भारत सरकार ने 'डॉट भारत' नाम से डोमेन देवनागरी लिपि में लॉन्च किया है. इसलिए अब बीबीसी.कॉम या बीबीसी.इन की तरह आपके पास बीबीसी.भारत हिंदी या सात अन्य भाषाओं में जैसे मराठ कोंकणी और नेपाली में उपलब्ध हो सकता है.


इस साल के आख़िर में अन्य भाषाओं को इससे जोड़ा जाएगा. यूज़र्स  '.भारत' डोमेन वाले इंटरनेट पतों को हिंदी के अलावा बांग्ला, गुजराती, पंजाबी, तमिल, तेलुगू और उर्दू में इस तरह से लिख सकेंगे --.ভারত, .భారత్, .ભારત, .بھارت, .ਭਾਰਤ, और .இந்தியா.सरकारी सूत्रों के हवाले से भारतीय मीडिया में यह बात कही गई है कि यह प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने का हिस्सा है.विस्तार से पढ़िए ये विश्लेषणभारतीय डोमेन नाम के इस प्रस्ताव को 2011 में आईसीएएनएन ने मान्यता दी थी.आईसीएएनएन डोमेन नाम को मान्यता देने की वैश्विक संस्था है. इसने भारतीय डोमेन नाम को लांच करने के लिए भारत के डोमेन '.इन' के लिए जिम्मेवार संस्था एनआईएक्सआई का अधिग्रहण किया है.


विशेषज्ञों के मुताबिक़ कंटेट ज़्यादा बड़ा मसला है. भारतीय भाषाओं में ऑनलाइन कंटेट का काफ़ी अभाव है. एक इंटरनेट यूज़र जो बिल्कुल भी अंग्रेज़ी नहीं जानता है, उसके पास बहुत कम विकल्प होता हैं.बड़ा मसला

भाषाई इनपुट और ग़ैर-मानक कीबोर्ड के अभाव ने विशेष तौर पर मोबाइल पर यूज़र्स की मुश्किलों को टेक्सट टाइप करने के मामले में बढ़ा दिया है. कंप्यूटर पर कई लोग रोमन लिपि का इस्तेमाल करते हैं लेकिन ये मोबाइल पर आम तौर पर नहीं होता है. लेकिन यह कंटेट से बड़ा मसला नहीं है.भारत में 25 करोड़ लोग अंग्रेज़ी में इंटरनेट तो इस्तेमाल करते हैं लेकिन अभी भी 1.2 अरब लोगों की आबादी में दस में से एक ही अंग्रेज़ी बोलने में सक्षम है और यह चीन या जापान की तुलना में ज़्यादा बड़ा और जटिल मसला है.भारत में तीस बड़ी भाषाएं है जिसमें से हर एक भाषा कम से कम दस लाख लोग बोलते हैं.भारतीय जनगणना 2001 के मुताबिक़ अगर दस हज़ार लोग के द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं को गिने तो भारत में 122 भाषाएं हैं.भारतीय भाषाओं में ऑनलाइन कंटेट बहुत कम है. उदाहरण के तौर पर विकिपीडिया को ही लीजिए. इसे दुनिया भर में हर महीने 50 करोड़ लोग इस्तेमाल करते हैं.उदाहरण के तौर पर बीबीसी हिंदी सेवा bbc.bharat का पंजीकरण करवा सकता है ताकि कोई और इसका ग़लत इस्तेमाल ना करें. ब्राउजर में bbc.bharat डालने पर यह यूज़र्स कोbbc.co.uk/hindiपर ले जाएगा.मीडिया संस्थाएं एकरूपता को कायम रखने के लिए एक ही पते का इस्तेमाल करने को तरजीह देंगे.लंबा सफ़र

सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी के सुनील अब्राहम का कहना है कि डोमेन के पंजीकरण से एनआईएक्सआई को कुछ फायदा होगा. चूंकि ग़ैर लाभकारी संस्था है इसलिए इससे मिले पैसों का इस्तेमाल वापस भारतीय भाषाओं के तकनीकी विकास और कंटेट को सुधारने में होगा.सरकारी क्षेत्र में भारतीय भाषाओं के इस कंप्यूटरीकरण का इस्तेमाल जरूर बड़े पैमाने पर होगा. माइक्रोसॉफ्ट के प्रोजेक्ट 'भाषा' के मुखिया मेधाश्याम कर्नम का कहना है कि अधिकतर राज्य सरकारे कंप्युटर के मामले में स्थानीय भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं.प्रोजेक्ट 'भाषा' के अंतर्गत माइक्रोसॉफ्ट, विंडोज और ऑफिस को हिंदी, नेपाली और अन्य 12 भारतीय भाषाओं में पेश करता है.कर्नम का कहना है, 'डोमेन '.भारत' अच्छी शुरुआत है लेकिन यह एक बड़ी तस्वीर का छोटा सा हिस्सा है. अभी भारतीय भाषाओं को वेब की दुनिया में लंबा सफ़र तय करना है."

Posted By: Satyendra Kumar Singh