आपकी यात्रा मंगलमय हो!
रेलवे स्टेशन हो या ट्रेन का कोच अंदर जाते ही एक मैसेज लिखा दिखाई देता है, ‘आपकी यात्रा मंगलमय हो’. कालका मेल के पैसेंजर्स ने भी यही मैसेज पढ़ा था और उम्मीद की थी कि वह सकुशल मंजिल तक पहुंच जाएंगे, लेकिन मलवा के पास इस ट्रेन के साथ ही तमाम लोगों की जिंदगी भी ट्रैक से उतर गई. अब सवाल यह है कि यात्रा मंगलमय हो तो कैसे? वैसे इसका जवाब रेलवे के पास तो नहीं है, लेकिन हमने उन कारणों को जानने की कोशिश की जिनसे रेल यात्रा लोगों के लिए काल का सफर बनती है.रेल नहीं, सरकारी लॉलीपॉप
आमतौर पर देश में गठबंधन की सरकार ही बनती है. ऐसे में सरकार के लिए जरूरी होता है सहयोगी पार्टी के हाथ ऐसा लालीपॉप थमाना जिसके चलते वह हमेशा उनका साथ दे और सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर सके. ऐसे में मलाईदार मंत्रालय रेलवे ही यूज किया जाता है. एनडीए की गवर्नमेंट रही हो या यूपीए की सभी ने रेलवे को अपने सहयोगी दल के जिम्मे किया. ऐसे में रेल मंत्री अपना और अपने राज्य के हितों के लिए रेलवे का दोहन करने लगते हैं. वह बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो कर देते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्य नहीं किए जाते. अब आप खुद ही देख लीजिए कि जनता (वोटर्स) को लुभाने के लिए पिछले दस साल में एक हजार ट्रेनों को चलाने का ऐलान किया गया, लेकिन न तो ट्रैक तैयार कराया गया और न ही कोच का पूरा इंतजाम किया गया. रेल बजट में खुद को और पार्टी को फायदा उठाने के मकसद से रेल मंत्री का जोर नई गाडिय़ां चलाने पर ही रहता है, जरूरी बुनियादी सुविधाएं जुटाने पर नहीं.Indian Railway -देश में हर दिन 11 हजार ट्रेनें चलती हैं-डेली 1 करोड़ 85 लाख यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाती है.-रेलवे में करीब 14 लाख लोग काम करते हैं.-वादे हैं वादों का क्या
- 2011-12 में 95 लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं.
... तो ऐसे होगी सुरक्षा?
- दस साल में 1000 नई ट्रेनें चलाई गई हैं, लेकिन न तो ट्रैक तैयार करवाया गया और न ही नए कोच.- बीते सालों में मालगाडिय़ों की सामान ढोने की क्षमता 4825 टन से बढ़ कर 5200 टन हो गई है.