लखनऊ (ब्यूरो)। हमरे राम तिरपाल मा जिंदगी बसर कर रहे राहें, अब जाएके उनका घर मिल पावा, अब कौनो चिंता नाहीं ठेठ अवधी में यह कहना है 82 साल की वृद्धा भगना देवी का। मणिराम दास छावनी के करीब रहने वाली भगना देवी राम मंदिर को लेकर अब तक चले आंदोलन के बारे में पूछे जाने पर शून्य की ओर निहारने लगती हैं। उन्होंने कहा कि काफी दिनों से आंदोलन चला रहा है। अब जाकर भगवान श्री राम का वनवास खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के शनिवार को आए फैसले से बेहद खुश भगना देवी कहती हैं कि यह दिन देखने के लिये उन्होंने कितना लंबा इंतजार किया। अब जाकर वह दिन आया। उम्मीद जताई कि अब आगे सब अच्छा ही होगा।

हमरे राम का घर मिल गवा,अब कौनो चिंता नाहीं...अयोध्या के इन बुजुर्गों ने ताजा की आंदोलन की यादें

यह दिन देखने को आंखें तरस गईं

निर्मोही अखाड़ा के करीब रहने वाले 77 वर्षीय रघुनंदन दास कहते हैं कि यह दिन देखने के लिये उनकी आंखें तरस गईं। वे बताते हैं कि बचपन में वे जन्म भूमि के दर्शन के लिये जाते थे तो इतना सुरक्षा का झंझट नहीं था। भले ही वह ढांचा विवादित था लेकिन, फिर भी इतनी सख्ती उस वक् त नहीं थी। लोगों के बीच आपसी संबंधों के बारे में बात करते हुए रघुनंदन दास ने बताया कि भले ही राम जन्म भूमि व बाबरी मस्जिद का मुकदमा कोर्ट में चल रहा था लेकिन, उसकी पेशी पर मुददई महंत रामचंद्र परमहंस और हाशिम अंसारी एक साथ एक ही इक्के  पर कचहरी जाते थे। उनके बीच कभी आपस में कड़वाहट नहीं रही। लेकिन, इस मुददे को लेकर देश भर में हिंदू-मुस्लिम के बीच कड़वाहट पनप गई। रघुनंदन दास उम्मीद जताते हैं कि इस फैसले के बाद हालात बेहतर होंगे और आपसी भाईचारा मजबूत होगा।

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करनी चाहिये एक-दूसरे की मदद

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए 78 वर्षीय राम अचल तिवारी ने बताया कि इस विवाद ने देश को दो धड़ों में बांट दिया था। हिंदू-मुस्लिम एक दूसरे को शक की निगाह से देखने लगे थे। वे कहते हैं कि हालात खराब होते ही नहीं, अगर इसमे राजनीति न की जाती। पर, इसके जरिए नेताओं के हित सधते थे। लेकिन, इस बार सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है वह सभी को हिम्मत बंधाने वाला है। उन्होंने कहा कि इस बार सबसे अच्छी बात यह रही कि सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले कहा था कि वे इसे बिना किसी लाग-लपेट मानेंगे। अब जब फैसला आ गया तो सभी को उसे इसी तरह लेना चाहिये। तिवारी कहते हैं कि होना तो यह चाहिये कि मुस्लिम मंदिर बनाने में मदद करें और हिंदू मस्जिद बनाने में। इससे दुनिया में अलग तरह का संदेश जाएगा और सारी वैमनस्यता खत्म हो जाएगी।

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