शहर के बीचोंबीच बसा महानगर आज भी गांव
एक्सक्लुसिव न्यूज
- महानगर कॉलोनी में मिल रही शहर की सुविधाएं लेकिन गांव में बने रहने का दर्द - 2004 में बस गई थी कॉलोनी, 13 वर्षो से निवासी कर रहे शामिल करने की मांग BAREILLY: शहर के बीचोबीच पॉश एरिया में बसी महानगर कॉलोनी आज भी गांव है। 15 साल पहले बसाई गई इस कॉलोनी में नगरीय विकास विभाग की अनदेखी के चलते रहवासी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। जबकि इसके चारों ओर का एरिया भी पॉश है, यहां के एक मकान की कीमत भी लाखों में है। वीवीआईपी लोगों की यह पसंदीदा कॉलोनी है, दो सौ से ज्यादा परिवारों के बच्चे विदेशों में जॉब या एजुकेशन के लिए रह रहे हैं। फिर भी कॉलोनी नगर निगम की परिधि में शामिल नहीं होने से निवासी आक्रोशित हैं नगर निगम नहीं ले रहा सुधनिवासियों ने पॉश कॉलोनियों को नगर निगम में शामिल करने के लिए परिसीमन के दौरान मांग की थी। लेकिन अधिकारियों ने शासनादेश का हवाला देकर मांग को ही अनसुना कर दिया था। जबकि आस-पास के इलाके नगर निगम सीमा में दर्ज हैं। महानगर निवासी कॉलोनी को नगर निगम सीमा में दर्ज कराने के लिए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार, वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह, नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना समेत शहर के विधायकों से भी निवेदन कर चुके हैं। ट्यूजडे को उन्होंने सभी माननीयों का आवेदन लेकर विधानसभा पहुंचे हैं। निवासियों को आशा है कि गांव से निकलकर कॉलोनी नगर निगम में दर्ज हो जाएगी।
टैक्स देने को हैं तैयार यहां 1600 मकानों में सभी लोग वेल एजुकेटेड हैं और वह नगर निगम को हाउस, सीवर, वाटर टैक्स देने को भी तैयार हैं। जिससे नगर निगम के राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। इसके लिए उन्होंने सिग्नेचर किया हुआ ज्ञापन भी अधिकारियों को सौंपा है। फिर भी कॉलोनी गांव ही कहलाई जा रही है। एक नजर में। - 2002 में बनी थी कॉलोनी, 1600 हैं आवास - 2004 में मिला 1600 आवंटियों को पजेशन - 125 गज का छोटा मकान, 45 लाख रुपए - 340 गज का बड़ा प्लॉट, सवा करोड़ रुपए - 200 परिवारों के बच्चे विदेश में रह रहे कुछ यूं पॉश है कॉलोनी। - धोरेरा माफी ग्राम पंचायत में कॉलोनी शामिल लेकिन - कॉलोनी के वेस्ट में फिनिक्स मॉल, साउथ में बाईपास - ईस्ट में सिल्वर एस्टेट, रूहेलखंड मेडिकल कॉलेज - सैटेलाइट से महज 4 किमी। है दूरी, भरपूर सुविधाएं - कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स, मॉल, पेट्रोल पंप व अन्य अनगिनत हैं समस्याएं।- बिजली गांव की लेकिन शहर के रेट पर
- पानी बिल्डर की टंकी से 650 रुपए पर मंथ - सड़क कॉलोनी की जो गड्ढूों में धंस रही - स्ट्रीट लाइट निवासी कांट्रीब्यूट कर जलाते हैं - दस्तावेज के लिए लगाते हैं पंचायत के चक्कर रह रहे हैं वीवीआईपी - राजेंद्र गुप्ता, डायरेक्टर, राजश्री मेडिकल कॉलेज - डॉ। आरपी सिंह, वीसी, जोधपुर युनिवर्सिटी - चंद्रपाल गुप्ता, बिजनेसमेन, रिटायर्ड बैंक मैनेजर - डॉ। प्रवीण सिंह, सीनियर साइंटिस्ट, आईवीआरआई - डॉ। केके चौहान, रूहेलखंड मेडिकल कॉलेज - डॉ। पीएस तेवतिया, डॉ। क्षितिज समेत अन्य निवासियों ने नगर निगम सीमा में कॉलोनी को शामिल किए जाने का ज्ञापन सौंपा है। इसे अमल में लाने की प्रक्रिया चल रही है। अगले परिसीमन में शामिल करने की संभावना है। राजेश कुमार श्रीवास्तव, नगर आयुक्त नगर निगम के अधिकारी कॉलोनी को शामिल करने की अनदेखी कर रहे हैं। जिसके बाद अब माननीयों से मुलाकात कर कॉलोनी को शामिल कराने का अनुरोध किया है। चंद्रपाल गुप्ता, निवासी, महानगर वीवीआईपी कॉलोनी होने के बाद भी हम गांव में रहते हैं। हम मेयर नहीं प्रधानों को चुनते हैं। टैक्स अदा करने के लिए राजी हैं फिर भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। सैय्यद शारिक अली, निवासी, महानगर