सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का ओडिशा की चांदीपुर रेंज से सक्‍सेसफुली टेस्‍ट किया गया. यह भारत और रूस का जॉइंट वेंचर है.


पहले से बेहतर हुई ब्रह्मोसभारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का भारत के ओडिशा स्थित चांदीपुर टेस्टिंग रेंज से सफल परिक्षण किया गया. यह मिसाइल वर्ष 2001 में टेस्ट हुई मिसाइल से ज्यादा डेवलप्ड है और कई नई खूबियों से लैस है. यह मिसाइज भारत और रूस का जाइंट वेंचर है और इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की राजधानी मास्को को मिलाकर रखा गया है. 290 किमी. तक करेगी मारभारत की यह सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस 290 किलोमीटर तक मार कर सकती है. यह मिसाइल अपने साथ 300 किलोग्राम यानी 2 टन वजन का वॉरहेड ले जाने में सक्षम है. इसके साथ ही इस मिसाइल में थोड़ा बहुत बदलाव करके इसे किसी भी जहाज और पनडुब्बी पर लगाया जा सकता है. यह मिसाइल हवा से दोगुनी गति से तय लक्ष्य पर पहुंच कर उसे नेस्तनाबूद करने की क्षमता रखती है.


2005 में एयरफोर्स में शामिल

इस 9 मीटर लम्बी ब्रह्मोस मिसाइल का फर्स्ट टाइम 12 जून 2001 को किया गया था. इसके साथ ही इस इंडियन एयरफोर्स में इस मिसाइल 2005 में शामिल किया जा चुका है. हालांकि आर्मी और नेवी में इस मिसाइल को पहले ही शामिल किया जा चुका है. इस मिसाइल को आईएनएस राजपूत पर तैनात किया गया है. गौरतलब है कि द्विस्तरीय मिसाइल है जिसका पहला स्टेप 2001 में टेस्ट किया गया था और दूसरा स्टेप अब टेस्ट किया जा रहा है. इस मिसाइल के वायुसेना में शामिल होते ही भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होगा.

Posted By: Prabha Punj Mishra