वाराणसी (ब्यूरो)। संत रविदास जन्मस्थली सीर गोवर्धनपुर की धूल सिर माथे लगा कर भक्तों का जत्था गुरुवार को अपने घरों को लौट गया। गुरु का जन्मोत्सव मनाने के बाद प्रस्थान का सिलसिला दोपहर बाद शुरू हुआ। इस दौरान रविदासिया संगठन की बैठक में बताया गया कि वर्ष 2010 में संगठन का गठन किया गया था। अब तक संगठन से 12 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। एकता की ही ताकत है कि आज जयंती में सभी राजनीतिक दलों के लोग संत दरबार में मत्था टेकने आ रहे हैं.
रवाना हुए धर्म प्रमुख
रविदासिया प्रमुख संत निरंजन दास के साथ श्रद्धालुओं का पहला जत्था दोपहर में रवाना हुआ। संत निरजंन दास मंदिर ने संत रविदास की प्रतिमा को नमन किया। संत मनदीप दास और संतों के साथ ही ट्रस्ट केएल सरोये, निरंजन चीमा, मैनेजर रनवीर ङ्क्षसह और श्रद्धालुओं के साथ कैंट स्टेशन के लिए निकले और विशेष ट्रेन से पंजाब के लिए प्रस्थान कर गए।
फिर मिलने का वादा
वापस लौटने से पहले श्रद्धालुओं ने गले मिल कर एक दूसरे को विदाई दी। अगले साल फिर मिलने का वादा किया। इस दौरान बिछोह की पीड़ा पलकों की कोरें गीली कर गई। अब दूसरी स्पेशल ट्रेन शुक्रवार को रैदासी भक्तों को लेकर पंजाब लौटेगी। ज्यादातर भक्त और सेवादार अन्य ट्रेनों और बस तथा निजी वाहनों से काशी से वापसी शुरू कर दिए हैं। हफ्ते भर से दिन रात मंदिर, पंडालों और मेला क्षेत्र में चल रही चहल पहल कम होगी।
पदाधिकारियों की बैठक
संत रविदास जयंती के संपन्न होने के बाद रविदासिया संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव वाघमारे और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा मंदिर के संत मनदीप दास ने संगठन के पदाधिकारियों के साथ मंदिर में एक बैठक की। इसमें संत की जन्मस्थली के विकास और रविदासिया के प्रचार-प्रसार और संगठन को मजबूत बनाने की चर्चा की गई। संत मनदीप दास ने बताया कि 2010 में रविदासिया संगठन की घोषणा हुई और 12 सालों में लगभग 12 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। आज संगठन की मजबूती और एकता का परिणाम है कि राजनीतिक दलों के लोग भी श्रद्धा के साथ संत दरबार में मत्था टेकने आते हैं.
प्रशासन का जताया आभार
मंदिर के प्रमुख संत गद्दीनशीन 108 संत निरंजन दास ने सरकार और स्थानीय प्रशासन का आभार जताते हुए देश की जनता को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। संत निरंजन दास ने आपसी प्रेम और भाईचारे के साथ ही एकता के साथ मिलजुल कर रहने का संदेश देते हुए कहा कि सत-संगत मिल रहिए माधव जैसे मधुप मखीरा मधुमक्खी जैसे एक छत्ते में मिलकर रहती है उसी प्रकार एकसाथ रहना चाहिए। ट्रस्टी केएल सरोये ने कहा कि प्रशासन कच बड़ा अच्छा सहयोग रहा और सुरक्षा व्यवस्था भच् काफी अच्छी रही.
सेवा कर रहे सेवादार
मंदिर के पास आधा दर्जन की संख्या में सेवादार मेले में आये लोगों के जूते में पालिस कर रहे थे। फटे जूते और चप्पल की सिलाई करने वाले सेवादार इस कार्य को अपने संत की जन्मस्थली पर सेवा का पुण्य मानते हैं.
मेले में की खरीदारी
जयंती में आने वाले देश विदेश के श्रद्धालु घर वापसी के पहले दुकानों से कुछ न कुछ खरीदारी करते दिखे.इनका मानना है कि ये संत रविदास की जन्मस्थली का प्रसाद है। यहां न आने वालों को प्रसाद के रूप में देते हैं। श्रद्धालु यहां से खरीदी कोई एक वस्तु को अपने पूजा घरों में रखते हैं.