अमेरिकी जांच एजेंसी 'सीआईए' के पूछताछ केंद्रो पर आई सीनेट रिपोर्ट के बाद सीआईए चीफ जॉन ब्रेनान ने 9/11 हमले के संदिग्‍ध आतंकियों को बीभत्‍स यातनाएं देने की बात स्‍वीकार कर ली है. इसके साथ ही ब्रेनान ने इन तरीकों का बचाव भी किया है.


सीआईए ने मानी यातनाएं देने की बातअमेरिकी जांच एजेंसी 'सीआईए' ने 9/11 हमले के बाद पकड़े गए संदिग्ध आतंकियों से जरुरी जानकारी प्राप्त करने के लिए बीभत्स यातनाएं देने की बात को मान लिया है. गौरतलब है कि सीआईए द्वारा चलाए जा रहे पूछताछ केंद्रों में कैदियों की दी गई यातनाओं पर सीनेट की रिपोर्ट आने के बाद दुनियाभर में एजेंसी के खिलाफ रोष का माहौल है. इसके बाद सीआईए डायरेक्टर जॉन ब्रेनॉन ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि संदिग्ध आतंकियों से महत्वपूर्ण जानकारी निकलवाने के निए इंप्रोवाइज्ड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का सहारा लिया गया था जो मिशन ओसामा बिन लादेन के लिए जरूरी था. आईओटी के प्रभाव का आकलन मुश्किल
सीआईए निदेशक जॉन ब्रेनान ने कहा कि यह आकलन करना अत्यधिक मुश्किल है कि आईओटी के प्रयोग से संदिग्ध आतंकवादियों ने जानकारी उपलब्ध कराई या नही. लेकिन सीआईए के इंटरनल सर्वे में देखा गया है कि हिरासत और इंवेस्टिगेशन से काफी अहम सूचनाएं प्राप्त हुई हैं. इन सूचनाओं की मदद से अमेरिका पर होने वाले आतंकी हमलों को नाकाम बनाया गया है. इससे काफी जिंदगियां बचाई गई हैं. लेकिन यह सुनिश्चित करना मुश्किल है कि इसके प्रयोग ये यह सूचनाएं प्राप्त हुईं. मिशन की तैयारी नही थी पूरी


ब्रेनान ने कहा कि 2001 में जब मिशन ओसामा बिन लादेन शुरू हुआ तो हम इसके लिए बिलकुल भी तैयार नही थे. हमारे पास कैदियों को रखने का अनुभव बिलकुल कम था और पूछताछ करने में प्रोफेशनल अधिकारियों की संख्या काफी कम थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह मिशन भय के वातावरण में शुरू किया गया था क्योंकि 9/11 के बाद अमेरिका पर और हमले किए जा सकने का भय था. ऐसे में हम इस मिशन के लिए तैयार नही थे. लेकिन प्रेसीडेंट ने 11 सिंतबर के छह दिनों बाद ही इस कार्य को अपनी अनुमति दे दी. कुछ मामलों में विफल रही एजेंसी

ब्रेनान ने इसके साथ ही कहा, हिरासत और पूछताछ कार्यक्रम संचालित करने के लिए सीआईए की तैयारी नहीं थी. हमारे अफसरों ने इसकी शुरुआती गतिविधियों का अपर्याप्त ढंग से विकास और निरीक्षण किया. एजेंसी इस पूरे कार्य की व्यवस्था के संचालन संबंधी दिशानिर्देशों को शीघ्रता से स्थापित करने में विफल रही. इसके अलावा, 'कुछ मामलों में एजेंसी के अफसरों ने पूछताछ की ऐसी तकनीकें अपनाईं, जो अधिकृत नहीं थीं, वीभत्स थीं और जिन्हें सभी के द्वारा हटा दिया जाना चाहिए. जब कुछ अफसरों को उनकी गलतियों के लिए जिम्मेदार ठहराने की बात आई, तो हम कमजोर रहे.'

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Posted By: Prabha Punj Mishra