सीबीआई ने अदालत से कहा कि इशरत जहाँ फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में गुजरात के पूर्व गृह मंत्री और नरेंद्र मोदी के निकट सहयोगी अमित शाह के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं है.


15 जून 2004 को अहमदाबाद के पास 19 साल की इशरत के साथ जावेद शेख़ उर्फ प्राणेश पिल्लई, अमजद अली राना और जीशान जौहर मारे गए थे.इस मामले में गुजरात के कई आला ऑफिसर जेल में बंद है और इंटेलिजेंस ब्यूरो के चार अफसरों को सीबीआई ने अभियुक्त बनाया है. मारे गए नौजवान प्राणेश पिल्लई के पिता गोपीनाथ पिल्लई ने अदालत में याचिका दायर की थी कि अमित शाह को भी इस मामले में अभियुक्त बनाया जाए.सीबीआई ने पिल्लई की याचिका के जवाब में शाह के खिलाफ सबूत न होने कि बात कही है.गोपीनाथ पिल्लई के वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता मुकुल सिन्हा ने सीबीआई के जवाब को हास्यास्पद बताते हुए जाँच एजेंसी पर शाह के प्रति सहानुभूति दिखाने का आरोप लगाया.


उन्होंने कहा, "कोर्ट ने सीबीआई से उनकी याचिका पर राय नहीं बल्कि उनका जवाब माँगा था. याचिका में हमने शाह पर जो आरोप लगाये वह सीबीआई के ही आरोपपत्र में है जिनके आधार पर अन्य पुलिस वाले जेल में बंद हैं लेकिन सीबीआई ने इन बयानों को शाह के मामले नज़रअंदाज़ कर दिया”.सिन्हा ने कहा,“सीबीआई ने अपनी राय कोर्ट के सामने रख दी है जो वहाँ टिक नहीं सकेगी, और यह किसी भी दृष्टि से क्लीनचिट नहीं है”.आरोप

अपने जवाब में सीबीआई ने कहा है कि अमित शाह और केआर कौशिक के खिलाफ मामले की जाँच में ऐसे कोई सबूत उसे नहीं मिले हैं जिनके आधार पर वो शाह को अभियुक्त मान सके.सीबीआई ने कहा कि वंज़ारा ने अपने पत्र में सामान्य आरोप लगाए थे. "वंज़ारा का 10 पन्नों का इस्तीफ़ा सीबीआई डायरेक्टर को भेजा गया था. वंज़ारा के आरोप सामान्य थे. उसके बाद वंज़ारा से इस बारे में जेल में पूछा गया तो उन्होंने इस बारे आगे कुछ भी नहीं बताया."अहमदाबाद की सीबीआई अदालत में दायर किए गए तीन पन्नों के जवाब में सीबीआई ने सबूतों के अभाव को कारण बताते हुए पिल्लई की याचिका को ख़ारिज करने की भी माँग की है.सीबीआई प्रवक्ता कंचन गुप्ता ने बीबीसी हिंदी को बताया , "इशरत जहाँ केस में अमित शाह को आरोपी बनाने के लिए सीआरपीसी 319 के तहत याचिका दायर हुई थी. सीबीआई ने कोर्ट को लिखित जवाब में कहा कि उसने सभी तथ्यों और आरोपपत्र को कोर्ट के सामने रख दिया है और अब कोर्ट को याचिका पर निर्णय लेना है."

Posted By: Subhesh Sharma