इनडायरेक्ट टैक्स रिफॉर्म से जुडे GST बिल पर कैबिनेट की मंजूरी
संसद के मौजूदा सत्र में होगा पेश
कैबिनेट द्वारा GST पर मुहर लगने के बाद इसे लागू करने की तैयारी शुरु हो गई है. बताया जा रहा है कि संसद के वर्तमान सत्र में ही इसे पेश किया जा सकता है. फिलहाल संसद का यह विंटर सेशन 23 दिसंबर को पूरा होगा. हालांकि सरकार का इरादा 1 अप्रैल 2015 से गुड एंड सर्विसेज टैक्स को लागू करने का है. गौरतलब है कि इसी सप्ताह केंद्र और राज्यों ने इस बिल से जुड़े कई विवादित मुद्दों पर सहमति बनाई थी. इन मुद्दों में पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर टैक्सेशन का मामला सबसे अहम था. पूरे देश में एकसमान इनडायरेक्ट टैक्स की व्यवस्था बनाने के इस रिफॉर्म की राह विवादित मुद्दों के कारण पिछले सात सालों से रुकी हुई थी.
क्या है GST बिल
कैबिनेट द्वारा मंजूर किये गये इस GST संशोधन से कई फैक्टर जुड़े हुये हैं. इस संशोधन के तहत GST में एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स जैसे कई इनडायरेक्ट टैक्स सेंट्रल लेवल पर शामिल हो जायेंगे. वहीं दूसरी ओर वैट और लोकल लेवल पर लगने वाले दूसरे टैक्स राज्यों के लेवल पर इसमें शामिल कर दिये जायेंगे. हालांकि राज्य अपने राजस्व का 50 परसेंट से ज्यादा हिस्सा पेट्रोल और दूसरे पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर टैक्स के जरिये हासिल करते हैं. इसलिये राज्य इस GST के खिलाफ खड़े हुये थे. वे चाहते थे कि इसे GST से बाहर रखा जाये, जिससे इन प्रोडक्ट्स पर राज्य विभिन्न तरह के टैक्सेस लगा सके.
2011 में हो चुका पेश
आपको बताते चलें कि GST बिल को पिछली बार 2011 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने लोकसभा में पेश किया था, लेकिन यह लैप्स हो गया. इसके बाद अब एनडीए सरकार को नया बिल लाना पड़ा. इस हफ्ते एक कंप्रोमाइज डील में केंद्र ने डिसीजन लिया था कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को GST के दायरे से बाहर रखा जायेगा. हालांकि यह कदम राज्यों द्वारा एंट्री टैक्स को नई व्यवस्था में समाहित करने पर राजी किया गया है. फिलहाल सभी इनडायरेक्ट टैक्सेज को GST में शामिल करने से राज्यों को रेवेन्यू के मोर्चे पर होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये फाइनेंस मिनिस्ट्री को लीगल ओपिनियन लेनी पड़ी थी, कि संविधान संशोधन बिल में इसकी व्यवस्था किस तरह की जा सकती है्.