-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य् पदार्थो का करें सेवन

-बाहर न निकलने का मतलब कमरे में कैद करना नहीं

कोरोना से बचाव को लेकर वैसे तो हर किसी को विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है लेकिन बुजुगरें (60 साल से ऊपर) का कुछ खास ख्याल रखना होगा। इस अवस्था में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के चलते उनमें संक्त्रमित होने का खतरा अधिक ही होता है। ऐसे में उन्हें घर से बाहर निकलने से परहेज करना चाहिए लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं कि उन्हें कमरे में कैद कर दिया जाए। घर के हर सदस्य का फर्ज बनता है कि इस विषम परिस्थिति के समय वह घर के बुजुर्ग सदस्यों से पूरी तरह प्यार से पेश आयें। साथ ही इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थो को ज्यादा लें।

महसूस न हो एकाकीपन

बुजुगरें को एकाकीपन न महसूस हो इसलिए परिवार के अन्य सदस्य साफ़-सफाई का पूरा ध्यान रखते हुए उनको पर्याप्त समय दें। उनके लिए ऐसे कमरे का चयन करें जो की हवादार और खुला हुआ हो। उनके घर की बालकनी व बरामदे में टहलने की कोई पाबंदी न हो। मनोरंजन के लिए उनको टीवी पर उनके मनपसंद सीरियल देखने से न रोकें। पूजा-पाठ करते हों तो उन्हें उसको जारी रखने दें। व्यायाम करना भी ऐसे वक्त में जरूरी है। इसके लिए पार्क की जगह बरामदे और बालकनी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

खानपान पर दें पूरा ध्यान

महानिदेशक परिवार कल्याण डॉ। बद्री विशाल का कहना है कि ऐसे समय में बुजुगरें के खानपान पर भी पूरी तरह से ध्यान दिया जाए ताकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता बरकरार रहे। उनको ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ सेवन करने को दें। जैसे- गुनगुना पानी, जूस, नीबू रस गुनगुने पानी के साथ, तुलसी-अदरक वाली चाय आदि। उनके भोजन में दूध, दही, पनीर, हरी सब्जियां और दाल की भरपूर मात्रा होनी चाहिए। मौसमी और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले फल जरूर लें। यदि दवा ले रहे हैं तो नियमित लेते रहें। कोरोना से बचने का सही तरीका ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतना ही है, ताकि वायरस को पूरी तरह से ख़त्म किया जा सके। हाथों को बार-बार साबुन-पानी से अच्छी तरह से धोएं, हाथों से मुंह-आंख व नाक को अनावश्यक न छुएं।

घर में बिता रहा हूं समय

65 वर्षीय बुजुर्ग का कहना है कि कोरोनावायरस के फैलाव को देखते हुए वह बाहर निकलने से पूरी तरह परहेज कर रहे हैं। ऐसे में पेशे से शिक्षक उनकी बहू और बच्चे स्कूल में छुट्टी होने के चलते उनका पूरा साथ दे रहे हैं। घर में अकेले होने के चलते पहले वह घंटों पार्क में टहलने और दोस्तों से बातचीत करने में बिताते थे लेकिन परिवार के सदस्यों ने उन्हें ऐसा माहौल दिया है कि उनको बाहर निकलने की जरूरत ही नहीं महसूस हो रही है।