एक लाइन है एक लख पूत सवा लख नाती ता रावन घर दिया ना बाती ऐसा ही कुछ सेल्फ प्रोक्लेम्ड बाबा रामपाल के साथ हुआ है जब उसे अपने बेल बांड को भरने के लिए एक भी अपना अवेलेबल नहीं हुआ और उसे वापस जेल जाना पड़ा.


रामपाल की आंखें कोर्ट परमाइसेज में अपनों को तलाशती रही लेकिन कुछ केसेज में कोर्ट से बेल मिलने के बाद उसे ऐसा कोई अपना नहीं मिला जो उसकी बेल बांड को भरने को आगे आता. राष्ट्रद्रोह का एलिगेशन झेल रहे रामपाल के अगेंस्ट कई केस चल रहे हैं. जिसमें से चार केसेज कोर्ट के सामने अब तक आए हैं. उन चार में से एक में कोर्ट ने मंडे को उसे 20000 रुपए पर बेल दे दी पर बेल बांड कोर्ट ने नहीं दिया.  इसकी वजह थी कि बेल बांड भरने वाला कोई भी रामपाल को नहीं मिला.


कोर्ट से जैसे ही रामपाल को बेल दिए जाने का आभास हुआ उसकी आंखें कोर्ट परमाइसेज के बाहर किसी सर्पोटर को तेजी के साथ ढूंढती हुई नजर आईं. वह बार-बार कोर्ट के बाहर देख रहा था पर उसे कोई अपना नहीं मिल रहा था.  खास बात यह है कि ऐसा पहली बार ही देखने को मिला. इससे पहले चार बार बाबा को कोर्ट में प्रेजेंट किया जा चुका है और हर हियरिंग पर उसकी आंखें आते-जाते वक्त फर्श की ओर ही होती थीं.

मंडे को दिखाई दी इस बेचैनी का कोई फायदा नहीं हुआ और रामपाल मायूस जेल वापस लौट गया. वो रामपाल जिसने अपनी अय्याशियों पर हजारों लुटाए, जो मिलेनियर कहलाता है आज इतना बे यारो मददगार है कि कोई उसके लिए कुल 20000 का बेल बांड भरने वाला नहीं मिल पा रहा. कभी उसके पास इतना पैसा था कि उसने पुराने आश्रम दौलतपुर से सतलोक आश्रम तक ड्रिंकिंग वाटर की अंडर ग्राउंड पाइप लाइन बिछवा दी थी. पुराने से नए आश्रम की दूरी करीबन सात किलोमीटर है.

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Posted By: Molly Seth