पिछले दस साल में एक हजार ट्रेनों को चलाने का ऐलान किया गया लेकिन न तो ट्रैक तैयार कराया गया और न ही कोच का पूरा इंतजाम किया गया. रेल बजट में खुद को और पार्टी को फायदा उठाने के मकसद से रेल मंत्री का जोर नई गाडिय़ां चलाने पर ही रहता है जरूरी बुनियादी सुविधाएं जुटाने पर नहीं.


रेलवे स्टेशन हो या ट्रेन का कोच अंदर जाते ही एक मैसेज लिखा दिखाई देता है, ‘आपकी यात्रा मंगलमय हो’. कालका मेल के पैसेंजर्स ने भी यही मैसेज पढ़ा था और उम्मीद की थी कि वह सकुशल मंजिल तक पहुंच जाएंगे, लेकिन मलवा के पास इस ट्रेन के साथ ही तमाम लोगों की जिंदगी भी ट्रैक से उतर गई. अब सवाल यह है कि यात्रा मंगलमय हो तो कैसे? वैसे इसका जवाब रेलवे के पास तो नहीं है, लेकिन हमने उन कारणों को जानने की कोशिश की जिनसे रेल यात्रा लोगों के लिए काल का सफर बनती है.रेल नहीं, सरकारी लॉलीपॉप


आमतौर पर देश में गठबंधन की सरकार ही बनती है. ऐसे में सरकार के लिए जरूरी होता है सहयोगी पार्टी के हाथ ऐसा लालीपॉप थमाना जिसके चलते वह हमेशा उनका साथ दे और सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर सके. ऐसे में मलाईदार मंत्रालय रेलवे ही यूज किया जाता है. एनडीए की गवर्नमेंट रही हो या यूपीए की सभी ने रेलवे को अपने सहयोगी दल के जिम्मे किया. ऐसे में रेल मंत्री अपना और अपने राज्य के हितों के लिए रेलवे का दोहन करने लगते हैं. वह बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो कर देते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्य नहीं किए जाते. अब आप खुद ही देख लीजिए कि जनता (वोटर्स) को लुभाने  के लिए पिछले दस साल में एक हजार ट्रेनों को चलाने का ऐलान किया गया, लेकिन न तो ट्रैक तैयार कराया गया और न ही कोच का पूरा इंतजाम किया गया. रेल बजट में खुद को और पार्टी को फायदा उठाने के मकसद से रेल मंत्री का जोर नई गाडिय़ां चलाने पर ही रहता है, जरूरी बुनियादी सुविधाएं जुटाने पर नहीं.Indian Railway -देश में हर दिन 11 हजार ट्रेनें चलती हैं-डेली 1 करोड़ 85 लाख यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाती है.-रेलवे में करीब 14 लाख लोग काम करते हैं.-वादे हैं वादों का क्या- नई गाडिय़ों के लिहाज से ट्रैक व कोच अपग्रेड नहीं किए गए हैं. यह सीधे तौर पर पैसेंजर्स की जान को जोखिम में डालता है.- 60 साल में रेलवे अनमैन्ड क्रॉसिंग खत्म नहीं कर पाया है.- रेलवे को देशभर में करीब 14 हजार क्रॉसिंग खत्म करने हैं.- इस समय देश में कुल 32,694 लेवल क्रासिंग्स हैं, इसमें 14,853 अनमैन्ड हैं.- 2010-11 में अनमैन्ड रेलवे क्रॉसिंग के चलते हुए हादसे में 229 लोगों की मौत हुई थी.

- 2011-12 में 95 लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं.

... तो ऐसे होगी सुरक्षा?कहां गया fund  हर साल बजट में सिक्योरिटी के नाम पर एलोकेट होने वाले फंड को भी रेलवे मिनिस्ट्री ने पूरी तरह से यूज नहीं किया है. कैग रिपोर्ट के मुताबिक 2003-2009 तक के बजट के दौरान रेलवे ने टोटल 4,607.33 करोड़ की रकम रोड सेफ्टी के नाम पर तय की थी. इसमें से सिर्फ 2,090.04 करोड़ रुपए ही खर्च किए जा सके. इस रकम के तहत पुराने रेलवे ब्रिज की मरम्मत भी कराया जाना तय किया गया था. वहीं दूसरी तरफ पुराने पड़ चुके ट्रैक्स को दुरूस्त करने के नाम पर करीब 600 करोड़ रुपए एलोकेट किए गए थे. यह रकम रेलवे की स्पेशल सेफ्टी फंड के तहत तय की गई थी. बाद में इस रकम को डिप्रीसिएशन रिजर्व फंड (डीआरफ) में ट्रांसफर कर दी गई. सिर्फ इतना ही नहीं कैग रिपोर्ट की मानें तो रेलवे ने सेफ्टी फंड का 65 परसेंट से भी कम यूज किया है.- पिछले एक साल से रेलवे बोर्ड में मेंबर (ट्रैफिक) की पोस्ट खाली पड़ी है.- कई रेलवे जोन में जीएम की कुर्सियां भी खाली हैं.


- दस साल में 1000 नई ट्रेनें चलाई गई हैं, लेकिन न तो ट्रैक तैयार करवाया गया और न ही नए कोच.- बीते सालों में मालगाडिय़ों की सामान ढोने की क्षमता 4825 टन से बढ़ कर 5200 टन हो गई है.

Posted By: Divyanshu Bhard