जॉर्डन एक बड़ा रॉकस्टार बनना चाहता है लेकिन अपने सपने को पूरा करने के लिए उसे क्या-क्या नहीं सहना पड़ता. वक्‍त के साथ वह समझ जाता है कि रॉकस्टार बनने के लिए दर्द झेले बिना कुछ नहीं होता. जी हां हम बात कर रहे हैं लाइफ में स्ट्र्गल और एटीट्यूड की. इसे समझने के लिए हमें डायरेक्टर इम्तियाज अली से बेहतर कोई नहीं मिला.


9वीं क्लास में फेल होने के बावजूद पीछे मुड़कर नहीं देखने वाले इम्तियाज अली का मानना है कि आगे बढ़ने के लिए खुद से बातचीत करना बेहद जरूरी है. उनकी फिल्म रॉकस्टार की कहानी देश के आम युवा की कहानी लगती है. वे पर्दे पर खुशमिजाज लोगों की कहानियां दिखाते है, ऐसे लोग जो आज में जीते हैं, जो प्यार में कनफ्यूज रहते हैं. रॉकस्टार का जॉर्डन इसका उदाहरण है.


जॉर्डन का जिंदगी को देखने का नजरिया क्या एक आम आदमी का नजरिया है? शायद यही सवाल इम्तियाज हर किसी से पूछना चाहते हैं और हम उनसे. जब वी मेट और लव आजकल जैसी रोमांटिक फिल्में देने वाले डायरेक्टर इम्तियाज अली जब सड्डा हक की बात करते हैं तो लगता है कि बंदा एटीट्यूड की बात कर रहा है, यंगस्टर्स से सवाल जवाब कर रहा है. उनकी फिल्मों को देखकर लगता है कि मानो वे हमारी-आपकी बात कर रहे हैं.

रिपोर्ट कार्ड पर नाम के आगे आर

वे खुद बताते हैं कि शुरुआत में वे एक बढियां स्टूडेंट थे, लेकिन बाद में बेकार हो गए. शुरुआती क्लास में जहां उन्हें डबल प्रमोशन मिला, वहीं नौंवी क्लास में वे फेल हो गए. इम्तियाज यह कहानी अक्सर लोगों को बताते हैं कि नौंवी क्लास में फेल होने के बावजूद रूपेश सान्याल नाम का एक लड़का उनका  दोस्त बन गया. उनके रिपोर्ट कार्ड पर नाम के आगे आर, यानी रिपीटर का साइन लगा रहता था. यह देखकर रूपेश को बेहद दुख हुआ कि कैसे सिस्टम एक आदमी को हर पॉइंट पर फेलियर अनाउंस कर सकता है.शायद लाइफ के इसी मोड़ पर आकर इम्तियाज का नजरिया बदला होगा, हर किसी चीज को देखने का. वे बताते हैं उन्हें समझ में आ गया था कि उन्हें खुद को खुद ही संभालना होगा. वे बताते हैं कि एक बार उन्हें लगा कि वे लाइफ को दूसरों की तरह मेकैनिकल टाइप से चला रहे हैं, फिर उन्होंने खुद से बातचीत करना शुरू किया.लापरवाह रहने की आजादी इम्तियाज के पास हमारे समय की सबसे ईमानदार प्रेम-कहानियां हैं और वह होना बड़ी बात नहीं है क्योंकि वे और भी बहुत से लोगों के पास हैं. लेकिन इम्तियाज के पास उनका सबसे ईमानदार ट्रीटमेंट भी है. उनके पास युवाओं की भाषा है जिससे वे गजब के रोचक डायलॉग गढ़ते हैं और बचपना है, जो तालाब में कूदने से पहले उसकी गहराई का अंदाज लगाने वाली तहजीब में यकीन नहीं रखता.
इम्तियाज ही हमें पहली बार ब्रेक अप पार्टियों से रूबरू करवाते हैं और वह दुनिया दिखाते हैं जिसमें ब्रेक अप के बाद भी जाती हुई लड़की एयरपोर्ट से अपने पूर्व-प्रेमी को फोन करके रोती नहीं, चटखारे लेकर उसकी कमियां बताती है जो वह साथ होने के दिनों में नहीं बता पाती थी.उनके किरदार आज में जीने वाले लोग हैं जो गुस्से और दुख को ज्यादा समय तक अपने अन्दर नहीं रख पाते. वे आम आदमी हैं, इसलिए अमर हो जाने की चाहतें नहीं पालते. उन्हें बस लापरवाह रहने की आजादी चाहिए और कुछ प्यार. शायद यही है आज के यंग जेनरेशन का एटीट्यूड.Compiled by inextlive team

Posted By: Kushal Mishra