पूड़ी में बसती है इनकी जान
रामगढ़ के जैनपाल लगभग 30 सालों से हर रोज पूड़ी और तले हुए खाने के सहारे ही जिन्दा हैं. उनकी उम्र 53 सोल है. जैनपाल का दावा है कि वह पिछले तकरीबन तीस सालों से रोज पूड़ी और मसालेदार सब्जियों खाते आ रहे हैं. अब यह उसके डेली रूटीन में शामिल हो गया है. वह कहते हैं कि पूड़ी खाये बगैर उन्हें अधूरापन सा महसूस होता है. जैनपाल रोज देर शाम या रात में ही डिनर करते हैं और पूड़ी और उनके खुद के द्वारा तैयार की जाने वाली सब्जी के बगैर यह अधूरा है. यही नहीं वह सुबह हैवी ब्रेकफॉस्ट भी लेते हैं, जिसमें पकोड़े, नमकीन और दूसरी कई तली और वसायुक्त वस्तुएं जरुरी हैं. इस सब के बाज भी जैनपाल को कोई बीमारी नहीं हुई है. यानी नो ब्लडप्रेशर नो ओबेसिटी.
जयपाल पूड़ी की बड़ाई करते नहीं थकते हैं. वह कहते हैं, “मेरा प्रिय भोजन है पूड़ी और अगर मैं रात में दो बजे भी घर पर लौटता हूं तो पूड़ी खाए बगैर नींद नहीं आती है. इसे भले ही आप मेरा शौक कहें या जुनून, यह कस्बे में लोगों के बीच अक्सर चर्चा का विषय भी रहता है.”