के क्षमता अनुरूप काम नहीं करने के कारण सीवेज गंगा में सीधे पहुंच रहा है

ऐसे बने तीन ट्रीटमेंट प्लांट

सीवेज का गंदा पानी गंगा में न जा सके, इसके लिए 1986 में दीनापुर बीएचयू के भगवानपुर और बीएलडब्ल्यू में ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गयाउस समय तीनो जगह मिलाकर 102 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट बना, लेकिन सीवेज का पानी गंगा में 147 एमएलडी के बराबर जा रहा थातीनों ट्रीटमेंट प्लांट को बनाने में 7 साल लगे और यह बनाने का काम 1986 से शुरू होकर 1993 तक चलाजानकारों की मानें तो अगर सीवेज से 147 एमएलडी गिर रहा है तो कम से कम 200 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट उस समय बनाना चाहिए था ताकि भविष्य में सीवेज पर लोड बढ़ता तो गंगा का पानी गंदा नहीं होता, लेकिन बढ़ते दबाव को देखते हुए एक बार फिर 1999 में 3 ट्रीटमेंट प्लांट पर काम शुरू किया गयादूसरे फेज में गोइठहां, दीनापुर में दूसरा और रमना में ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया

250 एमएलडी सीवेज गंगा में प्रवाहित

वर्तमान समय में सभी 6 ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 412 एमएलडी है, जबकि बनारस में 660 एमएलडी सीवेज निकलता हैइसी कारण वर्तमान समय में 250 एमएलडी से अधिक सीवेज गंगा में जा रहा है, जिससे गंगा प्रदूषित हो रही हैंयदि ट्रीटमेंट प्लांट लगभग 800 एमएलडी का बना होता तो कम से कम तीन दशक तक गंगा में सीवेज नहीं जातायही नहीं वर्तमान में ट्रीटमेंट प्लांट पूरी क्षमता से काम भी नहीं कर रहे हैं

वरुणा में गिरते हैं नाले

गंगा की सफाई का काम 1986 में शुरू किया गया थाउस समय यह तय हुआ था कि जो नाला तट तक आएगा, उसका डायवर्जन कर ट्रीटमेंट किया जाएगालेकिन ऐसा अब तक नहीं हो सका हैअस्सी से वरुणा की दूरी सात किमी हैइसमें 33 नाले गिरते हैंइन नालों में नगवां, खिडि़किया घाट, तेलिया नाला, ब्रह्मा घाट, आरपी घाट, त्रिलोचन घाट, जलेसन, मानसरोवर, हरीशचंद्र, शिवाला आदि शामिल हैंइनके अलावा कई छोटे-छोटे नाले भी हैंइन सभी का पानी गंगा तक पहुंच रहा है

वाराणसी के ट्रीटमेंट प्लांट

1986 ---

दीनापुर - 80 एमएलडी

बीएलडब्ल्यू - 12

बीएचयू - 10 एमएलडी

1999---

दीनापुर में 140 एमएलडी

गोइठाहां - 120 एमएलडी

रमना - 50 एमएलडी

अभी ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 420 के आसपास हैएक प्लांट गोइठहां पूरी क्षमता से नहीं कर रहाइसकी क्षमता बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया हैजल्द ही इस पर काम होगाशहर में एक जो सबसे बड़ी कमी है वह है सीवेज कीयदि पूरे शहर में सीवेज हो जाए तो गंगा में गंदा पानी जाना बंद हो जाएगा

- घनश्याम द्विवेदी, चीफ इंजीनियर