पंजाबी फिल्म ''कौम दे हीरे '' रिलीज से पहले ही विवादों के घेरे में आ गई है. दरअसल यह फिल्म इंदिरा गांधी की हत्या और उनके हत्यारों की लाइफ पर बेस्ड है. जैसा कि मूवी के नाम से ही पता चलता है कि फिल्म में इंदिरा के हत्यारों को कौम दे हीरे यानी पंजाबी कम्युनिटी का हीरा बताया गया है.

फिल्म पर राजनीति गरमाई
कौम दे हीरे 22 अगस्त को रिलीज होने वाली है. इसे विदेशों में पहले ही रिलीज कर दिया गया है जहां इसे कुछ हद तक सफलता भी मिली है. फिल्म की कहानी ऑपरेशन ब्लूस्टार से शुरू होकर सतवंत सिंह की फांसी पर खत्म होती है. कहा जा रहा है कि फिल्म में इंदिरा गांधी के हत्यारों को ग्लोरीफाई किया गया है. इससे राजनीति गरम गई है. पंजाब यूथ कांग्रेस के हेड विक्रमजीत सिंह चौधरी ने फिल्म की रिलीज रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखा. विक्रमजीत का कहना है कि अगर फिल्म रिलीज हुई तो वे पूरे स्टेट में प्रोटेस्ट करेंगे.
क्या कहते हैं फिल्म के डायरेक्टर
फिल्म के डायरेक्टर रविंदर रवि का कहना है कि उन्होंने इंदिरा गांधी के मर्डर की जांच करने वाले ठक्कर आयोग की रिपोर्ट और अदालती कार्यवाही के साथ साथ बेअंत सिंह और सतवंत सिंह के परिवारों के साथ लंबा वक्त बिताकर ये फिल्म बनाई है. फिल्म में बेअंत सिंह का रोल निभाने वाले राज काकड़ा का कहना है कि जब सेंसर बोर्ड ने फिल्म पास कर दी है तो फिर इस पर सवाल उठाना ठीक नहीं है. बेअंत सिंह के 35 साल के बेटे सरबजीत सिंह का कहना फिल्म सच्ची घटनाओं पर बेस्ड है और यह सिखों की हिस्ट्री है. इसके बाद इसके बाद शिरोमणि अकाली दल के मुखिया और मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपने होम सेक्रेटरी से मामले को सुलझाने के लिए कहा है लेकिन वैसे स्टेट गवर्नमेंट का कहना है कि फिल्म की रिलीज़ पर फैसला करना सेंसर बोर्ड का काम है.

 

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Posted By: Shweta Mishra