बेशक ये एक फनी फ‍िल्‍म है. एक ओर तो ये फ‍िल्‍म भारत की पहली रियालिटी फ‍िल्‍म होने का दावा करती है वहीं दूसरी ओर वास्तविक पात्रों की समानता को सह संयोग भी बताती है. अगली बात जब आप फ‍िल्‍म में एक लड़के को कॉन्‍डोम को च्‍यूइंगम समझकर खाते देखते हैं तो आप इस बात को बेहद आसानी से समझ जाते हैं कि ये बेहद सेक्‍सी और बोल्‍ड फ‍िल्‍म है. एक फ‍िल्‍म के तौर पर बात करें तो ये उन इंडियंस के लिए बनी है जो आज भी सेक्‍स के बारे में ज्‍यादा बातें करना पसंद नहीं करते. ऐसे में मूवी सिवाए बेहूदा मजाकों से लबरेज और कुछ और नहीं रह जाती. फ‍िल्‍म में सिवाए सेक्स व्यभिचार कंडोम बायसेक्‍सुअल के अलावा और कुछ नहीं है.


कुछ ऐसी है कहानी अगर आप भी कहानी के बारे में कुछ जानते हों, तो ये कई नौजवानों पर आधारित फिल्‍म है. ये सभी एक घर पर पार्टी के लिए इकट्ठा होते हैं. पार्टी का होस्‍ट प्रोफेशन से RJ है, जो कि ओवर कॉन्‍फीडेंशियल सा नजर आता है. यही RJ एक असल पार्टी में शामिल लोग और उनके अंतरंग सीक्रेट्स पर फिल्‍म को बनाने का फैसला लेता है. जैसा कि पार्टी में शामिल लोगों की बातचीत कई बड़े राज पर से पर्दा उठाती है. फिल्‍म का ये कॉन्‍सेप्‍ट मनोरंजक है, लेकिन इसके संवाद और असंवेदनशील निष्पादन बेहद बेतरतीब हैं, या यूं कहें कि बिल्‍कुल भी परिपक्व नहीं दिखे.Sabki Bajegi BandA; DramaDirector: Anirudh ChawlaCast: Sumeet Vyas, Swara Bhaskar, Alekh Sangalबेहद बेहूदा हैं डायलॉग्‍स
फिल्‍म में कुछ सीन्‍स बेहद अविश्‍वसनीय हैं. उदाहरण के तौर पर उनमें से एक महिला रुमाल की तरह समलैंगिकों को पहचानने का दावा करती है. इसके साथ में बेहद बेहूदा से डायलॉग्‍स भी फिल्‍म की शोभा को खराब कर रहे हैं. जैसे, 'कोई तुम्‍हारे ऊपर चढ़ेगा, तो तुम कॅरियर में ऊपर चढ़ोगे' और 'आपका अर्थवर्म कभी सांप नहीं बनेगा'. ऐसे ही आगे बढ़ते-बढ़ते मूवी आपके लिए बोझल होती चली जाती है. कुल मिलाकर जर्की कैमरा मूवमेंट्स, बुरी परफॉर्मेंस और बेहूदा जोक्‍स फिल्‍म के नैतिक मूल्‍यों का पूरी तरह से खात्‍मा करते नजर आ रहे हैं. Review by: Shubha Shetty Sahashubha.shetty@mid-day.com

Posted By: Inextlive Desk